मुख्यमंत्री ने स्वप्ना के परिजनों को दी बधाई, जीत पर स्कूल में छुट्टी
स्वप्ना के प्राथमिक स्कूल में परीक्षा था, लेकिन जीत के खुशी में स्कूल के सामने लोगों का जमावड़ा लग गया। इसलिये मंत्री गौतम देव ने परीक्षा रद कर स्कूल छुट्टी करने का निर्देश दे दिया।
जलपाईगुड़ी, जागरण संवाददाता। एशियन गेम्स-2018 में स्वप्ना ने हेप्टाथलान में गोल्ड जीतकर पूरे देश का नाम रोशन किया है। इस जीत के साथ ही स्वप्ना के घर व पूरे इलाके के लोगों में खुशी का माहौल देखा जा रहा है। इस क्रम में गुरुवार को पर्यटन मंत्री गौतम देव, एसजेडीए चेयरमैन सौरभ चक्रवर्ती व जलाईगुड़ी के जिला सभाधिपति नुरजहां बेगम ने स्वप्ना के परिवार वालों से मुलाकात की। स्वप्ना की मां को फुल का गुलदस्ता व मिठाई देकर बधाई दी गई।
इस दौरान मंत्री गौतम देव ने अपने मोबाइल पर मुख्यमंत्री के साथ स्वप्ना की मां बासना बर्मन की बात भी कराई। इस दौरान मुख्यमंत्री ने परिवार का हालचाल जाना। स्वप्ना के खेलकूद के बारे में जानकारी ली। इस दौरान स्वप्ना की मां ने कुछ पाने की इच्छा नहीं जताई। उसकी बेटी ने देश का नाम रोशन किया है।
इधर, पर्यटन मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से स्वप्ना को हर संभव मदद दी जाएगी। मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार ही मंत्री स्वप्ना के घर पहुंचे थे। वहीं एसजेडीए चेयरमैन सौरभ चक्रवर्ती ने कहा कि स्वप्ना की जीत की खुशी पर पूरे जिले में आगामी तीन दिनों तक विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। एसजेडीए की ओर से स्वप्ना को स्मारक चिन्ह प्रदान किया जाएगा।
ज्ञातव्य है कि जलपाईगुड़ी सदर ब्लॉक के कलियागंज घोषापाड़ा निवासी रिक्शा चालक की बेटी स्वप्ना बर्मन एशियन गेम्स में सोना जीतकर देश का मान बढ़ाया है। रिक्शा चालक पिता पंचानन बर्मन स्ट्रोक के चलते 2013 से बिस्तर पर पड़े हैं। मां बसना बर्मन बागान श्रमिक थी। बिना छत के घर व दो वक्त की रोटी जुगार करना भी परिवार के लिए मुश्किल होता था। घर चलाने की जिम्मेदारी भी स्वप्ना व बड़े भाई असित बर्मन की ही है।
एशियन गेम्स शुरू होने से ठीक पहले स्वप्ना के दांत में चोट लगी थी। बावजूद सपना खेल में अपने प्रदर्शन पर केंद्रीत रहकर सोना जीतकर दिखाई है। 19 दिसंबर 1996 में जन्मी स्वप्ना नौ वर्ष की आयु से खेल रही है। राज्य के हाई जंप का रिकार्ड भी सपना के पास है। 2014 एशियन चैंपियनशिप में स्वप्ना को 5वां स्थान मिला था। 2017 में लंदन में वल्र्ड चैंपियनशिप में 21वें स्थान पर रही थी। 2017 में भूवनेश्वर में एशियन ट्रैक एंड फिल्ड मीट में गोल्ड मेडल पाने में सफल रही थी। स्वप्ना को पहले विश्वजीत कर ने खेल मैदान दिखाया। फिर उत्तमेश्वर हाई स्कूल के शिक्षक विश्वजीत मजूमदार ने मार्गदर्शन दिया। इसके बाद सुकांत सिन्हा ने प्रशिक्षित किया था।
स्वप्ना के प्राथमिक स्कूल में गुरुवार को परीक्षा था, लेकिन जीत के खुशी में स्कूल के सामने लोगों का जमावड़ा लग गया। सभी खुशी मना रहे थे। इसलिये मंत्री गौतम देव ने परीक्षा रद कर स्कूल छुट्टी करने का निर्देश दे दिया। स्कूल के प्रधान शिक्षक विश्वजीत कर ने मंत्री का स्वागत किया। छात्र-छात्रओं से बात कर मंत्री ने 500 रुपये देकर सभी का मुंह मीठा किया।
इधर, मंत्री को देखकर छात्रों ने स्कूल मैदान की मरम्मत कराने की मांग कर डाली। फिर उन्होंने जिला प्रशासन को लिखित में देने के लिए कहा। सदर ब्लॉक पाटकटा बीएफपी स्कूल के प्रधान शिक्षक विश्वजीत कर का हाथ पकड़कर ही स्वप्ना खेलकूद के मैदान तक पहुंची। आज वह इतने खुश हैं कि कुछ बात नहीं कर पा रहे थे। वर्ष 2007 में राज्य स्पोर्ट्स के हाई जंप में स्वप्ना ने प्रथम स्थान हासिल किया था।
इससे पहले जलपाईगुड़ी स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में आयोजित 75 मीटर के दौड़ में स्वप्ना ने प्रथम स्थान हासिल किया था। इसके बाद पिता के वैन में स्वप्ना को अलग-अलग जगहों पर खेलने ले जाते थे। स्वप्ना कलियागंज के उत्तेमश्वर हाईस्कूल में पढ़ी थी। गुरुवार को स्कूल के छात्रों ने बैंड पार्टी निकालकर पूरे इलाके का भ्रमण किया। स्कूल के शिक्षकों ने घर पहुंचकर परिवार वालों को बधाई दी।
स्वप्ना को खेल के लिए जूते का देना पड़ता था ऑर्डर
किसी की मृत्यु के बाद उनकी पैरों के छाप को घर में रखा जाता है। लेकिन स्वप्ना की मां अपनी बेटी के पैरों की निशान को दीवार पर लगा कर रखी है। दो पैरों में 12 अंगुली होने के चलते जूता आर्डर देकर बनाना पड़ता था। एशियन गेम्स में स्वप्ना बर्मन के सोना जीतने के बाद से ही पूरे देश के साथ जलपाईगुड़ी में भी लोगों में उत्साह का माहौल है।
लेकिन इसमें अधिकांश लोगों को ही ये पता नहीं है कि स्वप्ना के पैरों में 12 अंगुलियां है। उसके खेलकूद के जूता खरीदने के लिए मां बासना बर्मन घर-घर भटकती थी। स्वप्ना का जूता बनाने के लिए काफी खर्च आता था। बासना देवी ने घर से सटे काली मंदिर के पास ही बेटी के पैरों को निशान को दीवार पर लगा कर रखी है।
उनकी माने तो स्वप्ना खेल के लिए अधिकांश समय घर से बाहर ही रहती है। यही कारण है कि उसकी पैरों के निशान को रखी हुई है। मां के लिए वह स्मृति चिन्ह के समान है। स्वप्ना के भाई असित बर्मन ने कहा कि बहन ने बड़ी समस्याओं का सामना करते हुए इस मुकाम तक पहुंची है।