Move to Jagran APP

महानंदा किनारे छठ घाट बनाने का काम शुरू

- एनजीटी के दिशा-निर्देशों की हर ओर चर्चा -नदी के बीच घाट और अस्थाई पुल बनाने पर रोक

By JagranEdited By: Published: Mon, 28 Oct 2019 09:01 PM (IST)Updated: Mon, 28 Oct 2019 09:01 PM (IST)
महानंदा किनारे छठ घाट बनाने का काम शुरू
महानंदा किनारे छठ घाट बनाने का काम शुरू

- एनजीटी के दिशा-निर्देशों की हर ओर चर्चा

loksabha election banner

-नदी के बीच घाट और अस्थाई पुल बनाने पर रोक जारी

-एसडीओ ने पूजा की तैयारियों का लिया जायजा

-नदी की गंदगी से पूजा आयोजकों की बढ़ी परेशानी

-मिठाई दुकानों से गंदा पानी नदी में नहीं गिरने देने की मांग

जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : दुर्गोत्सव, दीपावली व कालीपूजा के बाद अब छठ पर्व की तैयारी शुरू हो गई है। नदी किनारे छठ घाट बनाने का काम शुरू हो गया है। लेकिन एनजीटी का निर्देश आयोजकों की परेशानी का सबब बना हुआ है। हांलाकि छठ पूजा आयोजक भी एनजीटी के दिशा निर्देशों के मुताबिक कई वैकल्पिक मार्ग अपना रहे हैं। दूसरी ओर महानंदा नदी में गिरने वाला कल-कारखानों का गंदा पानी छठ व्रतियों व पूजा आयोजकों के लिए बड़ी समस्या है।

दूसरी ओर बाजार में डाला, सूप व नारियल की खरीदारी शुरू हो गई है। नदी किनारों पर घाट बनाने का काम भी शुरू कर दिया गया है। नदी के बीच घाट बनाना और नदी पार करने के लिए अस्थायी पुल बनाने पर एनजीटी की मनाही है। आयोजकों के लिए यही सिरदर्द का सबसे बड़ा कारण है। नदी की स्वच्छता को बनाये रखने के लिए एनजीटी ने 2017 से एक विशेष दिशा-निर्देश जारी किया था। उसके मुताबिक प्रतिमाओं व पूजा सामग्रियों को नदी में प्रवाहित करने और नदी की धारा को अवरूद्ध करने, नदी पर अस्थाई बांस का ब्रिज बनाने आदि पर रोक लगाई गई है। एनजीटी के निर्देश से सबसे अधिक परेशानी छठ पूजा आयोजकों को हुई है। हांलाकि बीते दो वर्षो से एनजीटी के दिशा-निर्देशों को मानकर ही छठ पूजा का आयोजन किया जा रहा है। सिलीगुड़ी शहर की जनसंख्या लगातार बढ़ रही है। स्वाभाविक रूप से छठ व्रतियों की संख्या भी बढ़ रही है। तीन वर्ष पहले तक नदियों की धारा को अवरूद्ध कर घाट और अस्थाई ब्रिज का निर्माण कराया जाता था। बीते 26 अक्टूबर को दार्जिलिंग जिला प्रशासन ने सिलीगुड़ी महकमे के सभी छठ पूजा आयोजक कमिटी के साथ बैठक की। एनजीटी के निर्देशों से पूजा में होने वाली परेशानियों के समाधान का आश्वासन जिला शासक ने दिया। सिलीगुड़ी के एसडीओ सुमंत सहाय ने बताया कि इस बार भी नदियों की धारा अवरूद्ध कर घाट बनाने की इजाजत नहीं है। नदी के उपर अस्थाई बांस पुल बनाने पर भी रोक है। एनजीटी का निर्देश मानकर पूजा करने की अपील की गई है। छठ पूजा में सहायता के लिए साफ-सफाई व पेयजल मुहैया कराने की जिम्मेदारी सिलीगुड़ी नगर निगम व सिलीगुड़ी जलपाईगुड़ी विकास प्राधिकरण (एसजेडीए) को दी गई है। वहीं बिजली विभाग घाटों पर बिजली व्यवस्था करेगी। आपातकालीन चिकित्सा, आगजनी व सुरक्षा की व्यवस्था जिला प्रशासन की ओर से की जा रही है।

श्री श्री छठ पूजा लाल मोहन मौलिक निरंजन छठ घाट आयोजक मंडली के प्रवक्ता बिपिन कुमार गुप्ता (शिक्षक) ने बताया कि बीते दो वर्षो से एनजीटी के दिशा-निर्देशों को मानकर ही पूजा कर रहे हैं। नदी के बीच में घाट बनाने पर पाबंदी लगने के बाद से नदी किनारे पर अधिक दूरी तक घाट बनाया जा रहा है। अस्थाई ब्रिज नहीं होने से परेशानी होती है। उन्होंने आगे कहा कि महानंदा नदी किनारे शहर के कई विख्यात मिठाई दुकानों का कारखाना है। जिसका गंदा पानी सीधे नदी में गिरता है। गंदा पानी व उसके दुर्गध से पूजा में काफी परेशानी होती है। छठ पूजा के दौरान गंदा पानी नहीं छोड़ने की अपील कई बार कारखाना प्रबंधन से की गई है,लेकिन उससे कोई फायदा नहीं हुआ है। इस समस्या से को सिलीगुड़ी नगर निगम व जिला प्रशासन को भी अवगत कराया गया है।

नंबर-1 मां संतोषी छठ घाट कमेटी के संयोजक राजेश राय ने बताया कि बीते दो वर्षो से एनजीटी के निर्देशों का पालन किया जा रहा है। इस बार भी एनजीटी के दिशा-निर्देशों के मुताबिक ही घाट व पूजा का आयोजन किया जा रहा है। नदी के बीच में घाट बनाने पर रोक से वैकल्पिक तौर पर नदी किनारे ही कृत्रिम तालाब बनाया जाता है। नगर निगम, एसजेडीए व जिला प्रशासन भी छठ पूजा आयोजन में पूरी सहायता कर रही है।

क्या कहते हैं डिप्टी मेयर

सिलीगुड़ी नगर निगम के डिप्टी मेयर राम भजन महतो ने बताया कि घाट की साफ-सफाई निगम करा रही है। घाटों पर पेयजल की व्यवस्था की जाएगी। नदी में कारखाने का गंदा पानी नहीं गिरने देने की हिदायत कारखाना प्रबंधन को दी गई है। नहीं मानने पर कार्यवाई की जाएगी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.