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Chhath puja 2019: सूर्य षष्ठी का व्रत आरोग्यता, सौभाग्य व संतान के लिए किया जाता है

Chhath puja 2019 लोक आस्था का महापर्व खरना के बाद शनिवार को अस्ताचलगामी सूर्य की उपासना की जाएगी।

By Preeti jhaEdited By: Published: Sat, 02 Nov 2019 02:20 PM (IST)Updated: Sat, 02 Nov 2019 02:20 PM (IST)
Chhath puja 2019: सूर्य षष्ठी का व्रत आरोग्यता, सौभाग्य व संतान के लिए किया जाता है
Chhath puja 2019: सूर्य षष्ठी का व्रत आरोग्यता, सौभाग्य व संतान के लिए किया जाता है

सिलीगुड़ी, जेएनएन। लोक आस्था का महापर्व खरना के बाद शनिवार को अस्ताचलगामी सूर्य की उपासना की जाएगी।उत्तर बंगाल का कूचबिहार हो, मालदा, उत्तर दिनाजपुर या दक्षिण दिनाजपुर हर जगह छठ गीत सुनाई दे रहे है। विभिन्न घाटों पर सजाने का कार्य अंतिम चरण में है। प्रशासन की ओर से छठ पूजा कमिटियों को हर तरह का सहयोग किया जा रहा है।

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जानकारी हो कि गुरुवार से नहाय खाय से छह पूजा का शुभारंभ हो गया है। छठव्रतियों ने अल्पाहार व शुद्ध भोजन करके छठ पूजा के लिए अपने को शारीरिक व मानसिक रूप से तैयार कर चुकी है। कद्दु भात आदि ग्रहण करके उन्होंने व्रत के प्रथम चरण के लिए अपनी यात्रा शुरू की।

शुक्रवार को दिन भर निर्जला रहकर शाम को छठ मईया को गुड़ का खीर, केला, रोटी व पान, फूल, सुपारी आदि नवैद्य चढ़ाकर पूजा अर्चना की। यह सबसे कठिन व्रत माना जाता है। खरना का प्रसाद ग्रहण करके ही छठ व्रती अस्ताचलगामी व उदयीमान सूर्य को अघर्य देकर पूरे 36 घंटा उपवास रहेंगी। यदि खरना के प्रसाद के दौरान किसी ने टोक दिया, तो छठव्रती नहीं खाती। इसलिए एक कमरे में बंद रहकर प्रसाद ग्रहण करती है। इतना ही नहीं प्रसाद भी छठ व्रती के हाथों ही तैयार किया जाता है। मिट्टी के चुल्हें पर ठेकुआ, गुजिया, कसार, खाजा आदि प्रसाद बनाती है।

इस पर्व की विशेषता है कि पूरा परिवार इसमें सम्मलित होता है। घर के पुरुष की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है। वें भी काम धंधा छोड़कर घाट को दुल्हन की तरह सजाने में रमे रहते है। माथे पर छठ पूजा का प्रसाद सुपली, डगरा आदि में सजाकर ले जाते है। मार्ग कितना भी मुश्किल हो, वें नंगे पांव छठ घाट तक डाला सिर पर उठा कर ले जाते है।

छठ पूजा के लिए प्रशासन की ओर से चाक चौबंद व्यवस्था :

प्रशासन ने छठ पूजा के लिए चाक चौबंद व्यवस्था किया है। अध्यक्ष ने लोंगों से अपील की है कि स्वच्छता और पर्यावरण प्रदूषण रहित बनाए रखने के लिए घाट के किनारे केले का कटा हुआ पेड़ नहीं बल्कि जड़ समेत लगाए,ताकि पूजा बाद गंदगी ना फैलने पाए। उन्होंने बताया कि छठ के लिए नगरपालिका हर प्रकार के बंदोबस्त को तत्पर है। विशेषकर सुरक्षा व्यवस्था पर विशेष ध्यान दिया गया है। नदी में कोई दुर्घटना न हो जाए इसके लिए जगह जगह बचाव टीम को तैनात किया जाएगा। घाट तक आसानी से आना जाना बनी रहे इसके लिए समुचित व्यवस्था की गयी है। साफ सफाई का पूरा इंतजाम किया गया है। पूजा घाट के इर्दगिर्द आतिशबाजी को पूरी तरह निषिद्ध किया गया है। किसी अप्रिय घटना को रोकने के लिए नपा प्रशासन और पुलिस की पूरी मुस्तैदी रहेगी।

छठ मईया के कई भक्त का मानना है कि कोई अमर सुहाग की कामना, तो किसी को घर में सुख-शांति व समृद्ध की इच्छा होती है। छठ मइया का यह व्रत अब विश्व के हर कोने में मनाया जाता है।


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