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अरुणाचल के बेसहारा बच्चे को मुसलमान बना रखा गया था यूपी के मदरसे में

पूर्वोत्तर भारत के बेसहारा बच्चों को दूसरे राज्य में ले जाकर धर्म परिवर्तन कराने का मामला सामने आया है। अरुणाचल के एक ऐसे ही बच्चे को यूपी के मदरसे से छुड़ाकर लाया गया है।

By Rajesh PatelEdited By: Published: Wed, 26 Dec 2018 12:54 PM (IST)Updated: Wed, 26 Dec 2018 12:54 PM (IST)
अरुणाचल के बेसहारा बच्चे को मुसलमान बना रखा गया था यूपी के मदरसे में
अरुणाचल के बेसहारा बच्चे को मुसलमान बना रखा गया था यूपी के मदरसे में
  • अरुणाचल प्रदेश के 12 साल के तोलो तोयू का धर्म परिवर्तन कराकर नाम रखा गया था मोहम्मद अरशद
  • ब्रेन वॉश इस कदर किया गया था कि घर आने के नाम पर दे रहा था आत्महत्या की धमका
  • सिलीगुड़ी निवासी उसके फूफा हिम बहादुर सोनार के प्रयास से लाया जा सका बच्चा
  • एक मौलवी ने अच्छे जीवन का लालच देकर उसे भेजा था मुजफ्फरनगर के खतौली के एक मदरसे में
  • बहुत प्रयास के बाद मदरसेवालों ने उसे दिल्ली स्टेशन के पास छोड़ा

सिलीगुड़ी [जागरण संवाददाता] । पूर्वोत्तर भारत के बेसहारा बच्चों को दूसरे राज्य में ले जाकर धर्म परिवर्तन कराने का मामला सामने आया है। अरुणाचल के एक ऐसा ही बच्चे को उत्तर प्रदेश के एक मदरसे से सिलीगुड़ी के प्रधान नगर थानांतर्गत उत्तर पलाश इलाके के निवासी उसके फूफा हिम बहादुर सोनार उसे लेकर आए हैं। उन्होंने बताया कि उनके 12 साल के उनके भतीजे तोलो तायू को मुसलमान बनाकर दिल्ली के पास उत्तर प्रदेश के एक मदरसे में रखा गया था। बच्चे के पिता का नाम बेते तायू है। उसका घर अरुणाचल प्रदेश के अपर दिबांग वैली जिले के अनिनी में है। 
हिम बहादुर ने बताया कि वह बच्चे के फूफा हैं। उनकी पत्नी अरुणाचल प्रदेश की हैं। उन्होंने बताया कि तोलो तायू की मां बचपन में ही उसे छोड़कर कहीं चली गई। इसके बाद से उसके पिता का दिमागी संतुलन ठीक नहीं रहा।  इसी दौरान तोलो तायू किसी माध्यम से असम के तिनसुकिया जिले के चपाखोवा में किसी मौलवी से संपर्क में आया। बच्चे को बेहतर जिंदगी देने के नाम पर वह उसे स्थानीय मदरसा ले गया। उसके बाद उसे बाहर भेज दिया गया। 
दो साल से परिजन से नहीं मिला था बच्चा
दो साल से बच्चे की अपने परिजनों से मुलाकात नहीं हुई थी। उसकी बुआ आशा देवी की शादी सिलीगुड़ी में हुई है। उन्होंने पति हिम बहादुर सोनार से अपने भतीजे को खोजने में मदद का अनुरोध किया। 
हिमबहादुर ने बताया कि उन्होंने उस मौलवी से संपर्क किया जो बच्चे को ले गया था। मौलवी सही ठिकाना नहीं बता रहा था। कभी उत्तर प्रदेश तो कभी दिल्ली के मदरसे में होने की बात करता था। काफी कोशिश करने और पुलिस की धमकी देने के बाद उसने सही जानकारी दी।
मौलवी से पता चला कि बच्चे का नाम बदलकर मोहम्मद अरशद रखा गया है और वह मुजफ्फरनगर के एक मदरसे में रहता है। दबाव बढ़ाने पर वहां के मौलवी ने घर-परिवार से मिलने के लिए बच्चे को 15 दिन के लिए घर ले जाने की अनुमति दी। 
बच्चे को सौंपने के लिए मदरसेवालों ने बुलाया खतौली
इसके बाद बच्चे को ले जाने के लिए उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जाने के रास्ते में स्थित खतौली बुलाया गया।लेकिन हिम बहादुर ने बच्चे को किसी भाड़े की कार से नई दिल्ली भेजने के लिए कहा। तीन हजार किराया देने की बात कहने पर उस बच्चे को नई दिल्ली स्टेशन पर रिजर्वेशन काउंटर के पास छोड़ दिया गया।
बच्चे के पास मदरसे का एक पहचान पत्र भी मिला, जिसमें जमीयतुल इमाम वलीउल्लाह अल-इस्लामिया, फुलत, जिला मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश का पता दर्ज है। सोनार ने कहा कि दिल्ली के पहाड़गंज थाने की पुलिस ने बच्चे को बरामद कराने में काफी सहयोग किया। इसके अलावा कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी इस काम में मदद की। 
ब्रेन वॉश के कारण बच्चा फिर जिद करने लगा मदरसा लौटने की
बच्चे को बरामद करने के आधे घंटे बाद ही वह वापस मदरसा जाने की जिद करने लगा। यहां तक कि मदरसा से वापस ले जाने पर आत्महत्या की धमकी देने लगा। इसके बाद आरएसएस कार्यकर्ताओं ने उसे काफी समझाया-बुझाया। बच्चे की स्थिति को देखते हुए उसे तुरंत वापस ले जाना संभव नहीं था। इसलिए उसे नई दिल्ली के एक होटल में पांच दिन तक रखा गया। जब सामान्य हुआ तब उसे सिलीगुड़ी लाया गया। 
हिम बहादुर सोनार ने बताया कि इस पूरे अभियान के दौरान यह सामने आया कि पूर्वोत्तर राज्यों के दूरदराज के गांवों और आदिवासी क्षेत्रों से गरीब परिवार के बेसहारा बच्चों को उत्तर प्रदेश ले जाकर उनका धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है। इस मामले में उन बच्चों को खास तौर पर निशाना बनाया जाता है, जो अनाथ होते हैं। उनके निकट रिश्तेदारों को मदरसे में मुफ्त शिक्षा व अच्छी देखभाल का आश्वासन देकर बच्चों को ले जाया जाता है। इन बच्चों को उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर, खतौली, बागपत, बड़ौत व मेरठ के मदरसों में लाकर इन्हें मुसलमान बना दिया जाता है। इसके बाद इनका इस तरह ब्रेन वॉश किया जाता है कि वे मदरसा छोड़कर अपने घर नहीं लौटना चाहते।

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