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मंत्री से मिले बस मालिक, मदद की गुहार

-सिलीगुड़ी में 500 स्कूल बसों से जुड़े मालिकों और 1500 कर्मचारियों का परिवार संकट के सम्

By JagranEdited By: Published: Sat, 23 May 2020 08:34 PM (IST)Updated: Sat, 23 May 2020 08:34 PM (IST)
मंत्री से मिले बस मालिक, मदद की गुहार
मंत्री से मिले बस मालिक, मदद की गुहार

-सिलीगुड़ी में 500 स्कूल बसों से जुड़े मालिकों और 1500 कर्मचारियों का परिवार संकट के सम्मुखीन

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-तेल की लागत छोड़ कर अन्य सारे खर्च जारी, प्रति महीने प्रति बस 77000 रुपये है खर्च

-लॉकडाउन के चलते स्कूल बस फीस का भुगतान नहीं कर रहे अभिभावक, कह रहे, नहीं चल रही स्कूल बस, नहीं देंगे फीस जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : स्कूल बस ऑनर्स एसोसिएशन के प्रतिनिधियों ने शनिवार को यहां मैनाक टूरिस्ट लॉज स्थित पर्यटन विभाग के कार्यालय में जाकर पर्यटन मंत्री गौतम देव से मुलाकात की और उनके समक्ष अपनी समस्याएं रखी। कहा कि, वर्तमान लॉकडाउन अवधि में विद्यार्थियों के अभिभावकों द्वारा स्कूल बस फीस का भुगतान नहीं किया गया है और न ही किया जा रहा है। इसके चलते स्कूल बस मालिकान गंभीर संकट झेलने को विवश हो गए हैं। इसका समाधान किया जाना चाहिए। स्कूल बस ऑनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सौमित्र चटर्जी ने कहा कि, वर्तमान समय में, अभिभावक तर्क दे रहे हैं कि, स्कूल बंद है और स्कूल बसें नहीं चल रही हैं, इसलिए वे स्कूल बस शुल्क का भुगतान नहीं करेंगे और साथ ही वे भुगतान कर भी नहीं रहे हैं। ऐसे में अगर वे स्कूल बस की फीस नहीं भरते हैं, तो स्कूल बस संचालन मुश्किल में पड़ जाएगा। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के कारण अगर स्कूल बसें नहीं चल रही हैं तो केवल और केवल तेल की लागत नहीं आ रही है। अन्य सभी खर्च जारी हैं। इसमें ड्राइवर, हेल्पर और अन्य कर्मचारियों के वेतन के रूप में प्रति माह 18000 से 20000 रुपये प्रति बस शामिल हैं। फिर, बैंक ऋण की ईएमआई, सड़क कर, बीमा, फिटनेस, और रख-रखाव लागत व पार्किंग आदि के खर्च हैं। कुल मिलाकर यह प्रति बस प्रति माह 77000 रुपये का खर्च पड़ रहा है। वह भी लॉकडाउन के चलते बिना किसी आमदनी के ही। आखिर इसे हम कब तक वहन कर पाएंगे? हमारे पास जो कुछ भी बचा-खुचा था वह सब पिछले दो महीनों में खत्म हो गया है। सरकार का कहना है कि न तो कर्मचारियों का वेतन कम किया जा सकता है और न ही उन्हें बर्खास्त किया जा सकता है। यह भी ध्यान देने की बात है कि स्कूल बसों का उपयोग किसी अन्य कार्य के लिए नहीं किया जा सकता है। अब, ऐसी स्थिति में हम करें तो करें क्या? वर्तमान में, सबसे अधिक पीड़ित हम स्कूल बस वाले ही हैं। अंग्रेजी स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के अभिभावक शिक्षित और आर्थिक रूप से संपन्न होते हैं। उन्हें हम बस वालों की समस्याओं को समझना चाहिए। सिलीगुड़ी में 500 स्कूल बसें हैं। उसके माध्यम से पंद्रह सौ कर्मचारियों का परिवार चलता है। हम बस मालिकान का भी परिवार उसी के बलबूते ही चलता है। उन्होंने कहा कि हमने अपनी सारी समस्याएं मंत्री के समक्ष रखी हैं। मंत्री ने हमारी समस्याओं के हर संभव समाधान का आश्वासन दिया है।


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