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कभी नहीं गली भाजपा की दाल,क्या इस बार होगा कमाल

फ्लैश बैक सिलीगुड़ी विधानसभा -तीसरे यह चौथे नंबर से करना पड़ा है संतोष -वर्ष 2006 में

By JagranEdited By: Published: Sat, 06 Mar 2021 08:16 PM (IST)Updated: Sat, 06 Mar 2021 08:16 PM (IST)
कभी नहीं गली भाजपा की दाल,क्या इस बार होगा कमाल
कभी नहीं गली भाजपा की दाल,क्या इस बार होगा कमाल

फ्लैश बैक

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सिलीगुड़ी विधानसभा -तीसरे यह चौथे नंबर से करना पड़ा है संतोष

-वर्ष 2006 में तो कोई उम्मीदवार ही नहीं मिला था

-उत्तर बंगाल में सिलीगुड़ी सीट सबके लिए टार्गेट नंबर वन विपिन राय ,सिलीगुड़ी: राज्य विधानसभा चुनाव की घोषणा हो चुकी है। राजनीतिक दलों ने अपने-अपने उम्मीदवारों की घोषणा भी शुरू कर दी है। इस बार विधानसभा चुनाव में एक और जहा सबकी निगाहें किसकी सरकार बनेगी इस बात पर टिकी हुई है वहीं दूसरी ओर सिलीगुड़ी विधानसभा केंद्र पर किसका कब्जा होगा,इसको लेकर भी उत्सुकता है। क्योंकि इस विधानसभा क्षेत्र से अधिकांश मौकों पर वाम मोर्चा उम्मीदवार की ही जीत हुई है। जबकि राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल काग्रेस किसी भी कीमत पर सिलीगुड़ी विधानसभा पर कब्जा करना चाहती है। तृणमूल ने इस बार ओम प्रकाश मिश्रा को मैदान में उतारा है। जबकि उनसे मुकाबले के लिए अभी भाजपा एवं वाम मोर्चा ने अभी अपने उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है। ऐसे माना जा रहा है कि वाम मोर्चा उम्मीदवार के रूप में एक बार फिर से माकपा नेता तथा वर्तमान विधायक अशोक भट्टाचार्य ही ताल ठोकेंगे। लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि सिलीगुड़ी विधानसभा क्षेत्र में भाजपा कभी भी कमाल नहीं कर पाई है। पार्टी कभी मुख्य मुकाबले में भी नहीं रही है। बहुत ही कम वोटों के साथ तीसरे यहां तक कि चौथे स्थान पर रही है। यदि पिछले कुछ चुनावों की बात करें तो वर्ष 1996 के विधानसभा चुनाव में भाजपा तीसरे स्थान पर रही थी। तब भाजपा उम्मीदवार एमपी मुखर्जी मात्र 7.6 प्रतिशत यानी 14209 वोट ही ले सके थे। मुख्य मुकाबला वाम मोर्चा के अशोक भट्टाचार्य एवं काग्रेस के शकर मालाकार के बीच था। अशोक भट्टाचार्य 1 लाख 6 हजार 62 वोट लेकर चुनाव जीतने में सफल रहे थे। उन्हें उन्हें 55. 54 फीसदी वोट मिला था। जबकि शकर मालाकार 51 हजार 909 यानी 27.01 फीसदी वोट लेने में कामयाब रहे थे। 1996 के बाद 2001 के चुनाव में भाजपा की स्थिति और खराब हो गई। तब भाजपा उम्मीदवार गोविंद चटर्जी चौथे स्थान पर थे। 2001 के चुनाव में वामो उम्मीदवार अशोक भट्टाचार्य ने फिर से बाजी मारी थी। वह 88 हजार110 वोट लेने में कामयाब रहे थे। उनको 48.03 फीसदी वोट मिला था। जबकि दूसरे स्थान पर तृणमूल काग्रेस के प्रशात नंदी रहे थे। प्रशात नंदी 65 हजार 229 यानी यानी 35.56 फीसदी वोट मिला था। 2006 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने अपना उम्मीदवार नहीं उतारा था। कहते हैं कि तब भाजपा को चुनाव लड़ने के लिए कोई उम्मीदवार ही नहीं मिला था। जबकि तृणमूल काग्रेस की ओर से प्रतुल चक्रवर्ती मैदान में उतरे थे। वह 28604 यानी 13.5 फ़ीसदी वोट लेकर तीसरे स्थान पर रहे थे। जबकि काग्रेस के नांटू पाल 42972 यानी 20.2 फीसदी वोट लेकर दूसरे स्थान पर रहे थे। तब एक बार फिर से अशोक भट्टाचार्य चुनाव जीतने में सफल रहे। उन्होंने 1 लाख 17943 यानी 55.40 फीसद वोट प्राप्त किया था।

2011 के चुनाव में भी भाजपा की स्थिति कुछ खास नहीं रही। भाजपा फिर तीसरे स्थान पर रही थी। तब परिवर्तन की लहर में तृणमूल काग्रेस के उम्मीदवार डॉ रुद्रनाथ भट्टाचार्य ने चुनाव जीता था। उन्होंने लगातार चुनाव जीतते आ रहे अशोक भट्टाचार्य को पटकनी दी थी। रुद्रनाथ 72319 यानी 48.7 फीसद वोट लेकर चुनाव जीतने में सफल रहे थे। जबकि अशोक नारायण भट्टाचार्य 44.73 फीसदी यानी 67313 वोट ही पा सके। 2014 में हवा बदली पर परिणाम नहीं

2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा केंद्र में सत्ता में आ गई थी। उसके बाद 2016 में राज्य विधानसभा का चुनाव हुआ। केंद्र में सत्ता में आने के बाद भाजपा एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तूती बोल रही थी। लग रहा था कि पश्चिम बंगाल में भी केंद्र की तरह परिवर्तन हो जाएगा। भाजपा ने गीता चटर्जी को सिलीगुड़ी विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवार उतारा। लेकिन परिणाम में कोई अंतर नहीं आया। भाजपा ने भले ही अपना उम्मीदवार बदल दिया हो लेकिन परिणाम वहीं तीसरा स्थान आया। गीता चटर्जी मात्र 11.40 फीसद यानी 19301 लेने में कामयाब रही थी। हा यह अलग था कि भाजपा के वोट प्रतिशत में पिछले चुनाव के मुकाबले मुकाबले 7.41 फ़ीसदी की बढ़ोत्तरी हुई थी। 2016 का चुनाव अशोक भट्टाचार्य जीते थे। उन्हें 78054 वोट यानी 40.36 फीसदी वोट मिला था। जबकि दूसरे स्थान पर रहने वाले बाइचुंग भूटिया 38 फीसदी यानी 63982 वोट ही पा सके थे। हर हाल में जीत की होगी कोशिश

इस बार राज्य में परिवर्तन की बात कही जा रही है। भाजपा ने विधानसभा चुनाव जीतने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। तमाम बड़े नेताओं का चुनाव घोषणा से पहले ही आना-जाना शुरू हो गया है। चुनाव घोषणा के बाद भाजपा पूरे दमखम के साथ चुनाव लड़ रही है। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार इस बार चुनाव में मुख्य मुकाबला तृणमूल काग्रेस और भाजपा के ही बीच होगा। 2019 के लोकसभा चुनाव में राज्य में खासकर उत्तर बंगाल में शानदार सफलता हासिल की है। इसलिए भाजपा उत्तर बंगाल को विशेष रूप से टार्गेट कर रही है। अब देखना है कि बाजी किसके हाथ लगती है। सिलीगुड़ी विधानसभा क्षेत्र में भाजपा कब्जा कर पाती है या फिर तीसरे स्थान से ज्यादा से ज्यादा बढ़ कर दूसरे स्थान पर आ जाएगी। यदि पार्टी जीत जाती है तो सिलीगुड़ी विधानसभा क्षेत्र से भाजपा पहली बार चुनाव जीतेगी।

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इस बार पूरे राज्य मे भाजपा की लहर है। सिलीगुड़ी ही क्या पूरे राज्य में भाजपा चुनाव जीतेगी। एक दो दिनों में उम्मीदवार की घोषणा भी हो जाएगी। पार्टी जिसको भी उम्मीदवार बनाए हम उनको चुनाव जीताने के लिए जी जान लगा देंगे। इस बार ममता सरकार का जाना तय है।

-प्रवीण अग्रवाल,जिलाध्यक्ष,भाजपा

साल भाजपा उम्मीदवार वोट स्थान

1996 गीता चटर्जी 19300 तीन

2001 गोविंद चटर्जी 8417 चार

2011 अरूण प्रसाद सरकार तीन 6069

2016 गीता चटर्जी 19300 तीन


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