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दार्जिलिंग व पहाड़ों में चाय श्रमिकों की मांग का भाजपा सांसद राजू बिष्‍ट ने किया समर्थन

सांसद राजू बिष्‍ट ने कहा कि पार्वत्य क्षेत्र के लिए हाल ही में एक फरमान जारी किया जिसमें कहा गया कि पूजा बोनस 15 प्रतिशत और पांच प्रतिशत दो किस्तों में दिया जाएगा। यह पार्वत्य क्षेत्र के चाय श्रमिकों के प्रति पूरी तरह से भेदभावपूर्ण रवैया है।

By Edited By: Published: Tue, 27 Sep 2022 10:11 PM (IST)Updated: Wed, 28 Sep 2022 02:11 PM (IST)
दार्जिलिंग व पहाड़ों में चाय श्रमिकों की मांग का भाजपा सांसद राजू बिष्‍ट ने किया समर्थन
दार्जिलिंग केे सांसद तथा भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजू बिष्ट की फाइल फोटो।

सिलीगुड़ी, जागरण संवाददाता। दार्जिलिंग पार्वत्य क्षेत्र के चाय बागान श्रमिकों के बोनस का भुगतान दो चरणों में किए जाने का विरोध चाय बागान श्रमिक संगठनों ने शुरू कर दिया है। बागान श्रमिक संगठनों द्वारा जारी इस विरोध का समर्थन दार्जिलिंग केे सांसद तथा भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजू बिष्ट ने भी किया है। उन्होंने मंगलवार को कहा कि बंगाल सरकार द्वारा जारी भेदभावपूर्ण बोनस वितरण के खिलाफ चाय बागान श्रमिक संगठनों के संयुक्त मंच की मांग का वह समर्थन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि दार्जिलिंग क्षेत्र के चाय श्रमिकों की दुर्दशा जारी है। इसके प्रति ममता सरकार द्वारा प्रदर्शित की जा रही सहानुभूति में एक जरा भी सच्चाई नहीं है। यह सिर्फ दिखावा भर है।

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उन्‍होंने कहा कि तृणमूल सरकार ने चाय उद्योग में न्यूनतम मजदूरी अधिनियम को लागू करने से इन्‍कार कर दिया है। जिसके कारण उत्तर बंगाल के चाय बागान श्रमिकों को देश में सबसे कम मजदूरी मिल रही है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र के चाय बागान मजदूर उत्सव के लिए वार्षिक बोनस पर अत्यधिक निर्भर रहते हैं। बिष्ट ने कहा सिलीगुड़ी और तराई क्षेत्र के चाय बागान मालिकों ने सितंबर की शुरुआत में एक किस्त में 20 प्रतिशत बोनस पर सहमति व्यक्त की। जबकि पार्वत्य क्षेत्र के लिए हाल ही में एक फरमान जारी किया जिसमें कहा गया कि पूजा बोनस 15 प्रतिशत और पांच प्रतिशत दो किस्तों में दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह पार्वत्य क्षेत्र के चाय श्रमिकों के प्रति पूरी तरह से भेदभावपूर्ण रवैया है। हांलाकि शुक्र है कि कुछ चाय कंपनियां इस फरमान को नजरअंदाज कर रही हैं और श्रमिकों को एक बार में 20 प्रतिशत बोनस का भुगतान कर रही हैं। भाजपा नेता ने कहा कि पिछले 11 वर्षों से  तृणमूल सरकार ने इस क्षेत्र के चाय बागान श्रमिकों के साथ भेदभाव किया है। चाय बागान मालिकों को तथाकथित 'चाय पर्यटन' के नाम पर 15 प्रतिशत भूमि अन्य कार्य के लिए डायवर्ट किया जा रहा है।


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