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शंकर मालाकार से मिले बिमल गुरुंग व रोशन गिरि

-नए राजनीतिक समीकरण बनने की चर्चा शुरू -विस चुनाव से पहले शहर में मची राजनीतिक खलबली चु

By JagranEdited By: Published: Sat, 16 Jan 2021 09:32 AM (IST)Updated: Sat, 16 Jan 2021 09:32 AM (IST)
शंकर मालाकार से मिले बिमल गुरुंग व रोशन गिरि
शंकर मालाकार से मिले बिमल गुरुंग व रोशन गिरि

-नए राजनीतिक समीकरण बनने की चर्चा शुरू

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-विस चुनाव से पहले शहर में मची राजनीतिक खलबली चुनावी पारा

-क्या ममता बनर्जी के इशारे पर महागठबंधन की हो रही है कवायद

-क्या तृणमूल छोड़ कांग्रेस की छत्रछाया में आना चाहता है गोजमुमो

जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : तृणमूल कांग्रेस नेत्री ममता बनर्जी की छत्रछाया में पुन: सार्वजनिक जीवन में लौटे गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (गोजमुमो) अध्यक्ष बिमल गुरुंग व महासचिव रोशन गिरि शुक्रवार शाम अचानक दार्जिलिंग जिला कांग्रेस अध्यक्ष व पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष विधायक शंकर मालाकार के यहां बाबू पाड़ा स्थित उनके घर जा पहुंचे। वहां बहुत देर रुके। उनसे बातचीत की। चाय का दौर चला। इस अनोखे मिलन को लेकर राजनीतिक गलियारे में तरह-तरह की चर्चा जोर पकड़ने लगी है। विधानसभा चुना से पहले शहर में राजनीतिक खलबली मच गई है। उसमें विशेष यह कि इसी दिन उपरोक्त दोनों नेता कोलकाता से लौटे और इसी दिन शंकर मालाकार के घर जा कर उनसे मिले। इस मिलन पर दो तरह की बातें उठने लगी हैं। एक, कहीं यह मिलन तृणमूल नेत्री ममता बनर्जी के इशारे पर आसन्न पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव हेतु महागठबंधन की कवायद का हिस्सा तो नहीं? वहीं, दूसरी बात यह कि क्या तृणमूल के साथ बिमल गुरुंग गुट के गोजमुमो के रिश्ते पर कोई आंच तो नहीं आ गई जो उन्होंने कांग्रेस की शरण ली? इन अटकलों पर अभी तक कुछ भी खुलासा नहीं हो पाया है।

-यह कोई राजनीतिक नहीं बल्कि शिष्टाचार भेंट मात्र थी : शंकर मालाकार

इस बारे में कांग्रेस नेता व माटीगाड़ा-नक्सलबाड़ी के विधायक शंकर मालाकार ने कहा कि मेरे साथ बिमल गुरुंग व रोशन गिरि का संपर्क कोई आज का नहीं है। यह संपर्क 2011 से ही है। उसी लिए ही यह मिलन है। बिमल गुरुंग ने खुद ही गुरुवार को मुझे फोन किया था। मेरा हाल-चाल पूछा। फिर यह पूछा कि मैं कहां हूं? मैंने जब बताया कि सिलीगुड़ी में ही हूं तो उन्होंने कहा कि मिलना चाहता हूं, घर पर आना चाहता हूं, वाय पीना, बैठना-बतियाना चाहता हूं। तो मैंने कहा कि स्वागत है। उसी के तहत बिमल गुरुंग व रोशन गिरि मेरे घर आए। यह केवल एक शिष्टाचार भेंट थी। कोई राजनीतिक भेंट नहीं थी।

उन्होंने यह भी कि उन लोगों के आंदोलन के समय 2011 में दार्जिलिंग पार्वत्य क्षेत्र के स्थायी राजनीतिक समाधान की दिशा में गोरखालैंड टेरिटोरिअल एडमिनिस्ट्रेशन (जीटीए) गठन में मैंने बहुत मदद की थी। उन लोगों को दिल्ली ले जा कर तत्कालीन कांग्रेस सरकार के कद्दावर मंत्रियों सुशील शिंदे, पी. चिदंबरम आदि से भेंट करवाई थी। उसके बाद जीटीए अस्तित्व में आया था। 2011 में विधानसभा चुनाव में उन लोगों ने भी मेरी बहुत मदद की थी। उसी समय जो संपर्क बना वह अब तक बरकरार है। इसका वर्तमान राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है। उनसे जब यह पूछा गया कि उनके माटीगाड़ा-नक्सलबाड़ी विधानसभा क्षेत्र में गोरखा समुदाय काफी संख्या में बसता है तो आसन्न विधानसभा चुनाव भी उसी सीट से में खुद के लिए गोरखा समुदाय का वोट रूपी समर्थन पाने की यह कवायद थी क्या? इस पर शंकर मालाकार ने कहा कि हां उक्त क्षेत्र में गोरखा बहुत हैं लेकिन इस मिलन में कोई चुनावी बात नहीं हुई है। यदि कोई मेरा समर्थन करता है तो मैं तो स्वागत ही करूंगा। अभी मैंने किसी से कोई समर्थन नहीं मांगा है। जब चुनाव आएगा तो हर किसी के पास जाऊंगा। अपने लिए समर्थन मांगूंगा।

एक कोई नया गठबंधन हो सकता है क्या? इस पर कांग्रेस नेता का जवाब था कि वैसी कोई बात ही नहीं हुई है। हमारी पार्टी कांग्रेस राष्ट्रीय पार्टी है। सबसे पुरानी, 136 साल पुरानी पार्टी है। इसमें बड़े निर्णय आलाकमान लेता है। अभी तक केंद्रीय व प्रदेश नेतृत्व ने केवल माकपा संग ही गठबंधन किया है। नया कुछ होगा कि नहीं होगा उसका निर्णय भी आलाकमान ही लेगा।


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