Bengal Chunav: बंगाल में चुनावी पोस्टर बनकर रह गए हैं चाय बागान के श्रमिक
Bengal Chunav चाय बागान श्रमिक निर्मल उरांव ने बताया कि श्रमिकों की दशा दयनीय है। जल्द बंद चाय बागान खोले जाने चाहिए। पैसे के अभाव में दो वक्त की रोटी का जुगाड़ भी करना मुश्किल हो रहा है।
गौरव मिश्र, सिलीगुड़ी। बंगाल में आज भी चाय बागान श्रमिकों की स्थिति अत्यंत दयनीय है। न तो उन्हें भरपेट भोजन, न ही सिर छिपाने की मजबूत छत नसीब है। और तो और बागान क्षेत्र में पत्ती तोड़ने के दौरान अक्सर जंगली जानवरों के हमले में श्रमिक अपनी जान तक गंवा देते हैं। श्रम कार्यालय के अनुसार दार्जिलिंग, जलपाईगुड़ी और अलीपुरद्वार में ही 302 चाय बागान है। इसके अलावा कुछ अन्य छोटे बागान भी इसमें शामिल है। इन बागानों में कुल 3.40 लाख श्रमिक दिहाड़ी मजदूर के तौर पर काम करते हैं। महंगाई के इस दौर में उनकी दिहाड़ी इतनी कम है कि अधिकतर श्रमिक कुपोषण का शिकार हो जाते हैं। इन क्षेत्रों में अब भी करीब 15 चाय बागान बंद पड़े हैं।
इन हालातों में करते काम: चाय बागान श्रमिकों का कहना है कि बागान में सप्ताह में छह दिन काम करना पड़ता है। प्रत्येक श्रमिक को प्रतिदिन 25 किलो चाय पत्ती तोड़ना अनिवार्य है। इसमें आठ से नौ घंटे लगते हैं। अगर कम तोड़ा तो तीन रुपये प्रतिकिलो की दर से कटौती होती है। जबकि अधिक तोड़ने पर मात्र डेढ़ रुपये प्रति किलो का भुगतान होता है। वर्तमान समय में श्रमिकों को 202 रुपये प्रतिदिन की दर मजदूरी मिलती है। यह न्यूनतम मजदूरी से भी कम है। अगर बागान बंद हो जाता है तो श्रमिकों के पसा जीविका का कोई विकल्प नहीं होता। इसके बाद वह परिवार को छोड़कर दूसरे राज्यों में जाने को विवश होते हैं अथवा नदी में बालू-पत्थर निकालने का काम करते हैं।
सभी हैं बेपरवाह: आए दिन कोई न कोई चाय बागान बंद होने व श्रमिकों को समय पर मजदूरी नहीं मिलने की शिकायत आती रहती है। बागान मालिकों की मनमानी और राज्य एवं केंद्र सरकार के उदासीन रवैये से श्रमिकों की स्थिति बदतर हो रही है। कुपोषण व विभिन्न जानलेवा बीमारियों के शिकार श्रमिकों को स्वास्थ्य सुविधा भी मयस्सर नहीं है, लेकिन चुनाव के दौरान हर राजनीतिक आश्वासन की घुट्टी पिलाते हैं और चुनावी फैसला आने के बाद इनकी सुधि तक नहीं लेते जिसका नतीजा है कि अभी भी पेयजल, स्वास्थ्य, शिक्षा समेत विभिन्न बुनियादी सुविधाओं से बागान श्रमिक वंचित हैं।
चाय बागान के तृणमूल कांग्रेस के मजदूर यूनियन के अध्यक्ष मोहन शर्मा ने बताया कि वर्तमान सरकार से चाय श्रमिक पूरी तरह से संतुष्ट हैं। उन लोगों के लिए जय जोहार, चाय सुंदर समेत कई कल्याणकारी योजनाएं शुरू की गई है। बंद बागानों को खोला भी जा रहा है। भाजपा नेता चुनाव के समय आश्वासन देकर फिर लापता हो जाते हैं।
अलीपुरद्वार और चाय बागान श्रमिक नेता भाजपा सांसद जॉन बारला ने बताया कि श्रमिकों के हित में केंद्र सरकार बजट में 1000 करोड़ का पैकेज दिया है। मगर राज्य सरकार व चाय बागान मालिकों का रवैया श्रमिकों के प्रति ठीक नहीं है। श्रमिकों का हक मारा जा रहा है। राज्य में भाजपा की सरकार आई तो श्रमिकों को उनका हक जरूर मिलेगा।