एटीएम फ्रॉड गिरोह का मास्टरमाइंड गिरफ्तार
-विभिन्न बैंकों के कई डेबिट कार्ड बरामद -पुलिस ने बागडोगरा एयरपोर्ट से दबोचा -ट्रांजिट
-विभिन्न बैंकों के कई डेबिट कार्ड बरामद
-पुलिस ने बागडोगरा एयरपोर्ट से दबोचा
-ट्रांजिट रिमांड पर खरदह लेकर गई पुलिस जागरण संवाददाता,बागडोगरा: एटीएम फ्रॉड गिरोह के मास्टरमाइंड को बागडोगरा थाना पुलिस ने बागडोगरा एयरपोर्ट से गिरफ्तार कर लिया है। उसके पास से विभिन्न बैंको के कई एटीएम कार्ड बरामद हुए हैं। आरोपी का नाम देवाशीष मुखोपाध्याय है। बागडोगरा पुलिस के साथ ही खरदह थाना पुलिस भी मौके पर थी।
बृहस्पतिवार को ट्राजिट रिमाड पर आरोपी को लेकर पुलिस खरदह रवाना हो गई। पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार देवाशीष ने कोलकाता के लेक टाउन एवं दमदम आदि इलाके में कई कार्यालय बना रखा है। इन कार्यालयों को कॉरपोरेट लुक दिया गया है। एक वेबसाइट और एक फर्जी फेसबुक अकाउंट भी उसने बना रखी है। पुलिस सूत्रों ने बताया कि वह फेसबुक से लोगों से दोस्ती करता था और बातों बातों में बैंक अकाउंट की जानकारी लेकर खाते से पैसे निकाल लेता था। अबतक लाखों रुपए वह दर्जनों लोगों के खाते से उड़ा चुका है। उसने कई कर्मचारियों की भी नियुक्ति कर रखी थी। यह कर्मचारी भी खाते से पैसे निकालने में उसकी मदद करते थे। आरोपी के खिलाफ कोलकाता के अलावा खरदह थाने में भी शिकायत दर्ज कराई गई थी। उसके बाद ही जब पुलिस मामले की जाच में जुटी तो पहले पार्थ साह नामक एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया। पुलिस खरदह में विभिन्न एटीएम की निगरानी कर रही थी। पार्थ साह से पूछताछ के बाद मुखोपाध्याय का नाम सामने आया। पुलिस ने उसकी गिरफ्तारी की तैयारी कर ली। पुलिस को पता चला कि वह दमदम एयरपोर्ट से बागडोगरा के लिए रवाना होने वाला है। वह सिलीगुड़ी में कहीं आश्रय लेने वाला था। पुलिस ने उसको पकड़ने के लिए दमदम एयरपोर्ट तीन टीमें तैनात कर रखी थी। लेकिन वह पुलिस को चकमा देकर बागडोगरा आ गया। तत्काल इसकी सूचना बागडोगरा थाना पुलिस को दी गई। बागडोगरा एयरपोर्ट पर पहले से ही पुलिस की एक टीम तैनात थी। जैसे ही आरोपी एयरपोर्ट से बाहर निकला उसे दबोच लिया गया। इस बीच का खरदह थाना की पुलिस टीम भी बागडोगरा पहुंच गई। आरोपी को कोर्ट में पेश कर रिमाड पर लिया गया। पुलिस उसे लेकर खरदह के लिए रवाना हो गई है। ऐसे वह मूल रूप से हावड़ा के सकरैल का रहने वाला है। उसके असली नाम की जानकारी भी उसके गिरोह के लोगों को नहीं थी। लोग उसे बाबू सोना के नाम से जानते थे।