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असली लड़ाई तो कोरोना संकट खत्म होने के बाद

-मेयर डायलॉग कार्यक्रम में बोले अशोक भट्टाचार्य -अर्थव्यवस्था पर सबसे बुरा असररोजगार प्रभा

By JagranEdited By: Published: Sat, 06 Jun 2020 09:27 PM (IST)Updated: Sun, 07 Jun 2020 06:23 AM (IST)
असली लड़ाई तो कोरोना संकट खत्म होने के बाद
असली लड़ाई तो कोरोना संकट खत्म होने के बाद

-मेयर डायलॉग कार्यक्रम में बोले अशोक भट्टाचार्य

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-अर्थव्यवस्था पर सबसे बुरा असर,रोजगार प्रभावित

जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी: कोरोना वायरस को लेकर जो समस्या दिखाई दे रही है,उससे कहीं ज्यादा समस्या समाज, प्रशासन, सरकार और देश के सामने है। कोरोना से सबको एक साथ लड़ना होगा। यह कहना है विधायक सह सिलीगुड़ी नगर निगम के प्रशासनिक बोर्ड के चेयरमैन अशोक भट्टाचार्य का। शनिवार को वे ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ लोकल सेल्फ गवर्नमेंट द्वारा आयोजित मेयर डायलॉग में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के बाद पत्रकारों से बात कर रहे थे। भट्टाचार्य ने बताया कि डायरेक्टर जनरल राजीव अग्रवाल के आमंत्रण पर गंगतोक,दुर्गापुर, अहमदाबाद ,गाजियाबाद,मुंबई,कोच्ची तथा श्रीनगर के मेयर के साथ कोरोना से उपजे हालात पर चर्चा कर रहे थे। उन्होंने बताया कि कोरोना वायरस कारण विभिन्न देशों की सरकारों द्वारा आशिक या पूर्ण लॉकडाउन की घोषणा की गयी। परिणाम स्वरूप उद्योग धन्धे बन्द कर दिये गये। ऊर्जा की खपत स्वाभाविक रूप से घट गयी। वैश्विक तापमान में वृद्धि करने वाले लगभग सभी कारक न्यून हो गये। साकारात्मक दीर्घ कालिक लाभ यह हुआ कि वैश्विक तापमान घटा है। वाहनों, विमानों तथा उद्योग धन्धों के बंद होने से प्रदूषण घटा और पर्यावरण स्वच्छ हुआ। विविध प्रकार के जीवधारियों हेतु वातावरण अनुकूल होने लगा। परिणाम स्वरूप जैव विविधता फलने-फूलने लगी है। नदियां साफ हुई। मछलिया सतह के निकट विचरण करती दिख रही हैं। लॉकडाउन की वजह से लोग घरों में बन्द थे। जरूरतें सीमित हो गयी। लोगों को लगने लगा कि कम संशाधनों से काम चलाया जा सकता है। शारीरिक दूरी लोगों ने सीखी। संक्रमण परिसंचरण में समाज ने अपनी भूमिका को समझा। उन्होंने आगे कहा कि अस्पतालों में ओपीडी बन्द होने के बावजूद मृत्यु दर में कमी आयी। लोगों में तनाव कम हुआ और शारीरिक सुन्दरता व दक्षता में विकास हुआ। हां लॉकडाउन का परम्परागत शिक्षण व्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। ऑनलाइन तथा अन्य माध्यमों से कुछ व तात्कालिक शैक्षणिक कार्य तो हो सके, किन्तु प्रयोगात्मक तथा शोधात्मक गुणवत्ता प्रभावित हुई। घर बन्द बच्चे विद्यालयी परिवेश से वंचित हुए। आपूíत श्रृंखला व अर्थव्यवस्था पर असर पड़ा है। आपूíत श्रृंखला का संचालन कई संघटनों के सामूहिक तौर पर कार्य करने से होता था। कच्चा माल नहीं उपलब्ध होगा, क्योंकि कारखाने बंद हैं। कारखाने बंद हैं तो परिवहन पर प्रभाव है। बाजार व्यवस्था में उथल पुथल मचा हुआ है। क्षेत्रीय उत्पाद बाहर नहीं जा रहे हैं। जिससे स्थानीय से लेकर वैश्विक स्तर पर अर्थव्यवस्था कई दशकों पीछे चली जा रही है। रोजगार सबसे बड़ी समस्या बन गयी है। सर्वाधिक दुष्परिणाम रोजगार पर पड़ा है।


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