निगम के नए प्रशासनिक बोर्ड पर भड़के अशोक भट्टाचार्य
-राज्य की ममता सरकार पर जमकर बोला हमला - सिलीगुड़ी के साथ सौतेला व्यवहार करने का लगाया आरो
-राज्य की ममता सरकार पर जमकर बोला हमला
- सिलीगुड़ी के साथ सौतेला व्यवहार करने का लगाया आरोप किस प्रकार के लगाए आरोप
1.प्रशासनिक बोर्ड के नाम पर नगर निगम कर रही है राजनीति
2.वामो प्रतिनिधियों को डरा धमका कर पार्टी में कराया जा रहा है शामिल
3.पार्षदों को कोऑíडनेटर के रूप में कार्य करने के आदेश के बाद भी कोई पहल नहीं
4.वर्तमान प्रशासकों में से अधिकांश के पास नगर निगम चलाने का कोई भी अनुभव नहीं
5.राज्य सरकार ने अपने ही निर्देश की अनदेखी कर बोर्ड का किया गठन 6.अवैध निर्माण के नाम पर लोगों का डराया धमकाया जा रहा है
जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी: विधानसभा चुनाव में पराजित होने के बाद पहली बार गुरुवार को पार्टी कार्यालय में माकपा के वरिष्ठ नेता पूर्व विधायक और मेयर अशोक नारायण भट्टाचार्य ने वर्तमान नगर निगम प्रशासनिक बोर्ड पर सीधा सवाल उठाया है। पार्टी कार्यालय में संवाददाता सम्मेलन के दौरान उनके साथ जय चक्रवर्ती, सौरभ दास और शुभाशीष दास मौजूद थे। उन्होंने राज्य सरकार पर सीधे आरोप लगाते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल में सिलीगुड़ी के लिए राज्य सरकार का अलग कानून क्यों है। पूरे राज्य में आचार संहिता खत्म होने के बाद कोरोना महामारी के दूसरे वेब को देखते हुए फिर से जो जहा प्रशासनिक बोर्ड था उसे लागू करने का निर्देश दिया गया। चाहे वह कोलकाता हो या फिर दिनहटा और मेखलीगंज। लेकिन अगर कानून बदला तो सिर्फ और सिर्फ सिलीगुड़ी के लिए। राज्य सरकार द्वारा दिए गए ऑर्डर में स्पष्ट उल्लेख है कि कोविड-19 महामारी से मुकाबला करने के लिए ऐसे लोगों की नियुक्ति की जा रही है जो नगर निगम में काफी अनुभवी और उत्तर बंगाल को भली भाति जानते हैं। भट्टाचार्य ने कहा नगर निगम सिलीगुड़ी प्रशासनिक बोर्ड में जिन चार लोगों को प्रतिनियुक्त किया गया है उसमें एक पूर्व विधायक और पर्यटन मंत्री रहे हैं। दूसरा पहली बार पार्षद बने थे। तीसरा होटल व्यवसाय से जुड़े हुए हैं और चौथा ट्रेड यूनियन के नेता हैं। जबकि पिछले प्रशासनिक बोर्ड में 20 वर्षो तक शहरी विकास मंत्री के साथ 5 वर्षो तक बोर्ड चलाने का अनुभव, 10 माह का प्रशासनिक बोर्ड चलाने वाला मैं था। इसके अलावा अन्य जो भी बोर्ड के सदस्य थे उनका अनुभव कम से कम नगर निगम में 15 वर्षो से कम नहीं था। अशोक भट्टाचार्य ने कहा कि 2011 से अब तक हम आरोप लगाते रहे हैं कि चाहे विकास हो या नगर निगम में फंड देने का मामला हमेशा ही सिलीगुड़ी के साथ राज्य सरकार दोहरा मापदंड रखती है। उन्होंने कहा कि जब पूरे राज्य में एक कानून लागू किया गया तो सिलीगुड़ी में आखिर दूसरा क्यों? उन्होंने यह भी कहा कि वह सरकार के प्रस्ताव को मानते या नहीं मानते यह तो बाद की बात थी, किंतु नियम तो पूरे राज्य में एक ही होना चाहिए। भट्टाचार्य ने कहा की यह प्रशासनिक बोर्ड सिर्फ और सिर्फ कोविड-19 महामारी से मुकाबला के लिए बनाया गया है। लेकिन कोविड-19 से मुकाबला कम और दलगत राजनीति से प्रेरित होकर यहा काम किया जा रहा है। उन्होंने सीधा आरोप लगाया कि सिलीगुड़ी नगर निगम को पिछले दरवाजे से दखल करने के लिए यह प्रशासनिक बोर्ड मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के प्रतिनिधियों को डरा धमका कर पार्टी में शामिल करा रही है। कुछ लोग शामिल हुए हैं और कुछ लोगों को शामिल कराने के लिए यह प्रयास चल रहा है। उन्होंने इस बोर्ड पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर ऐसा नहीं है तो राज्य सरकार की ओर से 7 मई को ही कोविड-19 से मुकाबला के लिए सभी पार्षदों को बतौर कोऑíडनेटर इस बोर्ड में शामिल कराने का निर्देश दिया गया था। 13 दिन बीत जाने के बाद भी आखिर इस आदेश का पालन क्यों नहीं हुआ?। उन्होंने कहा कि यह प्रशासनिक बोर्ड कोरोना से मुकाबला के बदले कॉस्मेटिक सौंदर्यीकरण में बिजी है। लोगों के पास खड़ा होने के बदले ऑफिस और बाथरूम को चमकाया जा रहा है। अवैध बिल्डिंग और दुकान तोड़ने के नाम पर लोगों को डराया और धमकाया जा रहा है। प्रतिदिन बैठकों का दौर स्वास्थ्य में सुधार के लिए किया जा रहा है लेकिन अब तक एक भी ऐसा नìसग होम नहीं है जिसमें पीड़ितों से मनमानी बिल पर लगाम लगाया हो। स्वास्थ्यसाथी कार्ड वाले नìसग होम में एंट्री नहीं मिल पा रही है। बेड नहीं होने का हवाला देकर लौटा दिया जा रहा है। अशोक भट्टाचार्य ने कहा कि आज कोविड-19 महामारी से सबको मिलकर लड़ने का समय आया है लेकिन कोविड-19 खत्म होने के बाद इस बोर्ड को अपने कारनामे का जवाब देना पड़ेगा। आरोप के जवाब में क्या कहा तृणमूल काग्रेस ने
अशोक नारायण भट्टाचार्य के आरोपों के संबंध में दाíजलिंग जिला टीएमसी के जिला अध्यक्ष और नगर निगम प्रशासनिक बोर्ड के सदस्य रंजन सरकार ने कहा कि अशोक भट्टाचार्य को जनता ने नकार दिया है इसलिए वे चुप होकर घर में बैठें। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार 6 साल में वामपंथियों ने सिलीगुड़ी शहर को जंजाल में तब्दील किया है उसे सुधारने का समय आया है। अशोक भट्टाचार्य युवा नेताओं और अपने प्रतिद्वंदी को देखना नहीं चाहते। अगर ऐसा नहीं होता तो पहली बार प्रशासनिक बोर्ड मैं कुछ तृणमूल काग्रेस के नेताओं का नाम आया था उन्होंने हाय तौबा मचा कर उसे खारिज करवा दिया था। कोविड-19 महामारी से मुकाबले के साथ अवैध निर्माण और शहर को स्वच्छ बनाने का भी काम यह बोर्ड करेगा। रंजन सरकार ने कहा की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी प्रशासनिक बोर्ड गठन की ह। कुछ सोच समझकर ही की होगी। इसीलिए इस पर प्रश्न उठाना राजनीति है। जहा तक पार्षदों को कोऑíडनेटर के हिसाब से समायोजित करने का प्रश्न है इसका जवाब चेयरमैन ही देंगे।