आय से अधिक संपत्ति मामले में नाम घसीटे जाने पर अशोक भट्टाचार्य ने दिया जवाब, कहा-कोई भी देख सकता मेरी संपत्ति
बंगाल में शिक्षक भर्ती घोटाले को लेकर मचे घमासान के बीच तृणमूल कांग्रेस नेताओं ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में विरोधी दलों के नेताओं के नाम घसीटे हैं। राज्य के पूर्व मंत्री व माकपा के वरिष्ठ नेता अशोक भट्टाचार्य ने इसपर कड़ी प्रतिक्रिया दी है।
सिलीगुड़ी, जागरण संवाददाता। बंगाल में शिक्षक भर्ती घोटाले को लेकर मचे घमासान के बीच तृणमूल कांग्रेस के नेताओं ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में विरोधी दलों के नेताओं के नाम घसीटा है। राज्य के पूर्व मंत्री व माकपा के वरिष्ठ नेता अशोक भट्टाचार्य का नाम इसमें घसीटे जाने पर उन्होंने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। गुरुवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि उनके पास जो कुछ संपत्ति है वह सबके सामने है। वर्ष 2021 के विधानसभा चुनाव व 2022 में सिलीगुड़ी नगर निगम चुनाव के दौरान चुनाव आयोग के समक्ष उन्होंने एफिडेविट जमा किया था। उसमें उनके संपत्ति का ब्यौरा है। एफिडेविट में दी गई जानकारी पूरी तरह से सत्य है। एफिडेविट चुनाव आयोग की वेबसाइट पर मौजूद है कोई भी देख सकता है।
उन्होंने कहा कि कोलकाता में उनका एक किराया का घर है । 900 स्क्वायर फीट के इस घर का वह 500 रुपये किराया देते हैं। भविष्य में इसके सब लीज मिलने की संभावना है। सिलीगुड़ी में वह पैतृक जमीन पर रहते हैं। इसके अलावा विधायक का पेंशन पाते हैं । उनकी पत्नी के निधन के बाद फैमिली पेंशन भी उन्हे मिलता है । पत्नी के निधन के बाद मिले फंड की राशि उनके खाते में हैं। इससे ज्यादा उनके पास कुछ भी नहीं । तृणमूल नेताओं के आरोपों पर उन्होंने कहा कि जरूरत होने से वह कोर्ट में बोलेंगे। लेकिन उन्होंने हैरानी जताई कि जिस आरोप सूची की बात की जा रही है वह 2017 की है। उन्हें कभी कोई सूचना तक नहीं मिली । 12 सितंबर को इस मामले में सुनवाई है। सुनवाई के दौरान तृणमूल कांग्रेस इस बारे में सबूत दें, नहीं तो पार्टी की ओर से मानहानि का दावा किया जाएगा ।
उन्होंने कहा कि वे हमेशा विचार की राजनीति करते आए हैं। कभी उन्होंने ऐसा कोई काम नहीं किया जिससे उनका राजनीतिक जीवन कलंकित हो। उन्होंने कहा कि जो लोग आरोपी हैं, आज वह दूसरे को बदनाम करने के लिए आरोप लगा रहे हैं। दूसरे पर आरोप लगाने से पहले अपने अपने आप को निर्दोष साबित करें। माकपा के वरिष्ठ नेता जीबेश सरकार ने कहा की हाई कोर्ट में जो सूची जमा हुई है, उसमें सत्ता पक्ष के 19 नेताओं के नाम हैं । अशोक भट्टाचार्य का भी नाम उस सूची में नहीं है। अशोक का नाम विरोधी नेताओं की सूची में है,जो राजनीतिक प्रतिशोध के तौर पर तैयार हुआ है और एक वकील के जरिए हाई कोर्ट में रखी गई है। उन्होंने कहा कि तृणमूल कांग्रेस बुरी तरह से भ्रष्टाचार में फंसी हुई है। उनके नेता एक के बाद एक मामले में फंसते जा रहे हैं। लोगों का बरगलाने के लिए विरोधियों को भी अपने साथ शामिल करने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन इससे कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है ,क्योंकि सच क्या है यह सभी जानते हैं।
बताते चलें कि बंगाल में शिक्षक भर्ती घोटाले को लेकर मचे घमासान के बीच राज्य के सात मंत्रियों समेत सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के 19 नेताओं की संपत्ति में बेतहाशा वृद्धि को लेकर कलकत्ता हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका दायर करते हुए इनकी सपत्तियों की जांच की मांग हुई है। वहीं हाईकोर्ट ने इस मामले में ईडी को भी पक्षकार बनने का निर्देश दिया है। हाई कोर्ट के निर्देश के बाद राज्य की राजनीति में हलचल है।
बुधवार को तृणमूल कांग्रेस के छह मंत्री फिरहाद हकीम, ब्रात्य बसु, मलय घटक, ज्योतिप्रिय मलिक, अरूप राय और सिउली साहा मीडिया के सामने आए और सफाई पेश करते हुए विपक्ष पर टीएमसी को बदनाम करने का आरोप लगाया था। मंत्री फिरहाद हकीम ने आरोप लगाया था कि हाईकोर्ट में सौंपी गई सूची में सभी पार्टियों के नेताओं के नाम हैं, लेकिन केवल टीएमसी को बदनाम किया जा रहा है। इस दौरान मंत्री ब्रात्य बसु ने कई कांग्रेस व माकपा नेताओं के नाम का उल्लेख करते हुए कहा कि इस सूची में अधीर रंजन चौधरी से लेकर माकपा नेता सूर्यकांत मिश्रा, पूर्व मंत्री अशोक भट्टाचार्य, पूर्व मंत्री कांति गांगुली, कांग्रेस नेता नेपाल महतो व अबू हेना जैसे नेताओं के भी नाम हैं।