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इस बार अशोक के लिए किंग बनने की राह आसान नहीं

-त्रिकोणीय मुकाबले के कारण फंसा पेंच -शिष्य के साथ ही तृणमूल से भी है कड़ा मुकाब

By JagranEdited By: Published: Thu, 08 Apr 2021 07:53 PM (IST)Updated: Thu, 08 Apr 2021 07:53 PM (IST)
इस बार अशोक के लिए किंग बनने की राह आसान नहीं
इस बार अशोक के लिए किंग बनने की राह आसान नहीं

-त्रिकोणीय मुकाबले के कारण फंसा पेंच

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-शिष्य के साथ ही तृणमूल से भी है कड़ा मुकाबला सिलीगुड़ी विधानसभा

ग्राउंड रिपोर्ट -जिनके पक्ष में हिंदीभाषी उनकी होगी राह आसान

-सभी उम्मीदवारों को भीतरघात का भी सता रहा है डर 17

अप्रैल को सिलीगुड़ी में होना है मतदान

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उम्मीदवार मैदान में आजमा रहे हैं किस्मत

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लाख 24 हजार से अधिक मतदाता करेंगे मतदान जागरण संवाददाता,सिलीगुड़ी : पूर्वोत्तर का प्रवेशद्वार है सिलीगुड़ी शहर। इस शहर को उत्तर बंगाल की अघोषित राजधानी भी कहा जाता है। इसी कारण सिलीगुड़ी विधानसभा सीट पर सबकी निगाहें टिकी हुई है। चुनाव के पांचवे चरण में 17 अप्रैल को यहां मतदान होना है। इस सीट का असर पूरे उत्तर बंगाल के चुनाव पर पड़ता है। इस बार चुनाव में यहां मुख्य मुकाबला कांग्रेस और वाम मोर्चा गठबंधन संयुक्त मोर्चा,तृणमूल कांग्रेस तथा भाजपा उम्मीदवार के बीच है। हांलाकि कुल दस उम्मीदवार अपनी किस्मत इस सीट से आजमा रहे हैं। संयुक्त मोर्चा के उम्मीदवार के रुप में अशोक नारायण भट्टाचार्य, भाजपा के शकर घोष और तृणमूल कांग्रेस के ओम प्रकाश मिश्रा के बीच ही मुख्य मुकाबला है। ऐसे आमरा बंगाली के चयन रंजन गुहा, आरएसपी के निंटू दत्ता, आरपीआई अठावले की पार्टी से छोटन साहा, बहुजन समाजवादी पार्टी की काकली मजूमदार तथा निर्दलीय प्रत्याशी के रुप में हाबुल घोष भी चुनाव मैदान में है। यह विधानसभा पूरा क्षेत्र नगर निगम के मात्र 33 वार्डो तक सीमित है। यहां वार्ड एक से 30 के साथ ही 45,46 व 47 वार्ड के मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल करते है। अबतक इस विधानसभा सीट पर कांग्रेस और वाममोर्चा का दबदबा रहा है। विधानसभा चुनाव के किंग माने जाते हैं 73 वर्षीय अशोक नारायण भट्टाचार्य। क्योंकि वर्ष 2011 को अगर छोड़ दें तो वह 1991 से लगातार यहां से विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं। वे 20 वर्षो तक वाममोर्चा शासनकाल में शहरी विकास मंत्री व एसजेडीए के चेयरमैन रहे। इसके अलावा वह पिछले साल तक सिलीगुड़ी नगर निगम के मेयर भी रहे। लेकिन इस बार राह आसान नहीं है। वह तृकोणीय मुकाबले में फंसे हुए हैं। अपने शिष्य शंकर घोष के साथ ही तृणमूल कांग्रेस से भी उनको कड़ी चुनौती मिल रही है। यहां इस साल कुल मतदाताओं की संख्या है 2 लाख 24 हजार 886 है। इसमें पुरुष मतदाता 114349 तथा महिला मतदाताओं की संख्या 110531 है। इसमें एक लाख के करीब हिदीभाषी मतदाता हैं। माना जा रहा है कि इस चुनाव में सबसे बड़ी भूमिका हिंदी मतदाता ही निभाएंगे। इसी लिए तृणमूल कांग्रेस ने हिन्दीभाषी उम्मीदवार ओम प्रकाश मिश्रा पर दांव खेला है। हिदी भाषियों में नेपाली, आदिवासी, मुस्लिम,मारवाड़ी, बिहारी को रखा जाता है जो मूल रूप से हिंदी बोलते हैैं। माना तो यहां तक जाता है कि हिन्दी भाषियों की बदौलत ही अशोक भट्टाचार्य यहां लगातार परचम लहराते रहे हैं। वर्ष 2011 में हिदीभाषियों ने तृणमूल कांग्रेस प्रत्याशी डाक्टर रुद्रनाथ भट्टाचार्य का साथ दिया था वे विधायक बने थे। इस बार भी कमोवेश स्थित ऐसी ही है। ऐसे इसका फैसला तो दो मई को ही होगा। ऐसे इस बार मुकाबला है बड़ा मजेदार। लंबे अर्से से अशोक भट्टाचार्य के साथ शंकर घोष वाम को छोड़कर राम खेमें में शामिल हो गए हैं। उन्होंने भाजपा के टिकट पर चुनावी मैदान में ताक ठोक दिया है। कुछ लोग तो इसे गुरू और चेले के बीच भी मुकाबला बता रहे हैं। ऐसे शंकर घोष को टिकट देने का भाजपा में भी विरोध हुआ। माकपा से आने वाले को टिकट देना कई नेताओं को पच नहीं रहा है। दूसरी ओर तृणमूल कांग्रेस की भी कुछ इसी प्रकार की समस्या है। स्थानीय किसी नेता को टिकट नहीं देकर जादवपुर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ओम प्रकाश मिश्रा को मैदान में उतारा गया है। इसको लेकर पार्टी के अंदरखाने काफी रोष है। इसी कारण नांटू पाल, जयोत्सना अग्रवाल, दीपक शील, महेन्द्र अग्रवाल आदि तृणमूल ेनेता भाजपा में शामिल हो गए। इसके बावजूद यहां दिल मिले या ना मिले हाथ मिलाते चलो के साथ चुनावी रैली में लोगों को देखा जाता है। इसी कारण सभी पार्टी के उम्मीदवारों को भीतरघात का भी डर सता रहा है।

यहां की विशेषताएं

इस विधानसभा सीट की सबसे बड़ी विशेषता है कि यह पूरी तरह व्यापारिक मंडी और बाजारों पर निर्भर है। यहां मतदाताओं का प्रमुख धंधा अपना कारोबार या उससे जुड़ा रोजगार है। इसके साथ ही इस शहर को स्वास्थ्य व शिक्षा का हब भी माना जाता है। अगर मुद्दे की बात करें तो इस बार यहां का चुनावी मुद्दा कुछ खास नहीं है। तृणमूल उम्मीदवार ममता सरकार के विकास की बात कर रहे हैं तो संयुक्त मोर्चा उम्मीदवार नगर निगम को राज्य सरकार द्वारा सहयोग नहीं मिलने का आरोप लगा रहे हैं। वहीं भाजपा राम रथ पर सवार होकर मैदान मारना चाहती है। सभी बड़े नेताओं का आगमन

यहां सभी पार्टियों के बड़े नेताओं का आना शुरू हो गया है। यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी,गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा चुनावी सभा और रोड शो करने आ रहे है। इसके पहले मनोज तिवारी, स्मृति इरानी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आदि आ चुके है। तृणमूल कांग्रेस की ओर से भी स्वयं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, अभिषेक बनर्जी यहां चुनाव प्रचार व रोड शो करेंगे। संयुक्त मोर्चा की ओर से अधीर रंजन चौधरी, सूर्यकांत मिश्रा, प्रदीप भट्टाचार्य चुनावी जनसभा को संबोधित कर चुके हैं।


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