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भारी बर्फबारी के चलते सिक्किम में फंसे तीन हजार पर्यटकों की सहायता के लिए सेना आई आगे

सिक्किम के विभिन्न हिस्सों में शुक्रवार को हुई भारी बर्फबारी के कारण करीब तीन हजार पर्यटक फंस गए। उनको बचाने के लिए सेना का राहत कार्य जारी है। आज गंगटोक लाए जाने की संभावना है।

By Rajesh PatelEdited By: Published: Sat, 29 Dec 2018 10:49 AM (IST)Updated: Sat, 29 Dec 2018 10:49 AM (IST)
भारी बर्फबारी के चलते सिक्किम में फंसे  तीन हजार पर्यटकों की सहायता के लिए सेना आई आगे
भारी बर्फबारी के चलते सिक्किम में फंसे तीन हजार पर्यटकों की सहायता के लिए सेना आई आगे
 सिलीगुड़ी [जागरण संवाददाता]। सिक्किम के विभिन्न हिस्सों में शुक्रवार को हुई भारी बर्फबारी के कारण करीब तीन हजार पर्यटक फंस गए। उनके रुकने के लिए सेना ने अपनी बैरकों को खाली कर दिया। सेना द्वारा राहत कार्य किया जा रहा है। आज शनिवार को उनको गंगटोक लाए जाने की संभावना है। इसके लिए सड़क पर से बर्फ हटाने का काम युद्धस्तर पर जारी है। 
सेना की कैंटीन में खाना खाते पर्यटक।
सेना ने फंसे पर्यटकों के लिए सोने व खाने आदि की पूरी व्यवस्था की। बीमार लोगों का सेना के अस्पताल में इलाज भी किया गया। सामान्य वाहनों के चलने लायक सड़क न रहने से सेना के वाहनों से ही रेस्क्यू किया गया। इसके लिए सेना के वाहनों के पहियों में चेन लगाई गई।
बैरक में सोए पर्यटक।
सेना के अफसरों व जवानों का कहना है कि वे इस तरह की विपरीत परिस्थितियों में काम करने के आदी हैं। देर रात तक पर्यटकों को बैरक तक सुरक्षित लाने का काम जारी रहा। शनिवार को भी सुबह का नाश्ता सभी को दिया गया। सड़क से बर्फ हटाने में अभी कुछ समय लग सकता है।
राहत कार्य में जुटे सैनिक।
बता दें कि शुक्रवार को सिक्किम के बड़े हिस्से समेत दार्जीलिंग व आसपास भारी बर्फबारी हुई। इसका असर सिलीगुड़ी के मौसम पर भी पड़ा है। 
बीमार पर्यटकों का सेना के अस्पताल में उपचार।
नॉर्थ सिक्किम व साउथ सिक्किम में कई स्थानों पर भारी बर्फपात हुई। मकान, सड़क, पहाड़, पेड़ आदि सब बर्फ से ढक गए। लाचुंग, नाथुला, रावंगला, सोनादा, लावा, लाचेन में भारी बर्फबारी हुई।
एक पर्यटक को लाते सैनिक।
इधर दार्जीलिंग के आसपास छांगु, सीमाना तथा संदकफू में भी यही स्थिति रही। जहां बारिश हुई, वहां ओले भी गिरे। बारिश न होने की स्थिति में भी बर्फपात हुई। 

सेना की एंबुलेंस के पहिए में लगी चेन, ताकि बर्फ पर चलने में न फिसले।

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