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'आइला' से भी प्रचंड रूप में है 'एम्फन', बंगाल की खाड़ी में दशकों बाद उत्पन्न हुआ है 'सुपर साइक्लोन'

बंगाल की खाड़ी में दशकों बाद सुपर साइक्लोन उत्पन्न हुआ है। 2009 में आइला और पिछले साल आया फणि भी सुपर साइक्लोन नहीं था।आइला से बंगाल में जान-माल का हुआ था भारी नुकसान

By Preeti jhaEdited By: Published: Mon, 18 May 2020 03:36 PM (IST)Updated: Tue, 19 May 2020 03:06 PM (IST)
'आइला' से भी प्रचंड रूप में है 'एम्फन', बंगाल की खाड़ी में दशकों बाद उत्पन्न हुआ है 'सुपर साइक्लोन'
'आइला' से भी प्रचंड रूप में है 'एम्फन', बंगाल की खाड़ी में दशकों बाद उत्पन्न हुआ है 'सुपर साइक्लोन'

कोलकाता, विशाल श्रेष्ठ। चक्रवाती तूफान 'एम्फन' 2009 में पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश में भारी तबाही मचाने वाले 'आइला' से भी प्रचंड रूप में है। एरिया साइक्लोन वार्निंग सेंटर, कोलकाता के निदेशक डॉ. गणेश कुमार दास ने बताया-'बंगाल की खाड़ी में दशकों बाद 'सुपर साइक्लोन' उत्पन्न हुआ है। 2009 में 'आइला' और पिछले साल आया 'फणि' भी सुपर साइक्लोन नहीं था।

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सुपर साइक्लोन में हवा की गति 220 किलोमीटर प्रति घंटे से भी ज्यादा होती है।' दास ने आगे कहा-'सुपर साइक्लोन होने पर भी इससे 'आइला' जितनी क्षति होने की आशंका कम है क्योंकि पिछले एक दशक में टेक्नोलॉजी काफी उन्नत हो गई है।अब काफी पहले चक्रवाती तूफान का पता लगाकर उससे निपटने की अच्छी-खासी तैयारियां कर ली जाती हैं इसलिए जान-माल के नुकसान की आशंका कम है। जहां तक एम्फन की बात है तो समुद्र में इसकी जितनी प्रचंडता दिख रही है, उतनी जमीन पर नहीं दिखेगी। लैंडफॉल के समय इसकी तीव्रता कुछ कम हो जाने की भी उम्मीद है।'

गौरतलब है कि मई, 2009 में आए आइला से बंगाल और बांग्लादेश में जान-माल का भारी नुकसान हुआ था। 300 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी जबकि 10 लाख से ज्यादा लोग बेघर हो गए थे। बंगाल में इसका सबसे ज्यादा असर दक्षिण 24 परगना जिले के सुंदरवन अंचल पर पड़ा था। दुनिया के सबसे बड़े मैंग्रोव फॉरेस्ट पर भी इसका व्यापक असर पड़ा था। कई रॉयल बंगाल टाइगर के तूफान की चपेट में आने की खबर थीं। आइला ने कोलकाता, हावड़ा, हुगली, बर्द्धमान और पूर्व मेदिनीपुर जिलों में सामान्य जन-जीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया था।

 

डॉ. गणेश कुमार दास, निदेशक, एरिया साइक्लोन वार्निंग सेंटर, कोलकाता

इससे पहले 1999 में ओड़िशा में आया था सुपर साइक्लोन

देश में इससे पहले 1999 में ओड़िशा में सुपर साइक्लोन आया था, जिसमें करीब 10,000 लोगों की मौत हो गई थी। भारत सरकार की तरफ से उसे राष्ट्रीय आपदा घोषित किया गया था। 3 नवंबर, 1970 को पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) और पश्चिम बंगाल में आए 'भोला' को अब तक का सबसे भयावह चक्रवाती तूफान माना जाता है, जिसमें कम से कम पांच लाख लोगों की मौत हो गई थी। उस समय 240 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चली थी।

सुंदरवन के आसपास लैंडफॉल करेगा एम्फन

दास ने बताया कि एम्फन सुंदरवन के आसपास लैंडफॉल करेगा। इसका सूबे पर भारी असर पड़ेगा। उत्तर और दक्षिण 24 परगना और पूर्व मेदिनीपुर सबसे ज्यादा प्रभावित जिले होंगे। उत्तर 24 परगना में 150 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से हवा चल सकती है। इसी तरह कोलकाता, हावड़ा और हुगली में 70 से 90 किलोमीटर प्रति घंटे और राज्य के पश्चिमी ज़िलों में 40 तो 60 किलोमीटर की रफ्तार से हवा चलने के आसार हैं। कोलकाता, हावड़ा, हुगली, और दक्षिण 24 परगना, पूर्व मेदिनीपुर जिलों में भारी से भारी बारिश हो सकती है। 


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