इन्होंने कई तबाह होती जिंदगियों को दी सहारा
उत्तर बंगाल में किसी प्रकार से कोई पीड़ित हो उसे न्याय दिलाने का अमित सरकार पीछे नहीं हैं।उनको भी बचाया जिनका शोषण कर रहा था जमाना।
सिलीगुड़ी, [अशोक झ]। किसी शायर ने क्या खूब कहा कि- किसी की जिंदगी का मजाक न बनाओ यारों, जिंदगी कभी धोखा देती है तो कभी मौका देती है। समाज का अभिन्न हिस्सा व तीसरी श्रेणी में गिने जाने वाले किन्नर के साथ भले कुदरत ने मजाक किया हो लेकिन एक अधिवक्ता ऐसे भी रहे जिसने इनके हक की लड़ाई लड़ी और उसे मुकाम तक पहुंचाया। यही वजह है कि समाज में उपेक्षित निगाहों से देखे जाने वाले किन्नर आज जनप्रतिनिधित्व की दावेदारी में खड़े हैं। यह काम कर दिखाया डिस्टिक लीगल एंड फोरम के रिसर्च विंग के संयोजक अमित सरकार ने।
उत्तर बंगाल में किसी प्रकार से कोई पीड़ित हो उसे न्याय दिलाने का अमित सरकार पीछे नहीं हैं। चाहे वह मुद्दा किन्नर का हो या चाय बागान के उन श्रमिकों को जो मालिकों के शोषण का लगातार शिकार होते आए हैं। वर्ष 2003 में शहर के किन्नरों को राष्ट्र की मुख्यधारा में लाने की लड़ाई भी अमित ने लड़ी। उनके संघर्ष का ही यह नतीजा रहा कि किन्नरों का नाम मतदाता सूची में दर्ज हुआ। और तो और किन्नरों ने वार्ड का प्रतिनिधित्व करने के लिए चुनाव भी लड़ा। अमित के संघर्षो का ही यह परिणाम है कि बंद चाय बागानों में उच्च न्यायालय के निर्देश पर मेगा लोक अदालत लगाकर मजदूरों को समस्या का निदान किया जा रहा है। 17 वषरे में अमित सरकार अब तक 20 हजार से ज्यादा लोगों को न्याय दिला चुके हैं। वह गांवों में शिविर लगाकर उनको कानूनी अधिकारों की जानकारी देते हैं।
यही नहीं सिलीगुड़ी, जलपाईगुड़ी, कूचबिहार, बालूरघाट के जेलों में बंदियों के जीवन स्तर में सुधार के लिए नाटक का मंचन कराया। श्यामली नामक नाटक के माध्यम से बंदियों को राष्ट्र और समाज की मुख्य धारा में जोड़ने का प्रयास किया। वर्ष 2010 से 12 के बीच सिलीगुड़ी, पांजीपाड़ा, कलकत्ता, जलपाईगुड़ी और इस्लामपुर में दुर्बार समन्वय समिति के माध्यम से कानूनी जागरूकता लाने का काम किया। यहां से बड़ी संख्या में बच्चियों को बाहर निकालकर समाज के मुख्यधारा में लाया गया। 2012 में भारत नेपाल सीमांत पानीटंकी में चीन की एक लावारिस युवती जींपींग को पुलिस ने पकड़ा। वह न तो भाषा समझ पा रही थी और न कुछ बता रही थी। उसे मदद देने के लिए कलकत्ता स्थित चीनी दूतावास प्रमुख से बातचीत कर कानूनी सहायता मुहैया कराकर उसे चीन भिजवाया। 2015 में उत्तर बंगाल के बंद चाय बागानों से हो रही मानव तस्करी और स्वास्थ्य को लेकर जनहित याचिका दायर की। इस पर उच्च न्यायालय ने फैसला दिया गया कि जिला प्रशासन न्याय व्यवस्था से जुड़े लोगों को लेकर मेगा लोक अदालत लगाकर इंसाफ दिलाएंगे। यह अमित सरकार के संघर्ष का परिणाम था कि अब तक सात मेगा लोक अदालत का आयोजन किया गया। इसके माध्यम से कम से कम 20 हजार श्रमिक परिवारों को उन्हें प्रशासनिक मदद मिली। अब तक प्रशासन की मदद लेकर 500 बच्चों को तस्करी से बचाया। 115 बच्चियों के बाल विवाह के दहलीज से बाहर निकाला। पिछले वर्ष 2016 में एक नाबालिग को शादी का झांसा देकर एनजेपी से असम ले जाया गया। जानकारी मिलने पर न्यायिक मदद से नाबालिग को 2017 के दिसंबर में उद्धार कराया। नक्सलबाड़ी के सात युवकों को राजस्थान के केरला से बीमारी में इम्दाद पहुचाई।
नक्सलबाड़ी की ही एक लड़की को नेपाल के पासपोर्ट पर दुबई ले जाकर बेचने पर उसे नारकीय स्थिति से उबारने में आज भी संघर्ष कर रहे हैं। नेपाल से उसे वापस लाने के लिए सरकारी स्तर पर प्रयास जारी हैं। अभी गत माह नक्सलबाड़ी, मदारीहाट, कलकत्ता समेत अन्य स्थानों की उन 10 वृद्धाओं को उनका हक दिलाया, जो अपनों की ही दी हुई पीड़ा से कराह रहीं थीं। 23 जुलाई 1968 में जन्मे अमित सरकार का जन्म एक शिक्षक परिवार में हुआ था। प्राथमिक शिक्षा से 12वीं की शिक्षा सिलीगुड़ी सरकारी विद्यालय में प्राप्त कर दिल्ली से उन्होंने कानून की डिग्री ली। वहां से लौटने के बाद वह खेलकूद, सामाजिक संगठनों तथा महकमा क्रीड़ा परिषद से जुड़े रहे। इसी बीच बच्चों और महिलाओं से जुड़ी सुरक्षा को लेकर बारीकी से समझा। उसके बाद वे वर्ष 2000 में डिस्टिक्ट लीगल एंड फोरम से जुड़ गये। ज्यों-ज्यों लोगों के बीच गये समस्याएं सिर चढ़कर बोलने लगीं। कई बार वह अपनी सेवाओं को लेकर सामाजिक व प्रशासनिक स्तर पर सम्मानित भी हो चुके हैं।