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शरद पूर्णिमा के बाद आईए जानते हैं सभी माह में सर्वश्रेष्ठ कार्तिक माह में कौन से प्रमुख 10 काम करने चाहिए

शरद पूर्णिमा के बाद से कार्तिक का महीना लग जाएगा। सभी माह में कार्तिक माह को सर्वश्रेष्ठ माह माना गया है। यह माह पाप का नाश करते व्यक्ति के सभी संकट दूर कर देता है और धन सुख समृद्धि शांति एवं निरोग प्रदान करता है।

By Vijay KumarEdited By: Published: Fri, 30 Oct 2020 06:47 PM (IST)Updated: Fri, 30 Oct 2020 06:47 PM (IST)
शरद पूर्णिमा के बाद आईए जानते हैं सभी माह में सर्वश्रेष्ठ कार्तिक माह में कौन से प्रमुख 10 काम करने चाहिए
कार्तिक मास में इंद्रिय संयम में खासकर ब्रह्मचर्य का पालन अति आवश्यक बताया गया है।

 जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : शरद पूर्णिमा के बाद से कार्तिक का महीना लग जाएगा। सभी माह में कार्तिक माह को सर्वश्रेष्ठ माह माना गया है। यह  माह पाप का नाश करते व्यक्ति के सभी संकट दूर कर देता है और धन, सुख, समृद्धि, शांति एवं निरोग प्रदान करता है। आओ जानते हैं कि इस माह में कौन से प्रमुख 10 कार्य करना चाहिए।

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पवित्र नदी में स्नान करने का प्रचलन और महत्व 

कार्तिक के पूरे माह में पवित्र नदी में स्नान करने का प्रचलन और महत्व रहा है। इस मास में श्री हरि जल में ही निवास करते हैं। मदनपारिजात के अनुसार कार्तिक मास में इंद्रियों पर संयम रखकर चांद-तारों की मौजूदगी में सूर्योदय से पूर्व ही पुण्य प्राप्ति के लिए स्नान नित्य करना चाहिए।

उपवास कर भगवान का स्मरण व चिंतन लाभकारी

इस दिन व्रत का भी बहुत ही महत्व है। इस दिन उपवास करके भगवान का स्मरण, चिंतन करने से अग्निष्टोम यज्ञ के समान फल प्राप्त होता है तथा सूर्यलोक की प्राप्ति होती है। कार्तिकी पूर्णिमा से प्रारम्भ करके प्रत्येक पूर्णिमा को रात्रि में व्रत और जागरण करने से सभी मनोरथ सिद्ध होते हैं।

दीपदान करने से सभी तरह के संकट समाप्त होते हैं 

इस माह में दीपदान का बहुत ही महत्व है। नदी, तालाब आदि जगहों पर दीपदान करने से सभी तरह के संकट समाप्त होते हैं और जातक कर्ज से भी मुक्ति पा जाता है।

भूमि पर सोने से मन में सात्विकता का भाव जागृत

इस माह में भूमि पर सोने से मन में सात्विकता का भाव निर्मित होकर सभी तरह के रोग और विकारों का समाधान होता है।

तुलसी की पूजा, सेवन और सेवा करने का महत्व है

इस माह में तुलसी की पूजा, सेवन और सेवा करने का बहुत ही ज्यादा महत्व है। इस कार्तिक माह में तुलसी पूजा का महत्व कई गुना माना गया है।

उड़द, मूंग, मसूर, चना, मटर, राईं आदि नहीं खाएं

कार्तिक महीने में उड़द, मूंग, मसूर, चना, मटर, राईं आदि नहीं खाना चाहिए। लहसुन, प्याज और मांसाहर का सेवन न करें।

कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी) को छोड़ तेल लगाना वर्जित

इस माह में नरक चतुर्दशी (कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी) को छोड़कर अन्य दिनों में तेल लगाना वर्जित माना गया है।

खासकर ब्रह्मचर्य का पालन अति आवश्यक बताया

कार्तिक मास में इंद्रिय संयम में खासकर ब्रह्मचर्य का पालन अति आवश्यक बताया गया है। इसका पालन नहीं करने पर अशुभ फल की प्राप्ति होती है। इंद्रिय संयम में अन्य बातें जैसे कम बोले, किसी की निंदा या विवाद न करें, मन पर संयम रखें, खाने के प्रति आसक्ति ना रखें, ना अधिक सोएं और ना जागें आदि।

क्षमता अनुसार अन्न दान और वस्त्रदान का महत्व 

इस माह में दान का भी बहुत ही ज्यदा महत्व होता है। अपनी क्षमता अनुसार अन्न दान, वस्त्र दान और अन्य जो भी दान कर सकते हो वह करें।

तीर्थ पूजा, गंगा पूजा, विष्णु पूजा, लक्ष्मी पूजा जरूरी

इस माह में तीर्थ पूजा, गंगा पूजा, विष्णु पूजा, लक्ष्मी पूजा और यज्ञ एवं हवन का भी बहुत ही महत्व है। इस दिन चंद्रोदय पर शिवा, संभूति, संतति, प्रीति, अनुसूया और क्षमा इन छह कृतिकाओं का अवश्य पूजन करना चाहिए।


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