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सीपीआईएम से ज्यादा क्रूर और तानाशाह है टीएमसी और उनकी नेत्री: राजू बिष्ट

सांसद राजीव बिष्ट ने कहा कि बंगाल में ध्रुवीकरण तो हो रहा है लेकिन सम्प्रदाय जाति या धर्म के आधार पर नहीं किन्तु मोदी जी का सुशासन बनाम ममता जी का कुशासन के आधार पर। सब जानते हैं कि ममताजी 30 प्रतिशत फिक्सड डिपोजिट की राजनीति कर रही।

By PRITI JHAEdited By: Published: Fri, 22 Jan 2021 12:33 PM (IST)Updated: Fri, 22 Jan 2021 12:33 PM (IST)
सीपीआईएम से ज्यादा क्रूर और तानाशाह है टीएमसी और उनकी नेत्री: राजू बिष्ट
भाजपा सांसद व भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव बिष्ट

सिलीगुड़ी, अशोक झा। बंगाल की भूमि से भारत भूमि को 'शस्य श्यामला' कहा गया। लेकिन यह बंगाल का दुर्भाग्य है कि आजादी के बाद बंगाल की बागडोर ऐसे हाथों में चली गई जिनके पास बंगाल की धरोहर को संजोकर आगे ले जाने की कोई सोच या चिंतन ही नहीं रही, जिन्हें देश और पश्चिम बंगाल की भलाई से ज्यादा अपनी कुर्सी और सत्ता से प्यार है। जिन्होनें गलत नीतियों से पश्चिम बंगाल को अंधकार में धकेल दिया है। यह कहना है भाजपा सांसद व भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव बिष्ट का। वह दैनिक जागरण से विशेष बातचीत करते हुए बोल रहे थे।

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उन्होंने कहा कि आज बंगाल में ममता दीदी के राज में जो भी कुछ हो रहा है। क्या बंगाल के पूर्वजों ने कभी यह सोचा भी होगा कि इस जमीन पर इतनी निम्न स्तर की राजनीति भी होगी? पहले वामपंथियों ने और अब टीएमसी सरकार ने जो स्थिति पैदा कर दी है वह न केवल विचारनीय है बल्कि निंदनीय है।

ममता बनर्जी द्वारा भाजपा पर बंगाल को शांत करने के आरोपों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि सीपीआईएम की शून्य विकास और अधिकतम हिंसा की राजनीति से तंग आकर, बंगाल के लोगों ने 2011 में बदलाव के लिए मतदान किया था। ममता बनर्जी को को चुना था। सत्ता में आने के बाद, ममता बनर्जी सीपीआईएम से अधिक क्रूर और तानाशाह हो गईं। आज टीएमसी पूरे बंगाल में व्यापक हिंसा में लिप्त है, पिछले कुछ वर्षों में उन्होंने 150 से अधिक भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या की है, 2017 में उन्होंने दार्जीलिंग हिल्स में 11 निर्दोष गोरखाओं की हत्या कर दी, आज बंगाल में हिंसा की हद है कि टीएमसी सरकार ने 2018 के बाद से राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के साथ अपराध के आंकड़ों को साझा करने से भी इनकार कर दिया है।

2018 के एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, बंगाल में देश में हत्या के मामलों की सबसे अधिक संख्या दर्ज की गई है, सबसे ज्यादा हिंसक गतिविधियों की शिकायतें, सबसे अधिक हिंसक अपराध वाले राज्यों में बंगाल का तीसरा स्थान है, सबसे अधिक लोग बंगाल से लापता है। 64,832 महिलाएं बंगाल से गायब है। राष्ट्रीय स्तर पर महिलाओं के खिलाफ आपराधिक मामलों में कनविक्शन रेट लगभग 23 प्रतिशत है मगर पश्चिम बंगाल में सिर्फ 5.3 प्रतिश्त ही है। यहां आईएसआई नेटवर्क के कई मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया गया है, जमात-ए-मुजाहिदीन, यहां तक कि अलकायदा के आतंकवादियों को बंगाल में सुरक्षित पनाह मिली है, और टीएमसी नेताओं ने अपने घरों में बम बनाने के चक्कर में खुद को उड़ा लिया है। सभी जानते हैं कि राज्य में हिंसा के लिए कौन सी राजनीतिक पार्टी जिम्मेदार है।

बहुमत से बंगाल में सत्ता में आएगी भाजपा

राष्ट्रीय प्रवक्ता राजू बिष्ट ने कहा कि पिछले चुनावों से बेहतर प्रदर्शन करेगी बल्कि प्रचंड बहुमत से सरकार बनाएगी। आज पूरे देश में भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को विकास और सुशासन के लिए पसंद किया जाता है, बंगाल के लोग भी अब वही विकास और सुशासन चाहते हैं। जैसा कि मैंने पहले कहा है, बंगाल के लोग हिंसा, हत्या, भाई-भतीजावाद, कट-मनी और भ्रष्टाचार की राजनीति से थक चुके हैं।

बंगाल के लोग विकास के पूर्ण अभाव से जूझ रहे हैं, वे पुलिस राज और टीएमसी गुंडों की तानाशाही से परेशान हैं। बंगाल में लोग माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में विश्वास करते हैं और बदलाव चाहते हैं। बंगाल की जनता अब विकास की तेज रफ्तार चाहती है और ममताजी के कुशासन में यह संभव नहीं है यह केवल मोदीजी के नेतृत्व में भाजपा के साथ संभव होगा। यही कारण है कि टीएमसी दिन-प्रतिदिन और अधिक हिंसक होती जा रही है क्योंकि वे समझ रहे हैं कि उन्होंने आम लोगों का विश्वास और भरोसा खो दिया है, इसलिए वे दिन पर दिन हताश हो रहे हैं।

बंगाल में ध्रुवीकरण धर्म के आधार पर नहीं काम के आधार पर

सांसद राजीव बिष्ट ने कहा कि बंगाल में ध्रुवीकरण तो हो रहा है लेकिन सम्प्रदाय, जाति या धर्म के आधार पर नहीं किन्तु मोदी जी का सुशासन बनाम ममता जी का कुशासन के आधार पर। सब जानते हैं कि ममताजी 30 प्रतिशत फिक्सड डिपोजिट की राजनीति कर रही हैं। जबकि भाजपा 100 प्रतिशत की राजनीति करती आई है। हमारा मूल मंत्र ही - सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास है। ममताजी के शासन में हमारी सेना के शहीद परिवार के सदस्यों को 2 लाख और 5 लाख का मुआवजा दिया गया है, जबकि मक्का, मस्जिद दुर्घटना में मरने वालों के परिवार के सदस्यों को 10 लाख रुपये का मुआवजा दिया गया था। अब बताइए, ध्रुवीकरण की राजनीति में कौन लिप्त है? रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों को राज्य में स्वतंत्र रूप से बसने की अनुमति है, सिर्फ इसलिए कि वे एक विशेष धर्म से संबंधित हैं। क्या यह ध्रुवीकरण का प्रयास नहीं है?

बंगाल में, सभी इमामों को कई वर्षों से 2500 रुपये का मासिक वजीफा मिलता है, लेकिन केवल कुछ मुट्ठी भर हिंदू पुजारियों को पिछले कुछ महीनों से प्रति माह 1000 रुपये दिए जाते हैं। क्या यह टीएमसी द्वारा ध्रुवीकरण का प्रयास नहीं है? जब टीएमसी विशेष वोट बैंक को खुश करने के लिए हमारे हिंदू धार्मिक कार्यों पर प्रतिबंध लगा दिया, तो क्या वह ध्रुवीकरण नहीं था? जब ममताजी ने युवाओं को सिर्फ इसलिए गिरफ्तार कर लिया क्योंकि उन्होंने जय श्रीराम का जाप किया था, वह ध्रुवीकरण था या नहीं? 


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