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बढ़ती दुर्घटनाओं ने रेलवे को बनाया भगवान

-पोरझाड़ की महिलाओं ने की पटरी की पूजा -कोई दुर्घटना नहीं होने की सबने मांगी मन्नत

By JagranEdited By: Published: Sat, 01 Aug 2020 09:15 PM (IST)Updated: Sat, 01 Aug 2020 09:15 PM (IST)
बढ़ती दुर्घटनाओं ने रेलवे को बनाया भगवान
बढ़ती दुर्घटनाओं ने रेलवे को बनाया भगवान

-पोरझाड़ की महिलाओं ने की पटरी की पूजा

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-कोई दुर्घटना नहीं होने की सबने मांगी मन्नत

-रेल गेट हमेशा बंद रहने के कारण होती है परेशानी

-नीचे से जाने की कोशिश में कईयों की गई है जान

जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : दुर्घटनाओं से मुक्ति के लिए रेल को ही भगवान की तरह लोग पूजते हैं। सुनने मे कुछ अटपटा सा है, लेकिन यह हकीकत है। इसे अंधविश्वास भी कहा जा सकता है, लेकिन इलाके के लोग पूरे विश्वास के साथ रेल की पटरी की पूजा करते हैं। यह अजीब सा कार्यक्रम प्रतिवर्ष सिलीगुड़ी शहर से सटे न्यू जलपाईगुड़ी रेलवे स्टेशन के नजदीक पोराझाड़ इलाके में होता है। शनिवार को गांव की महिलाओ ने कोरोना के आतंकित काल में भी रेलवे पटरियों की पूजा की। न्यू जलपाईगुड़ी से निकली रेलवे की मेन लाइन महानंदा सेतु पार कर पोराझाड़ गांव को आड़ी-तिरछी चीरती हुई रंगापानी होते हुए किशनगंज की ओर जाती है। हमेशा रेल गाड़ियों का आना-जाना लगा रहता है। ग्रामीणों की सुरक्षा के लिए इस इलाके में रेल गेट भी है। लेकिन इस रूट पर अधिक ट्रेनों की आवाजाही के कारण गेट को हमेशा बंद देखा जाता है। ऐसे में रेलवे लाइन पार करने के लिए जीवन को दाव पर लगाना पोराझाड़ के लोगों के लिए मानो रोजाना कि बात है। रेल गेट बंद रहने के बाद भी पुरुष, महिलाएं और बच्चे नीचे से या किनारे से पार हो जाते हैं। बल्कि रेल गेट के बगल से एक रास्ता भी लोगों ने बना लिया है। साइकिल, बाइक और मवेशियों को साथ लेकर लोग आर-पार हो जाते हैं। अब जहा रेल गेट खुला मिलना किस्मत खुलने के बराबर हो वहां दुर्घटनाएं भी आम बात होगी। पोराझाड़ के इस रेल गेट पर आर-पार होते समय आए दिन दुर्घटनाए होती रहती है। बल्कि कई जाने भी गई हैं। इस समस्या का उंडरपास काफी आसान हल है। लेकिन इसके बजाए यहां के निवासी दुर्घटनाओं से बचने के लिए रेलवे को भगवान मानकर पूजते हैं और दुर्घटनाएं कम होने कि प्रार्थना करते हैं। प्रतिवर्ष गांव कि महिलाओं को केला- दूध का भोग लगाकर धूप और मोमबत्ती जलाकर पटरी कि पूजा-अर्चना करते पाया जाता है। शनिवार को इलाके की महिलाओं ने पटरी की पूजा की। पूजा करने पहुंची एक स्थानीय महिला संगीता सरकार ने बताया कि यह लाइन इतनी व्यस्त है कि हमेशा रेल गेट बंद ही रहता है। आने-जाने के लिए रेल गेट को लाघना मजबूरी है। उसी क्रम मे दुर्घटनाएं भी होती है। इन्हीं दुर्घटनाओ से बचने के लिए विश्वास के साथ यहां वर्षो से रेलवे पटरी कि पूजा की जाती है।

गांव की आबादी 17 हजार से अधिक

इलाकाई निवासी व तृणमूल नेता काíतक मंडल ने बताया कि डाबग्राम-फूलबाड़ी विधानसभा के अंतर्गत फूलबाड़ी-2 नंबर ग्राम पंचायत के अधीन पोराझाड़ गांव मे 17 हजार से अधिक मतदाता हैं। 6 हजार से अधिक घर है। यहां के लोगों के लिए रेल गेट खुला मिलना लॉटरी मे किस्मत खुलने के बराबर हैं। रेल लाइन पार करने के लिए जीवन को दाव पर लगाना यहां के लोगों कि आदत सी हो गई है। उसी मे कई बार दुर्घटना भी हो जाती है। इसलिए गांव कि महिलाएं रेल लाइन को भगवान मान कर पूजती है और दुर्घटनाएं ना होने कि प्रार्थना करती है।

अंडरपास बने तो बने बात

अंडरपास इस समस्या का स्थायी समाधान है। इसके लिए कई बार रेलवे सहित सभी संबंधित कार्यालयों से गुहार लगाई गई लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। जबकि वास्तविकता यह कि अंडरपास से ही दुर्घटनाएं कम हो सकती है।


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