पुलिस के जज्बे को नहीं रोक पाया कोरोना
-लॉकडाउन के समय किसी को भोजन-पानी की दिक्कत नहीं - 30 मार्च से अबतक 5 लाख परिवारों को ख्ि
-लॉकडाउन के समय किसी को भोजन-पानी की दिक्कत नहीं
- 30 मार्च से अबतक 5 लाख परिवारों को खिलाया खाना
- एक लाख परिवारों के बीच राशन का भी वितरण अशोक झा, सिलीगुड़ी: कोरोना वायरस ने कई योद्धाओं की जान ले ली है। इसकी परवाह नही करते हुए कोरोना वायरस से जंग में पुलिस,डॉक्टर,नर्स,स्वास्थ्य कर्मचारी तथा अन्य कोरोना योद्धा अपनी भूमिका निभाने में डटे हैं। पुलिस अफसर और जवान जो भूमिका में नजर आ रहे हैं,पहले कभी नहीं थे। सिलीगुड़ी पुलिस कमिश्नरेट की भी संकट की इस घड़ी में बड़ी भूमिका रही है। लॉकडाउन के समय अपराधियों को पकड़ने के साथ ही भोजन बनवाने और प्रवासियों को घर पहुंचाने का इंतजाम कराने तक की जिम्मेदारी पुलिस ने निभाई। ट्वीट पर किसी को भोजन पहुंचाना हो या फिर शासन का कोई निर्देश, बिना समय गंवाए पुलिस ने हर निर्देश का पालन किया। बजट की कमी के बाद भी जरूरतमंदों को खाने-पीने की कमी नहीं होने दी गई। सभी थाना क्षेत्र में पुलिस कमिश्नर त्रिपुरारि अर्थव,एएसपी राजेन छेत्री व भक्तिनगर ट्रैफिक गार्ड के आईसी सुबीर दत्त ने यह जिम्मेदारी ली कि सभी जरूरतमंदों तक भोजन पहुंचे।
पुलिस का ऐसे शुरू हुआ सफर
कोरोना का संक्रमण बढ़ते ही लॉकडाउन शुरू हो गया। लोग परेशान होने लगे। सिलीगुड़ी पुलिस कमिश्नर त्रिपुरारि अर्थव ने लोगों की परेशानी को देखते हुए 30 मार्च को सिलीगुड़ी ढाई माइल ,भक्तिनगर ट्रैफिक गार्ड को फूड रिलीफ सेल के रूप में तब्दील कर दिया। हेल्प लाइन नंबर 7586958429 जारी किया। रिलीफ सेल की जिम्मेदारी सौंपी गई एसीपी राजेन छेत्री और भक्तिनगर ट्रैफिक गार्ड आईसी प्रवीर दत्त को। देखते ही देखते इसमें कई स्वयंसेवी संगठन जुड़ते गए। सभी थानेदार को कहा गया कि वे यहा संपर्क कर जरूरतमंद लोगों कि सेवा करें। 30 मार्च से बेरोजगार मजदूरों को दो वक्त का भोजन कराने की जिम्मेदारी पुलिस को दी गई। भोजन बनवाने से लेकर सारे इंतजाम करने के लिए किसी भी थानेदार और चौकी इंचार्ज के लिए किसी प्रकार का कोई बजट नहीं था। इतना जरूर कहा गया कि वह किसी एजेंसी या समाजसेवी की मदद ले सकते हैं। भोजन इंतजाम के साथ किसी को दवा पहुंचाना या किसी अस्पताल में गरीब का इलाज, सब कुछ करने में थानेदार की जिम्मेदारी थी। कैसे किया, यह किसी से छिपा नहीं। पुलिस ने लोगों की मदद से सब कुछ मैनेज किया। प्रशासनिक अधिकारियों को कोई भी काम इस लॉकडाउन में करने में दिक्कत आती थी तो पुलिस के ये मैनेजमेंट गुरु काम आए। यह काम 31 मई यानी चौथे लॉकडाउन तक जारी रहेगा। अबतक इसके माध्यम से 5 लाख परिवारों तक तैयार भोजन और एक लाख परिवार तक राशन मुहैया कराया जा चुका है। पुलिस कमिश्नर खुद इसकी लगातार निगरानी कर रहे हैं। वे समय-समय पर कार्य मे लगे पुलिस अधिकारियों का हौसला बढ़ाने लगातार पहुंचते भी रहे है। यही कारण है कि पुलिस के मानवीय चेहरे की लोग तारीफ करते नही थक रहे है। कोरोना जंग का हिस्सा बन गई पुलिस
अब तक अपराधियों से लड़ती रही पुलिस अब कोरोना से लड़ रही है। पर ऐसा नहीं कि क्राइम कंट्रोल उनकी प्राथमिकता में नहीं है। दरअसल राष्ट्रीय संकट में कोराना से हर स्तर पर हो रही जंग का एक हिस्सा पुलिस भी बनी है। कोरोना वायरस से बचाव और लॉकडाउन का पालन कराने के लिए पुलिस तरह-तरह से लोगों के बीच जागरूकता फैला रही है। सुरक्षित और सतर्कता बरतने के लिए विभिन्न माध्यमों से पुलिस अपील कर रही है। कहीं पुलिसकर्मी सड़कों पर हाथ जोड़ लोगों से घरों में रहने की अपील कर रहे तो कहीं माइकिंग कर रहे हैं। कोरोना से जंग जीतने के लिए हमें कोरोना योद्धाओं को पूर्ण सम्मान देना ही होगा। उनके प्रति अपने व्यवहार को सहज बनाना ही होगा। संकट की इस घड़ी में पुलिस, डाक्टरों, नर्सो की परेशानियों को समझना होगा। जितनी डयूटी डाक्टरों की मुश्किल भरी है, उतनी ही सख्त डयूटी पुलिसकíमयों की है। शारीरिक दूरी के बीच डयूटी करना आसान नहीं है। इस जंग में पुलिस के जवानों ने भी अपनी शहादते दी हैं। उन्हें हमेशा याद रखें। उनके परिवारों को सम्मान दें। पुलिस हमेशा आपके साथ और आपके पास है। सिर्फ हमारा सहयोग करें,समस्या का समाधान निकलेगा। कभी कानून अपने हाथ में ना लें।
त्रिपुरारि अर्थव, पुलिस कमिश्नर,सिलीगुड़ी