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West Bengal: बंगाल की जेलों में 86 दिनों में रिहा हुए उम्रकैद की सजा काट रहे 101 कैदी

West Bengal Jail. उम्रकैद की सजा पाने वालों को जल्दी रिहाई के लिए सुप्रीम कोर्ट की ओर से निर्देशित प्रक्रिया का पालन करना होता है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Wed, 26 Feb 2020 06:18 PM (IST)Updated: Wed, 26 Feb 2020 06:18 PM (IST)
West Bengal: बंगाल की जेलों में 86 दिनों में रिहा हुए उम्रकैद की सजा काट रहे 101 कैदी
West Bengal: बंगाल की जेलों में 86 दिनों में रिहा हुए उम्रकैद की सजा काट रहे 101 कैदी

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। West Bengal Jail. बंगाल की विभिन्न जेलों में उम्रकैद की सजा काट रहे 101 कैदियों को पिछले 86 दिनों में रिहा किया जा चुका है। इनमें वे कैदी शामिल हैं, जो पिछले 14 साल या उससे भी अधिक समय से जेल में बंद थे। दिसंबर, 2019 से लेकर 25 फरवरी, 2020 के दौरान इन कैदियों को रिहा किया गया है। सुधार-न्याय योजना के तहत इतनी कम अवधि में इतनी बड़ी संख्या में कैदियों को सलाखों से मुक्ति दी गई है, वह भी उम्रकैद की सजा काटने वालों को। गत मंगलवार को 27 कैदियों को रिहा किया गया, जिनमें दो महिलाएं भी शामिल थीं। आने वाले दिनों में 75 और कैदियों को रिहा करने की प्रक्रिया चल रही है।

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गौरतलब है कि उम्रकैद की सजा पाने वालों को जल्दी रिहाई के लिए सुप्रीम कोर्ट की ओर से निर्देशित प्रक्रिया का पालन करना होता है। कलकत्ता हाईकोर्ट ने इसका अनुपालन करते हुए तेजी से सुनवाई की, जिसके तहत इतने बड़े पैमाने पर रिहाई संभव हो सकी है।

ऐसे दी जा रही रिहाई

राज्य सीआरपीसी की धारा 432 और 433 के तहत सजा बदल सकते हैं, हालांकि उम्र कैद के मामलों में यह तभी संभव है, जब अपराधी कम से कम 14 वर्ष की सजा काट चुका हो। गृह सचिव की अध्यक्षता वाला राज्य दंड समीक्षा बोर्ड मामलों की समीक्षा करता है और यदि कैदी मानकों के अनुरूप पाए जाते हैं तो सरकार से उनकी जल्द रिहाई की अनुशंसा की जाती है।

2010 से 2012 के दौरान 193 कैदी हुए थे मुक्त

2010 से 2012 के दौरान तीन साल में 193 कैदियों को रिहा किया गया था। नवंबर, 2012 में जस्टिस केएस राधाकृष्णन और जस्टिस मदन बी लोकुर की ओर से सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद प्रक्रिया में बदलाव हुआ। इसमें कहा गया कि राज्य सरकारों को आजीवन कारावास की सजा पाए अपराधियों के लिए इस शक्ति का प्रयोग करने से पहले अदालत की मंजूरी जरूर लेनी चाहिए। इस आदेश के बाद 2013 से 2018 के बीच रिहाई के मामलों में कमी आ गई। 2016 से 2018 के बीच महज सात लोगों को रिहा किया गया था लेकिन पिछले वर्ष से लेकर गत मंगलवार तक एक बार फिर ऐसे कैदियों की रिहाई की प्रक्रिया तेज हुई है।

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