संगठन को मजबूत करने में जुटा संघ
-दीदी के गढ़ में और सक्रिय होंगे स्वयंसेवक -क्षेत्रीय प्रचारक ने दिए कई निर्देश गांव व वाड
-दीदी के गढ़ में और सक्रिय होंगे स्वयंसेवक
-क्षेत्रीय प्रचारक ने दिए कई निर्देश, गांव व वार्डवासियों तक पहुंचाने की लगेगी होड़
जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी :
नरेंद्र मोदी और अमित शाह की बिग्रेड जिस प्रकार से पश्चिम बंगाल को भगवामय बनाने में जुटी है, उसी तर्ज पर बंगाल में ममता के गढ़ में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ राष्ट्रवाद व हिदुत्व का अलख जगाएगी। हालांकि राज्य सरकार की ओर से पुलिस प्रशासन को सख्त निर्देश दिया गया है कि संघ या संघ से जुड़े किसी संगठन के कार्यक्रमों को अनुमति नहीं दी जाए। इन सब बातों के परे पश्रि्वम बंगाल में बांग्लादेशी घुसपैठ को रोकने के लिए संघ की टीम संगठन को मजबूत करने के साथ नागरिकता कानून को जन जन को समझाने के लिए काम करेंगी। उत्तर बंगाल के संघ से जुड़े सभी संगठनों के प्रमुख पदाधिकारियों के साथ इस संबंध में क्षेत्रीय प्रचारक बैठक लेकर आवश्यक निर्देश दिया है। कहा गया कि अखंड भारत में रहने वाले हिदुओं के साथ हो रहे प्रताड़ना को युवा और महिलाओं तक पहुंचाया जाए।संघ के दोनों पदाधिकारियों ने बताया कि हालिया छह वर्षो में उत्तर बंगाल में 50 नई शाखाएं खुली हैं। दो हजार से ज्यादा नए युवा आरएसएस से जुड़े है। वर्तमान में उत्तर बंगाल में 827 शाखाएं चल रहीं हैं। बाल स्वयंसेवकों की संख्या में भी लगातार वृद्धि हुई है। रेडी फॉर सोशल, जिसमें समरसता को जोड़ा गया है। इसके माध्यम से 1083 प्रकल्प चल रहे हैं। समाज को सेवा के माध्यम से जोड़ा जा रहा है। गांव-गांव तक इसकी शाखाएं पहुंचें, यही संघ का मूलमंत्र है। समाज को जात पात से अलग सभी को साथ लेकर संगठित करने पर बल दिया जाए। वोट की राजनीति से दूर समाज को एकजुट करना अनिवार्य हो। उत्तर बंगाल का यह क्षेत्र चिकन नेक माना जाता है। स्वयंसेवकों को सशक्त भारत देखने का संकल्प लेकर आगे बढ़ना होगा। समाज का हर वर्ग स्वस्थ्य रहे उसे सभी प्रकार की खुशहाली मिले इसका प्रयास हो। राष्ट्र निर्माण में प्रत्येक व्यक्ति की भागीदारी होनी चाहिए। ज्यादा से ज्यादा युवाओं को संघ से जोड़ने पर बल दिया गया। ग्रामीण क्षेत्र में संघ की शाखाओं को बढ़ाने पर बल दे। संघ सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार देशभर में नागरिकता कानून 2019 के खिलाफ हो रहे विरोध प्रदर्शन के बीच आम लोगों तक पहुंच इसकी सत्यता को बताने की कोशिश करेगी। इसके साथ ही हिदू समाज को एकजुट और संगठित करने के लिए सभी प्रकार के आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। संघ अपने स्वयंसेवकों से राज्यभर के लोगों के बीच फायदों के बोरे में बताने के लिए कहा गया है। इसके लिए पहले भी वर्ष 2017 से लगातार पर्चे बांटे गये थे। 2020 में दोबारा से इस पर काम शुरू हो गया है। ये सभी असम के लोगों को यह विश्वास दिलाने की कोशिश करेंगे कि कानून से असम में किसी तरह का जनसांख्यिकी बदलाव नहीं आएगा। इसके साथ ही अवैध प्रवासियों का बोझ नहीं उठाना पड़ेगा। बताया गया कि इस कानून में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से अवैध रूप से आकर भारत में बसे गैर मुस्लिम प्रवासियों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है। असम में भी बंगाल के साथ होने वाले विधानसभा चुनाव में बंगाल में 200 सीटें और असम में 100 सीटें जीतने का लक्ष्य लेकर काम करने का लक्ष्य रखा गया है। लोगों को बताया जाएगा कि सांस्कृतिक, सामाजिक, भाषायी आधार पर किसी को भी देश से बाहर नहीं निकाला जाएगा।