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होलाष्टक:आठ दिनों तक नहंी होंगे शुभ कार्य

-तीन मार्च से नौ मार्च तक देता है होली के आने का संकेत जागरण संवाददाता सिलीगुड़ी होला

By JagranEdited By: Published: Sun, 23 Feb 2020 08:10 PM (IST)Updated: Mon, 24 Feb 2020 06:22 AM (IST)
होलाष्टक:आठ दिनों तक नहंी होंगे शुभ कार्य
होलाष्टक:आठ दिनों तक नहंी होंगे शुभ कार्य

-तीन मार्च से नौ मार्च तक, देता है होली के आने का संकेत

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जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : होलाष्टक होली से आठ दिन पहले शुरू हो जाता है। इस दौरान शुभ कार्य करना निषेध बताया गया है। आचार्य पंडित यशोधर झा ने बताया कि होली से पहले के आठ दोनों को होलाष्टक कहा जाता है। इस बार यह 03 मार्च, मंगलवार से शुरू हो रहा है जो 09 मार्च, सोमवार तक है। इस दौरान विवाह, गृह प्रवेश, नए बिजनेस हो या कोई अन्य शुभ कायरें को नहीं किया जाता है। इस बारे में मान्यता ये है कि होली से आठ दिन पहले भक्त प्रह्लाद को उसके पिता हिरण्यकशिपु ने मारने की कोशिश शुरू कर दिया था। इसलिए आज भी होलाष्टक की अवधि में शुभ कार्य नहीं किया जाता है।

उन्होंने बताया कि होलाष्टक के दौरान शादी-विवाह के लिए शुभ मुहूर्त नहीं होता है। ऐसे में इस अवधि में मागलिक कायरें पर रोक लगी होती है।

धर्म ग्रंथों में वर्णित 16 प्रकार के संस्कार को सम्पन्न करना अशुभ बताया गया है। हालाकि इस दौरान अगर कोई स्वर्गवास हो जाता है तो उसका अंतिम संस्कार किया जा सकता है।धार्मिक अनुष्ठान जैसे- यज्ञ, हवन आदि कार्य भी इन दिनों में नहीं किए जाते हैं। नवविवाहिता इस दौरान मायके भी नहीं जातीं और न ही मायके से ससुराल को जाती हैं। भवन निर्माण के लिए भूमि पूजन भी होलाष्टक की अवधि में नहीं किया जाता है। हालाकि होलाष्टक के दौरान शुभ कार्य करने की मनाही होती है, फिर भी इस दौरान अपने इष्ट देव की पूजा-अर्चना कर सकते हैं। व्रत-उपवास भी कर सकते हैं। होलाष्टक के दौरान जरूरतमंदों को अनाज, वस्त्र आदि दान करना लाभकारक बताया गया है। हालाकि इसके लिए किसी योग्य पंडित की भी सलाह ले लेनी चाहिए। फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से लेकर पूर्णिमा तक ग्रहों की दशा का स्वरूप उग्र होता है। फाल्गुन शुक्ल आष्टामी को चंद्रमा, नवमी को सूर्य, दशमी को शनि, एकादशी को शुक्त्र, द्वादशी को बृहस्पति, त्रयोदशी को बुध और चतुर्दशी को मंगल और पूर्णिमा को राहु उग्र रूप में रहते हैं। ऐसे में इंसान का मन कई प्रकार के दुविधाओं से घिरा रहता है, इसलिए कोई भी शुभ कार्य बनने के बजाय बिगड़ने की संभावना अधिक रहती है।


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