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उत्तर बंगाल में चाय उद्योग संकट में

-उत्पादकों ने टी बोर्ड पर लगाए कई गंभीर आरोप -असम को मिलती है 80 प्रतिशत सहायता राश्ि

By JagranEdited By: Published: Sat, 22 Feb 2020 10:18 PM (IST)Updated: Sun, 23 Feb 2020 06:22 AM (IST)
उत्तर बंगाल में चाय उद्योग संकट में
उत्तर बंगाल में चाय उद्योग संकट में

-उत्पादकों ने टी बोर्ड पर लगाए कई गंभीर आरोप

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-असम को मिलती है 80 प्रतिशत सहायता राशि

-प्रधानमंत्री को पत्र लिखने पर भी कोई लाभ नहीं

-चाय बागान के 15 प्रतिशत जमीन पर टी-टूरिज्म के लिए उपयोग करने की राज्य सरकार की घोषणा का स्वागत

-किसानों की तरह चाय बागान के लिए भी सब्सिडी दिए जाने की आवश्यकता पर बल

जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : उत्तर बंगाल के चाय उद्योग के साथ टी-बोर्ड ऑफ इंडिया पर सौतेला व्यवहार करने का आरोप तराई इंडियन प्लांटर्स एसोसिएशन ने लगाया है। संगठन के अध्यक्ष महेंद्र बंसल ने शनिवार को सिलीगुड़ी में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि उत्तर बंगाल का चाय उद्योग पिछले कुछ दशक से काफी संकट में है। टी-बोर्ड ने उत्तर बंगाल के चाय उद्योग को पूरी तरह से उपेक्षित किया है। चाय उद्योग चलाने के लिए टी-बोर्ड के पास ना तो कोई विजन है और ना ही कोई गाइड लाइन है। उन्होंने कहा कि चाय उद्योग को मिलने वाले फंड का 80 प्रतिशत असम को चला जाता है। उन्होंने कहा कि दार्जिलिंग, जलपईगुड़ी, अलीुपरद्वार व कूचबिहार के सांसद से भी मिलकर चाय उद्योग की समस्याओं से अवगत कराया गया है। यहां तक प्रधानमंत्री को भी पत्र भेजकर उत्तर बंगाल के चाय उद्योग की ओर उनका ध्यान आकृष्ट कराने की कोशिश की गई है, लेकिन अभी तक कोई ठोस परिणाम नहीं निकल सका है। बंसल ने कहा कि चाय उद्योग के वाणिजय मंत्रालय के अधीन होने से सब्सिडी दर पर खाद भी मिलना मुश्किल है। अगर इसे कृषि मंत्रालय के अधीन रखा जाता तो कम से कम सब्सिडी दर पर खाद, लोन व अन्य सुविधाओं का लाभ मिल पाता।

उन्होंने कहा कि काले धन पर रोक लगाने के लिए सरकार कैसलेस लेन-देन का बढ़ावा दे रही है। चाय बागानों में बैंकिंग सुविधा नहीं होने से बागान श्रमिकों को नकद भुगतान करना पड़ता है। बैंक से नकद निकालने पर दो प्रतिशत टीडीएस कट जाता है। इस तरह से हर साल टीडीएस के रूप में कई करोड़ रुपये देना पड़ता है। उन्होंने कहा कि जब तक बैंकिंग सिस्टम की ढांचागत व्यवस्था सुदृढ़ ना हो जाए तब तक दो प्रतिशत टीडीएस की जगह 0.01 प्रतिशत टीडीएस लगाया जाना चाहिए।

संगठन के सदस्यों ने पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा शुरू चाय-सुंदरी योजना का स्वागत किया है। कहा कि इससे काफी संख्या में बागान श्रमिक लाभान्वित होंगे।

इसके अलावा उन्होंने कहा कि टी-टूरिज्म के लिए 15 प्रतिशत चाय बागान की जमीन का उपयोग करने की राज्य सरकार की नीति इस क्षेत्र में नए रोजगार के अवसर प्रदान करेगी। इस मौके पर संगठन की ओर हर्ष बरेलिया, प्रबीर श्रील व मलय मैत्रो समेत अन्य लोग मौजूद थे।


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