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Vijay Diwas in Army : आर्मी त्रिशक्ति कोर में विजय दिवस पर याद किए गए 1971 के योद्धा

आर्मी त्रिशक्ति कोर द्वारा मिली जानकारी के अनुसार 1971 भारत - पाकिस्तान युद्ध राष्ट्र के लिए एक ऐतिहासिक जीत थी साथ ही इसकी सशस्त्र सेना हर साल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस तरह बांग्लादेश के संप्रभु राष्ट्र के जन्म का मार्ग प्रशस्त हुआ।

By Preeti jhaEdited By: Published: Wed, 16 Dec 2020 02:26 PM (IST)Updated: Wed, 16 Dec 2020 02:26 PM (IST)
Vijay Diwas in Army : आर्मी त्रिशक्ति कोर में विजय दिवस पर याद किए गए 1971 के योद्धा
विजयदिवस पर आर्मी त्रिशक्ति कोर अंतर्गत शहीद स्तंभ पर श्रद्धांजलि अर्पित कर शहीदों को सलामी देते आर्मी त्रिशक्ति कोर लेफ्टिनेंट

सिलीगुड़ी, जागरण संवाददाता। वर्ष 1971 के भारत-पाक युद्ध में पाकिस्तान के ऊपर भारतीय सेना की ऐतिहासिक जीत की याद में 16 दिसंबर 2020 को आर्मी त्रिशक्ति वाहिनी में पारंपरिक सैन्य अलंकरण धूमधाम के साथ मनाया गया था, जो बांग्लादेश के निर्माण का गवाह था।

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इस मौके पर बुधवार को लेफ्टिनेंट जनरल अजय कुमार सिंह, वाईएसएम, एसएम, वीएसएम, जीओसी त्रिशक्ति कोर, ने युद्ध स्मारक पर माल्यार्पण कर वीर सैनिकों को श्रद्धांजलि दी। आर्मी त्रिशक्ति कोर द्वारा मिली जानकारी के अनुसार 1971 भारत - पाकिस्तान युद्ध राष्ट्र के लिए एक ऐतिहासिक जीत थी, साथ ही इसकी सशस्त्र सेना हर साल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। ऐतिहासिक सैन्य जीत के परिणामस्वरूप तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान का नियंत्रण समाप्त हो गया, इस तरह बांग्लादेश के संप्रभु राष्ट्र के जन्म का मार्ग प्रशस्त हुआ।

विजय दिवस एक ऐतिहासिक घटना है और लोगों की आकांक्षाओं का एक चमकदार उदाहरण है जो निर्णायक सैन्य कार्रवाई से संभव हुआ। इस वर्ष यह स्वर्ण जयंती वर्ष "स्वराज व्रत वर्ष" समारोह शुरू करने के लिए भी मनाया जा रहा है। सेना द्वारा मिली जानकारी के अनुसार यह दुनिया का एकमात्र ऐसा युद्ध था जिसमें 15 दिनों के युद्ध में एक नए राष्ट्र बांग्लादेश का निर्माण हुआ तथा पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी। इस युद्ध में लगभग 93 हजार पाकिस्तानी सैनिकों को आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर होना पड़ा।

बताया गया कि जनरल मानिक शॉ ने जनरल जेएफआर जैकब को 16 दिसंबर को आत्मसमर्पण की तैयारी के लिए तत्काल ढाका पहुंचने का संदेश दिया। उस दौरान लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा ढाका पहुंचे। नियाजी ने रिवॉल्वर व बिल्ले लेफ्टिनेंट जनरल अरोड़ा के हवाले कर दिए। दोनों ने दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए तथा 93 हजार पाकिस्तानी सैनिकों को युद्धबंदी बनाया गया। करीब 3,900 भारतीय सैनिकों ने शहादत दी। इस प्रकार एक नए देश बांग्लादेश की नींव पड़ी। 


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