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जेटीएस क्लब- नागालैंड की संस्कृति दिखाने की तैयारी

-जोर-शोर से जारी है पंडाल बनाने का काम -दिन-रात काम में जुटे 25 कारीगर -कोलकाता से

By JagranEdited By: Published: Sat, 14 Sep 2019 08:44 PM (IST)Updated: Sat, 14 Sep 2019 08:44 PM (IST)
जेटीएस क्लब- नागालैंड की संस्कृति दिखाने की तैयारी
जेटीएस क्लब- नागालैंड की संस्कृति दिखाने की तैयारी

-जोर-शोर से जारी है पंडाल बनाने का काम

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-दिन-रात काम में जुटे 25 कारीगर

-कोलकाता से आएंगी मां दुर्गा

-विभिन्न सामाजिक कार्यो का भी आयोजन

पूजा परिक्रमा

फोटो राजेश

स्नेहलता शर्मा , सिलीगुड़ी :जेटीएस क्लब, हाकिमपाड़ा में इस वर्ष नागालैंड की जनजाति की संस्कृति को आधार बनाकर पूजा पंडाल बनाया जा रहा है। जिसमें इस जनजाति के गहने, कपड़े उनके हथियार सहित अन्य सामग्रियों से पंडाल की सजावट की जाएगी। वहां की रंगारंग संस्कृति को बहुत ही खूबसूरती के साथ दर्शाया जाएगा। इस समय जोर-शोर से पंडाल बनाने का कार्य किया जा रहा है। मेदिनीपुर से आए लगभग 25 कारीगरों के द्वारा पंडाल बनाने का काम चल रहा है। पिछले सोलह अगस्त से यह कार्य जारी है। इस बारे में क्लब परिसर की ओर से जानकारी देते हुए प्रांतोष साहा ने बताया कि नागालैंड की संस्कृति को आधार बनाकर पंडाल बनाने का कार्य किया जा रहा है। जो देखने में बहुत खूबसूरत लगेगा। इस तरह का पंडाल बनाने का प्रमुख लक्ष्य है कि हमारी भावी पीढ़ी नागा संस्कृति के बारे में जान सकें। आजकल हम गांव की संस्कृति से दूर होते जा रहे हैं। वहीं देवी दुर्गा की प्रतिमा कोलकाता से बनकर आएगी। कोलकाता के मूर्तिकार मोहन बासी और रुद्र पाल के द्वारा प्रतिमा का निर्माण किया जा रहा है। देवी दुर्गा भी इसी संस्कृति में सजी-धजी हुई नजर आएंगी। बहुत ही सहेज कर देवी की प्रतिमा लाई जाएगी।

क्लब की स्थापना: क्लब की स्थापना वर्ष 1965 में की गई थी। शंकर बसाक, संतोष साहा, नानू शोम, शिबू दे, कुमार कांति घोष के द्वारा क्लब की स्थापना की गई थी। पूजा आयोजन का प्रमुख उद्देश्य था भारतीय संस्कृति से रूबरू कराना। इसके साथ ही जरूरतमंदों की सहायता करना क्लब का प्रमुख लक्ष्य रखा गया।

सामाजिक कार्य: प्रतिवर्ष पूजा के मौके पर जरूरतमंदों की सहायता हेतु आर्थिक सहायता दी जाती है। इस वर्ष भी जरूरतमंदों की सहायता करने की योजना है। वहीं क्लब की ओर बहुत ही कम मूल्य पर जिम की व्यवस्था की गई है। इसके साथ ही भारतनाट्यम और अन्य नृत्य भी सिखाए जाते है।


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