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नागार्जुन : जनहित में प्रतिरोध के निर्भीक प्रतिमान

सिलीगुड़ी कॉलेज व्याख्यान फोटो राजेश 01 -सिलीगुड़ी महाविद्यालय के हिदी विभाग में एकल व्याख्यान सत्र आय

By JagranEdited By: Published: Wed, 11 Sep 2019 08:10 PM (IST)Updated: Wed, 11 Sep 2019 08:10 PM (IST)
नागार्जुन : जनहित में प्रतिरोध के निर्भीक प्रतिमान
नागार्जुन : जनहित में प्रतिरोध के निर्भीक प्रतिमान

फोटो : राजेश 01

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-सिलीगुड़ी महाविद्यालय के हिदी विभाग में एकल व्याख्यान सत्र आयोजित

-दार्जिलिंग गवर्नमेंट कॉलेज के हिदी विभाग के सहायक प्राध्यापक ब्रजेश कुमार चौधरी ने दिया व्याख्यान

जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी :

आपातकालीन भारत में अपनी जीवंतता का अनुभव कराने वाले अनोखे कवि रहे हैं नागार्जुन। जन के प्रति समर्पित उनकी रचनाधर्मिता निर्भीकता का प्रतिमान है। दार्जिलिंग गवर्नमेंट कॉलेज के हिदी विभाग के सहायक प्राध्यापक ब्रजेश कुमार चौधरी ने ये बातें कहीं। वह बुधवार को सिलीगुड़ी महाविद्यालय में हिंदी विभाग की ओर से पाठ्यक्रम केंद्रित व्याख्यान श्रृंखला के दूसरे चरण के तहत आयोजित 'जनधर्मिता के कवि नागार्जुन' विषयक एकल व्याख्यान सत्र को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि नागार्जुन ने व्यंग्य को माध्यम बनाकर जनतंत्र के प्राण चुनाव के दौरान अपने जरूरी दायित्व के प्रति युवा पीढ़ी को अपनी कविता 'जाति नखरंजनी' द्वारा बखूबी बोध कराया है। नागार्जुन की रचनाओं 'गुलाबी चूड़िया', 'खुरदुरे पैर' आदि को देखें तो अछूते प्रसंगों की उनका रचना के विषयों में एक ओर जन आकाक्षा व्यक्त होती है, तो साथ ही जन की पीड़ा भी और इससे भी आगे इस पीड़ा से उबारने के लिए नागार्जुन की जनधर्मिता भी। वह विशेष कर राजनीतिक विसंगतियों को चुनौती देने वाले अद्भुत कवि थे। उन्होंने स्पष्ट किया कि राजनीतिक बदहाली के लिए यदि राजनेता दोषी हैं, तो मतदाता भी कम दोषी नहीं हैं। राजनीति के प्रति आम जनता की जवाबदेही जरूरी है।

सिलीगुड़ी महाविद्यालय के हिदी विभाग की अध्यापिका पूनम सिंह ने कहा कि नागार्जुन किसी 'वाद' से ऊपर जन के पक्ष में खड़े कवि हैं। सिलीगुड़ी महाविद्यालय के हिदी विभागाध्यक्ष डॉ. अजय कुमार साव ने विचार व्यक्त किया कि जनता की चिंता करते हुए रचना कर्म एक रचनाकार की मौलिक जरूरत है। इसके बावजूद सभी जनकवि नहीं होते। जनकवि के रूप में खुद को स्थापित कर पाने वाले इकलौते कवि नागार्जुन ही हैं। उनकी जनधर्मिता सच्चे अर्थ में जनतंत्र की विधायिनी शक्ति है। नागार्जुन का व्यक्तित्व स्वयं में मनुष्य के द्रष्टा व स्त्रष्टा बनने की कहानी है।

इस व्याख्यान सत्र में विद्यार्थी वर्ग से उर्मिला साह, राजीव कुमार तिवारी, मधु चौधरी, नेहा मजूमदार, आरती साह, दीप नारायण साह, काजल दास एवं प्रियंका भगत आदि ने भी ज्वलंत मुद्दों को उठाया। छात्रा दीपा मिश्रा ने 'कालिदास सच सच बतलाना' कविता का गायन कर सत्र का आरंभ किया तो 'मंत्र' कविता की आवृत्ति के साथ ही छात्रा प्रियंका भगत ने इसका कुशल संचालन किया। इसमें अनेक विद्यार्थी सम्मिलित रहे।


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