बंद चाय बागान के श्रमिकों को 1500 रुपये देने की स्वीकृति
संसू दार्जिलिंग ट्राइंडन कंपनी की ओर से पहाड़ के तीन चाय बागानों को बंद किए जाने की अ
संसू, दार्जिलिंग : ट्राइंडन कंपनी की ओर से पहाड़ के तीन चाय बागानों को बंद किए जाने की आधिकारिक घोषणा बुधवार को किए जाने से श्रमिकों में मायूसी की लहर दौड़ गई। बागान मालिक ने इसकी सूचना राज्य सरकार को देते हुए प्रति श्रमिक प्रति महीने 1500 रुपये की धनराशि देने की सूचना दी है। सहश्रम आयुक्त कार्यालय ने 15 अक्टूबर 2015 से धोत्रे क्लेज, भेल्ली पोशक चाय बगान को अघोषित रूप से बंद करके रखने और बागान मालिक केबी सिंह ने बागान बंद करने की सूचना राज्य सरकार के श्रम विभाग को देने के बाद बुधवार केा सरकारी आदेश के माध्यम से धनराशि देने की जानकारी दी। छोत्रिया चाय बागान में 1354,क्लेज भेल्ली में 642 और पोशक चाय बागान में 578 श्रमिकों को बिना राशि के देखभाल कर रहा था। गोजमुमो के श्रमिक संगठन दार्जिलिंग तराई डुवार्स प्लांटेशन लेबर यूनियन ने चाय बागनों को बंद की जाने पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए अब जो श्रमदान की राशि देने की घोषणा की गई वह यूनियन की सबसे बड़ी सफलता है। यूनियन की अध्यक्ष श्रीमती करुणा गुरुंग ने बुधवार की रात सात बजे सरकार से मालिक को सरकारी सहायता देने की सूचना यूनियन को प्राप्त हुई है। इस सूचना को देने के लिए छोत्रिया स्कूल के प्रागंण में एक सभा भी की गई थी। इसी प्रकार पूजा बोनस के मुद्दे पर यूनियन के महासचिव भरत ठकुरी ने कहाकि पहाड़ पर 87 चाय बागानों में अच्छी क्वालिटी की चाय पैदा की जाती है। इसलिए 20 प्रतिशत कम बोनस किसी भी हालत में मंजूर नहीं होगी। इस संदर्भ में शुक्रवार को अपरान्ह तीन बजे एक बैठक भी बुलाई गई है। जीटीए के मुख्य सलाहकार संदीप मुखर्जी ने बताया कि 8.33 प्रतिशत बोनस देने के निर्णय का घोर विरोध किया था। 2005 में जहां चाय का उत्पादन 14 मिलियन केजी था जो अब घटकर साढे सात मिलियन केजी रह गया है। इतना ही नहीं प्रति श्रमिक नौ रुपये राशन को लेकर प्रतिदिन 176 रुपये देने पर श्रमिकों का जीवन कैसे चलेगा। इस पर बागान मालिक और सरकार दोनों को विचार करे।
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फोटो दार्जिलिंग 2: चाय बागान पोशक की फाइल फोटो