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सावन शिव आराधना के साथ इस महीने में प्रकृति और भक्ति दोनों ही अपने चरम रूप में होती है

साल के इसी सावन महीने को शिव और शक्ति की आराधना के लिए उपयुक्त माना गया है। इसके पीछे कारण है कि यह माह देवों के देव महादेव का प्रिय माह है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Thu, 18 Jul 2019 11:47 AM (IST)Updated: Thu, 18 Jul 2019 11:47 AM (IST)
सावन शिव आराधना के साथ इस महीने में प्रकृति और भक्ति दोनों ही अपने चरम रूप में होती है
सावन शिव आराधना के साथ इस महीने में प्रकृति और भक्ति दोनों ही अपने चरम रूप में होती है

सिलीगुड़ी, जागरण संवाददाता। पूर्वोत्तर का प्रवेशद्वार है सिलीगुड़ी। इसे धर्मनगरी के नाम से भी जाना जाता है। ऐसे में सावन और शिव से जुड़ी बातों का वर्णन नहीं हो तो कुछ अटपटा लगेगा। आचार्य पंडित यशोधर झा ने कहा कि सावन शिव आराधना के साथ धरती के नवश्रृंगार का महीना माना जाता है। यही समय है जब हरित आवरण ओढ़े धरा आपको नजर आएगी।

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इस महीने में प्रकृति और भक्ति दोनों ही अपने चरम रूप में होती है। साल के इसी सावन महीने को शिव और शक्ति की आराधना के लिए उपयुक्त माना गया है। इसके पीछे कारण है कि यह माह देवों के देव महादेव का प्रिय माह है। अथवा कह सकते हैं कि सावन माह भगवान शंकर का माह है।

सावन माह की श्रेष्ठता को लेकर कई पौराणिक मान्यताएं हैं। इसमें शिव और सती, शिव और पार्वती और समुंद्र मंथन तक की कई कथाएं प्रचलित हैं। महादेव से उन्हें श्रावण महीना प्रिय होने का कारण पूछा तो महादेव भगवान शिव ने बताया कि जब देवी सती ने अपने पिता दक्ष के घर में योगशक्ति से शरीर त्याग किया था। उससे पहले देवी सती ने महादेव को हर जन्म में पति के रूप में पाने का प्रण किया था।

अपने दूसरे जन्म में देवी सती ने पार्वती के नाम से हिमाचल और रानी मैना के घर में पुत्री के रूप में जन्म लिया। पार्वती ने युवावस्था के श्रावण महीने में निराहार रह कर कठोर व्रत किया और उन्हें प्रसन्न कर उनसे विवाह कर लिया। उसके बाद ही महादेव के लिए यह विशेष हो गया। श्रावण के महीने में भगवान शंकर की विशेष रूप से पूजा की जाती है। इस दौरान पूजन की शुरुआत महादेव के अभिषेक के साथ की जाती है। अभिषेक में महादेव को जल, दूध, दही, घी, शक्कर, शहद, गंगाजल, गन्ना रस आदि से स्नान कराया जाता है। अभिषेक के बाद बेलपत्र, समीपत्र, दूब, कुशा, कमल, नीलकमल, आक, कनेर, राई फूल आदि से शिवजी को प्रसन्न किया जाता ह 


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