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सिलीगुड़ी में हिंदी स्कूल खस्ताहाल

हिंदी स्कूलों की समस्यामेयर ने शिक्षा मंत्री को लिखी चिट्ठी - कहीं भवन नहीं तो कहीं शिक्षक नदारद -कायाकल्प की मांग ने फिर से पकड़ा जोर -

By JagranEdited By: Published: Thu, 11 Jul 2019 07:11 PM (IST)Updated: Thu, 11 Jul 2019 07:11 PM (IST)
सिलीगुड़ी में हिंदी स्कूल खस्ताहाल
सिलीगुड़ी में हिंदी स्कूल खस्ताहाल

समस्या - कहीं भवन नहीं तो कहीं शिक्षक नदारद

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-कायाकल्प की मांग ने फिर से पकड़ा जोर

-मेयर अशोक भट्टाचार्य ने शिक्षा मंत्री को लिखी चिट्ठी

-कुछ स्कूलों का दर्जा बढ़ाने की भी मांग

जागरण संवाददाता,सिलीगुड़ी:सिलीगुड़ी नगर निगम इलाके में हिंदी स्कूलों की काफी कमी है। जबकि नगर निगम के 47 वाडरें में हिंदी भाषियों की संख्या काफी अधिक है। जो कुछ हिंदी स्कूल हैं भी वो खस्ताहाल हैं। कहीं भवन की कमी है तो कहीें हिंदी शिक्षक ही नहीं हैं। इसके कारण पठन-पाठन भी प्रभावित होता है। अभिभावक अपने बच्चे को ऐसी स्कूलों में नहीं पढ़ाना चाहते। गरीब लोग निजी स्कूलों में अपने बच्चों को नहीं पढ़ा सकते,इसलिए मजबूरी में सरकारी स्कूलों में पढ़ाने को बाध्य हैं। ऐसे हिंदी स्कूलों की समस्या सिर्फ सिलीगुड़ी नगर निगम इलाके में ही नहीं, बल्कि पूरे उत्तर बंगाल में है। हिंदी स्कूलों एवं कॉलेजों की कमी के कारण हिंदी भाषी विद्यार्थी काफी परेशान रहते हैं। समय पर समय पर विभिन्न संगठनों की ओर से अधिक से अधिक हिंदी स्कूल स्थापित करने एवं वर्तमान हिंदी स्कूलों के कायाकल्प की माग की जाती रही है। अब सिलीगुड़ी नगर निगम के मेयर अशोक भट्टाचार्य ने भी अधिक से अधिक हिंदी स्कूल खोलने एवं वर्तमान हिंदी स्कूलों के कायाकल्प की माग की है। उन्होंने इस संबंध में राज्य के शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी को एक चिट्ठी भी लिखी है। आज उन्होंने यह चिट्ठी मीडिया को जारी किया। संवाददाताओं से बातचीत करते हुए अशोक भट्टाचार्य ने कहा कि सिलीगुड़ी नगर निगम इलाके के कुछ हिंदी स्कूलों में शिक्षकों की कमी की शिकायत उन्हें मिली है। जबकि कुछ अन्य स्कूलों में हिंदी के शिक्षक ही नहीं हैं। इन्हीं में से आठ नंबर वार्ड स्थित अरविंद विद्या मंदिर प्राथमिक स्कूल भी शामिल है। यहा हिंदी के शिक्षक ही नहीं हैं। जबकि इस इलाके में काफी संख्या में हिंदी भाषी लोग रहते हैं। उनके बच्चे इसी स्कूल में पढ़ते हैं। यहा एक हिंदी शिक्षक की नियुक्ति अत्यंत जरूरी है। इसकी माग वहा के हिंदी भाषी लोग उनसे करते रहे हैं। इसलिए राज्य के शिक्षा मंत्री से उस स्कूल में एक हिंदी शिक्षक की नियुक्ति की माग की गई है। कमोबेश यही स्थिति 42 नंबर वार्ड के अधीन एक्टियाशाल जूनियर हाई स्कूल एवं 43 नंबर वार्ड के गाधीनगर राम इकबाल जूनियर हाई स्कूल की है। यहा भी हिंदी शिक्षकों की कमी है। उन्होंने इन स्कूलों का दर्जा बढ़ाने की भी माग शिक्षा मंत्री से की है। अशोक भट्टाचार्य ने आगे कहा कि 46 नंबर वार्ड इलाके में भी एक जूनियर हाई स्कूल खोले जाने की जरूरत है। इसके लिए जमीन की कोई समस्या नहीं होगी। शिक्षा मंत्री को पत्र में यह भी बताया गया है कि जमीन की वजह से हिंदी स्कूल बनाने में कोई परेशानी नहीं आएगी। अशोक भट्टाचार्य ने यह भी कहा कि दार्जिलिंग यूनिवर्सिटी का नाम आदिकवि भानुभक्त के नाम पर रखने की माग की गई है। वह पिछले दिनों कोलकाता गए थे तो उनसे राज्य के शिक्षा मंत्री के साथ इस मुद्दे पर बातचीत भी हुई थी। हालाकि उन्होंने तकनीकी समस्या बताते हुए नाम बदलने से इनकार कर दिया था। अशोक भट्टाचार्य ने कहा कि वह इस मुद्दे को लेकर एक बैठक करेंगे। उसके बाद फिर से राज्य के शिक्षा मंत्री से संपर्क साधा जाएगा।


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