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चार महीने तक बैंड, बाजा और बारात पर ब्रेक

जागरण विशेष - कल 12 जुलाई से चातुर्मास की होगी शुरूआत - लोग नहीं शुरू करेंगे कोई

By JagranEdited By: Published: Wed, 10 Jul 2019 07:45 PM (IST)Updated: Thu, 11 Jul 2019 06:57 AM (IST)
चार महीने तक बैंड, बाजा और बारात पर ब्रेक
चार महीने तक बैंड, बाजा और बारात पर ब्रेक

जागरण विशेष

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- कल 12 जुलाई से चातुर्मास की होगी शुरूआत

- लोग नहीं शुरू करेंगे कोई शुभ कार्य

- जैन धर्मगुरु भी रोकेंगे अपनी पदयात्रा अशोक झा, सिलीगुड़ी : पूर्वोत्तर के प्रवेशद्वार सिलीगुड़ी को धर्मनगरी भी कहा जाता है। शहर में हमेशा ही धार्मिक कार्यक्रम आयोजित होते रहते रहते हैं। अब दो दिन बाद 12 जुलाई से चातुर्मास की शुरूआत हो रही है। ऐसे में यहां चार महीने तक बैंड, बाजा और बारात पर ब्रेक लगने वाला है। हिदू धर्म में किसी भी कार्य को शुरू करने से पहले उसके मुहूर्त पर विशेष ध्यान दिया जाता है। इस संबंध में आचार्य पंडित यशोधर झा ने बताया कि 12 जुलाई से चतुर्मास की शुरूआत हो रही है। इसी दिन देवशयनी एकादशी है। इस एकादशी के दिन से भगवान विष्णु योग निद्रा में चार माह के लिए क्षीर सागर में चले जाएंगे। भगवान की इस चार महीनों की निद्रा को चातुर्मास कहा गया है। इस दौरान पहला महीना सावन आता है और भगवान भोले सृष्टि का कार्य प्रारंभ कर देते हैं। चातुर्मास में किसी भी तरह के शुभ कार्य नहीं किए जाते। शास्त्रों में इन चार महीने में पूजा पाठ और भजन कीर्तन का विशेष महत्व है। जैन धर्म गुरू इस अवसर पर अपनी पदयात्रा रोककर एक स्थान पर चार माह तक चातुर्मास करते है। इस दौरान शादी-विवाह का आयोजन नहीं होता है। आठ नवंबर को देवउठनी एकादशी है। उसके बाद शादी-ब्याह शुरू हो जायेगी। नवंबर माह में 19,20,21,22,23,28और 30 को विवाह का मुहूर्त है। वेदों के अनुसार भगवान देवप्रबोधनी तक निद्रा में चले जाते हैं। 11 जुलाई यानि गुरुवार की शाम प्रदोष काल से भगवान विष्णु की पूजा प्रारंभ होगी। इसी दिन भगवान को नये वस्त्र पहनाएं जाते है। आषाढ़ शुक्ल पक्ष की इस एकादशी को कई नाम दिए गये है। इसमें पद्यनाभा, आषाढ़ी, हरिशयनी और देवशयनी एकादशी भी कहा जाता है। धार्मिक दृष्टिकोण से श्रीहरि विष्णु का निद्राकाल चार महीने का होता है। चिकित्सा विज्ञान के अनुसार इस दौरान सूर्य व चंद्र का तेज पृथ्वी पर कम हो जाता है। जल की मात्रा अधिक हो जाती है। वातावरण मे अनेक जीव जंतु उत्पन्न हो जाते है जो अनेक रोगों के कारण बनते है। कहते है कि इन चार माह में व्यक्ति की पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है। भोजन और जल में बैक्टीरिया की तादाद बढ़ जाती है। इन चार माह में सावन माह को सर्वश्रेष्ठ माना गया है। चातुर्मास के दौरान पहले माह में हरी सब्जी, दूसरे माह में दही ,तीसरे माह में दूध और चौथे माह में दाल नहीं खानी चाहिए। चातुर्मास के दौरान पान मसाला, सुपारी, मांस और मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए। यह भी कथा है कि विष्णु ने वामन अवतार लेकर बली से तीन पग भूमि मांगी थी। तब दो पग में पृथ्वी और स्वर्ग को श्री हरि ने नाप लिया जब तीसरा पग रखने लगे तब बली ने अपना सिर रख दिया था। तब भगवान विष्णु ने राजा बली से प्रसन्न होकर उनको पाताल लोक दे दिया। उनकी दान भक्ति को देखते हुए वर मांगने को कहा। बलि ने भगवान से वर मांगा कि आपके साथ सभी देवी देवता पाताल लोक में निवास करें। उसके बाद श्रीहरि के साथ सभी देवी देवता पाताल चले गये। इसलिए मांगलिक कार्यो को वर्जित कर दिया गया। क्योंकि स्वयं देवी देवता पृथ्वी पर नहीं रहते। ब्रह्मवैवर्त पुराण में वर्णित है कि योगनिद्रा के तप पर भगवान ने अपने नेत्र में स्थान दिया और कहा कि तुम चार माह तक इसमें रह सकती है। उसी कारण चार माह तक भगवान योगनिद्रा में क्षीर सागर में रहते है।

17 जुलाई से सावन का महीना सावन का महीना शिव के लिए सबसे प्रिय माह माना गया है। सावन माह का शुभारंभ 17 जुलाई से हो रहा है। यह 15 अगस्त को संपन्न होगा। इस माह सावन 125 वर्षो के वर्षो के महासंयोग से आ रहा है। माह में चार सोमवार के तीसरे सोमवार को त्रियोग का संयोग बन रहा है। सावन के एक अगस्त को पहला सिद्धयोग दूसरा शुभ योग और तीसरा पुष्यामृत योग, चौथा सभी प्रकार के सिद्धि योग और पांचवां अमृत सिद्धि योग है। इस पंचयोग में ही हरियाली अमावस्या भी है।


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