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करतब दिखाने के दौरान गंगा नदी के जल में गायब हुए जादूगर चंचल लाहिरी की मौत

करतब दिखाने के दौरान गंगा नदी के जल में गायब हुए जादूगर चंचल लाहिरी की पानी में डूबकर मौत हो गई है। 30 घंटे से भी ज्यादा चले तलाशी अभियान के बाद मिला शव

By Preeti jhaEdited By: Published: Tue, 18 Jun 2019 09:59 AM (IST)Updated: Tue, 18 Jun 2019 11:20 AM (IST)
करतब दिखाने के दौरान गंगा नदी के जल में गायब हुए जादूगर चंचल लाहिरी की मौत
करतब दिखाने के दौरान गंगा नदी के जल में गायब हुए जादूगर चंचल लाहिरी की मौत

हावड़ा , जागरण संवाददाता। खतरनाक करतब दिखाने की एक दुस्साहसिक कोशिश का आखिरकार बेहद दुख:द अंत हुआ। करतब दिखाने के दौरान गंगा नदी के जल में गायब हुए जादूगर चंचल लाहिरी की पानी में डूबकर मौत हो गई है। 30 घंटे से भी ज्यादा समय तक चले तलाशी अभियान के बाद सोमवार की शाम को हावड़ा के रामकृष्णपुर गंगा घाट से उनका शव बरामद किया गया। आपदा प्रबंधन टीम ने घंटों मशक्कत करने के बाद उनके शव को नदी से ढूंढ निकाला। इस खबर के बाद मृतक के परिवार समेत राज्य के जादूगर समुदाय में मायूसी का माहौल है।

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बचपन से ही जादू के प्रति था लगाव

चंचल लाहिरी दक्षिण 24 परगना जिले के सोनारपुर स्थित सुभाषग्राम इलाके में रहते थे। परिवार में मां, पत्नी और एक बेटा है। जादू के प्रति उनका यह लगाव ही था कि कभी आंखों पर पट्टी बांधकर बस चलाना, तो कभी नदी से बंधे हाथ-पैर खोल कर सकुशल बाहर निकल आना, इस प्रकार के कई खतरनाक कारनामे वह पहले भी कर चुके हैं। साल 1998 में बक्से में खुद को बंद कर नदी के जल से वह सकुशल बाहर निकल आए थे। इस कारनामे ने उन्हें ना केवल राज्य बल्कि पूरे देश में ख्याति दिलाई थी। उन्हें मिली देशव्यापी पहचान के बूते वह देश के विभिन्न हिस्सों में जादू का शो करने लगे थे।

यह है घटना

जादू को लेकर लोगों में कम होती रुचि को फिर से जगाने की एक कोशिश के तहत जादूगर चंचल ने नदी के जल में फिर से एक बार उस खतरनाक करतब को दुहराने की ठानी थी, जिसे वह पहले भी दिखा चुके थे।

रविवार को हावड़ा ब्रिज के ठीक नीचे व गंगा नदी के बीच, इस करतब को दिखाने की योजना बनी। एक जलयान (वाटर वेसेल) पर जादूगर चंचल और उनके सहयोगी सवार थे। वहीं दूसरे जलयान में एक अन्य टीम थी, जो इस पूरे दृश्य को कैमरे में कैद करने में जुटी थी। करतब के अनुसार हाथ-पैर बंधे हालत में जल के अंदर उतरने के बाद उन्हें सकुशल बाहर आना था। चंचल के सहयोगियों ने लोहे की जंजीर व मोटी रस्सी से उनके हाथ-पैर बांध दिए। लंबी जंजीर से उनके पूरे शरीर को बांधने के बाद दो तालें जड़ दिए गए। फिर क्रेन की मदद से रस्सी के सहारे उन्हें गंगा नदी के जल में उतारा गया। नदी के जल में अंदर जाने के बाद लगा कि वह थोड़ी ही देर में जल से बाहर दिखाई देंगे।

हालांकि 10 मिनट बीत जाने पर वहां मौजूद लोगों की चिंता बढ़ने लगी। तत्काल पुलिस को इसकी सूचना दी गई। पहले रिवर पुलिस की टीम उनकी तलाश में जुटी। फिर आपदा प्रबंधन टीम चंचल को जल में तलाश करने लगी। रविवार देर शाम तक उनका कोई सुराग नहीं मिला था। अंधेरा होने के कारण बचाव अभियान को बीच में ही रोक देना पड़ा था। सोमवार को फिर से बचाव कार्य शुरु किया गया। लगभग 30 घंटे से ज्यादा समय तक चले खोजबीन के बाद आखिरकार सोमवार की शाम को चंचल का लाश गोताखोरों को मिली। हावड़ा के रामकृष्णपुर गंगा घाट के पास से शव मिला। शव को पोस्टमार्टम के लिए कोलकाता के अस्पताल भेज दिया गया है। 

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