Move to Jagran APP

Lok Sabha Election 2019: पश्चिम बंगाल में यहां पुजारी करते हैं प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला

Lok Sabha Election 2019 पश्चिम बंगाल में विष्णुपुर अति महत्वपूर्ण धाम की सूची में शुमार है। यहां पुजारी करते हैं प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला

By Preeti jhaEdited By: Published: Wed, 08 May 2019 10:56 AM (IST)Updated: Wed, 08 May 2019 10:56 AM (IST)
Lok Sabha Election 2019: पश्चिम बंगाल में यहां पुजारी करते हैं प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला
Lok Sabha Election 2019: पश्चिम बंगाल में यहां पुजारी करते हैं प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला

कोलकाता, प्रकाश पांडेय। अयोध्या की तरह ही पश्चिम बंगाल में विष्णुपुर अति महत्वपूर्ण धाम की सूची में शुमार है। बांकुड़ा जिले में स्थित विष्णुपुर अपने प्राचीन व मध्यकालीन टेराकोटाकृत मंदिरों और वास्तुकलाओं के लिए विश्व भर में लोकप्रिय है।

loksabha election banner

यहां के ज्यादातर मंदिर वैष्णव पंथ से संबंधित हैं, जबकि आसपास के इलाके में शैव, बौद्ध और जैन संप्रदाय के मंदिर भी हैं। यहां के स्थानीय निवासी इन मंदिरों से भावनात्मक रूप से इस कदर जुड़े हैं कि इलाके की सियासत में भी इन मंदिरों और यहां के पुजारियों का जबर्दस्त दखल है। हिंदू बाहुल क्षेत्र होने की वजह से यहां किसी भी दल के लिए यह जरूरी होता है कि वो पुजारियों को प्रसन्न रखें।

इन सब के इतर, इस सीट की सबसे खास बात यह है कि साल 2014 के आम चुनाव में तृणमूल काग्रेस की टिकट पर जीत कर संसद पहुंचे सौमित्र खां ने भाजपा का दामन थाम लिया। जिसके बाद पार्टी ने उन्हें यहां से उम्मीदवार बनाया है और उनका सामना तृणमूल के स्थानीय लोकप्रिय नेता श्यामल सांतरा से है। वहीं कांग्रेस ने नारायण चंद्र खां और माकपा ने सुनील खां को मैदान में उतारा है।

हालांकि इस सीट की अहमियत इसी से समझी जा सकती है कि खुद राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी यहां खासी सक्रिय हैं और इस सीट पर जीत दर्ज करने के लिए पूरा जोर लगाए हुए हैं। दूसरी ओर, सौमित्र के खिलाफ लगे आरोपों के बाद कोर्ट ने भले ही क्षेत्र में उनके प्रवेश को वर्जित कर रखा हो, लेकिन उनकी गैर हाजिरी में उनकी पत्नी सुजाता प्रचार की कमान अपने कंधों पर लिए लगातार सभाएं और रोड शो कर रही हैं। ऐसे में यहां तृणमूल और भाजपा के बीच कांटे की टक्कर की उम्मीद है।

ऐसे तो विष्णुपुर हस्तशिल्पकारों का गढ़ माना जाता है और यहां स्वरोजगार सृजन की अपार संभावनाएं भी हैं। बावजूद इसके यहां कुशल कारीगर आज अपनी पैतृक शैलियों व हस्तकलाओं से दूर होने को बाध्य हैं। क्योंकि उनके द्वारा निर्मित सामग्रियों की उन्हें उचित कीमत नहीं मिल पाती है और चारों पहर काम करने के बाद भी दो जून की रोटी नहीं जुटती। ऐसे में यहां के ज्यादातर युवा दूसरे राज्यों में रोजगार की तलाश में निकल रहे हैं।

आज भी देश दुनिया में यहां निर्मित होने वाली बालूचरी साड़ी की लोकप्रियता इतनी है कि लोग इन साड़ियों की मुंह मांगी कीमत देने को तैयार होते हैं। लेकिन असल हकदारों को बिचौलियों की वजह से कुछ हासिल नहीं हो पाता है। इसके अलावा इलाके में पर्यटन की अपार संभावना होने के बाद भी क्षेत्र का उस तरीके से विकास नहीं हो सका है कि इस क्षेत्र में स्थानीय लोगों को रोजगार मुहैया हो सके। 

लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.