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भाई, बहन व बहनोई के सामने उजड़ गया तापस दास का परिवार

सिलीगुड़ी से सिक्किम जाने वाली सड़क पर सेवक में दस माइल के पास रविवार की शाम हुई दुर्घटना में परिजनों के सामने तापस दास का परिवार उजड़ गया। इससे देवाशीष कॉलोनी में शोक का माहौल है।

By Rajesh PatelEdited By: Published: Mon, 19 Nov 2018 08:01 PM (IST)Updated: Mon, 19 Nov 2018 08:01 PM (IST)
भाई, बहन व बहनोई के सामने उजड़ गया तापस दास का परिवार
भाई, बहन व बहनोई के सामने उजड़ गया तापस दास का परिवार

सिलीगुड़ी [जागरण संवाददाता] । सिलीगुड़ी से सिक्किम की ओर जाने वाली सेवक रोड के दस माइल के पास हुई दुर्घटना में परिजनों के सामने तापस दास की पत्नी और उनके दो बच्चों की मौत हो गई, लोग कुछ कर नहीं सके। सोमवार को पोस्टमार्टम के बाद तीनों शव जब सिलीगुड़ी के वार्ड संख्या 24 स्थित दक्षिण भारतनगर की देवाशीष कॉलोनी के घर में आया तो पूरा इलाका गमगीन हो गया। हर किसी की आंखें डबडबा गईं।
मृत महिला संघमित्रा दास के देवर पंकज दास ने रुंधे गले से कहा कि नजर के सामने हमलोगों का संसार उजड़ गया, पर हमसब कुछ नहीं कर पाएं। भाभी संघमित्रा दास (35), पियूषंकिता दास (7) और रितिका दास (18 माह) को बचा नहीं सके, इसका मलाल जिंदगी भर रहेगा।
मृत महिला के पति तापस दास एक निजी फाइनेंस कंपनी का कर्मचारी है। वे खुद बाइक चला रहे थे और पत्नी छोटी बच्ची को लेकर गोद में बैठी थी और उससे बड़ी बच्ची को बीच में बैठा रखी थी। तापस दास इस घटना से इतने मर्माहित है कि वे कुछ बोल नहीं पा रहे थे। उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि भगवान ने हमें क्यों बचा लिया? हम क्यों और किसके लिए जिएंगे। गम में डूबे तापस दास पत्नी और बच्चों के अंतिम संस्कार में भी शामिल होने नहीं गए। उनके पिता तारक दास, भाई पंकज दास, युवा टीएमसी के जिलाध्यक्ष विकास रंजन सरकार, वार्ड आयुक्त शंकर घोष समेत मोहल्ले के ज्यादातर लोग शामिल थे। देर शाम तीनों का अंतिम संस्कार साहुडांगी में नियमानुसार किया गया। सेवक आउटपोस्ट की पुलिस अबतक दुर्घटना करने वाले ट्रक को नहीं पकड़ पायी है।
यह है दुर्घटना की पूरी कहानी
संगमित्रा के देवर पंकज दास ने काफी हिम्मत करते हुए दुर्घटना के संबंध में बताया कि रविवार को भाई भाभी, बहन, बहनोई और हमसब तीन बाइक से सेवक घूमने और पिकनिक मनाने गए थे। वहां दिनभर मौज मस्ती की। बच्चों ने नदी से कई पत्थर भी लिए थे। शाम को जब सिलीगुड़ी लौटने लगे तो आगे बहन शिखा दत्ता और बहनाई मधुसूदन दत्त एक बाइक से चल रहे थे। उनके पीछे भइया तापस दास, भाभी और बच्चे बैठे थे। उसके पीछे हमारी बाइक चल रही थी। अचानक एक बड़ा ट्रक अनियंत्रित होकर हमलोगों की ओर बढ़ा। मेरे बहनोई ने ट्रक चालक को बोला भी कि कैसे ट्रक चला रहा है। ठीक से चलाया करो। उसके कुछ ही देर में ट्रक अचानक बीच में चल रहे भईया भाभी की बाइक से जा टकराया। भईया दूर जाकर गिरे और भाभी तथा दोनों बच्चे को ट्रक के पहिए के नीचे आ गए। जबतक हमसब कुछ समझ पाते तब तक ट्रक आंखों से ओझल हो गया था। भाभी दो टुकड़े में पड़ी हुई थी। बड़ी भतीजी के सिर के नीचे का भाग पूरी तरह खत्म हो गया। 18 माह की भतीजी को काफी देर तक पूरा परिवार खोजता रहा। भाभी के शव को उठाने पर पता चला कि वह उनकी गोद में लोथड़ा बनकर पेस्ट हो गई है। सेवक पुलिस पहुंची और शवों को अस्पताल ले गई। भइया को मामूली चोटें आईं थीं। अभी भी पूरा दृश्य नजर के सामने घूम रहा है। इसे कभी भूल भी पाऊंगा या नहीं, पता नहीं।
भगवान ऐसा किसी के साथ न करें
वार्ड के ही युवा टीएमसी जिलाध्यक्ष विकास रंजन सरकार ने इस घटना को लेकर कहा कि भगवान इस प्रकार का दिन किसी को नहीं दिखाए। देर रात ऐसी सूचना मिली कि पूरा मोहल्ला सन्न हो गया। वार्ड आयुक्त सह मेयर परिषद सदस्य शंकर घोष ने कहा कि उन्हें तो अबतक विश्वास ही नहीं हो रहा है कि तापस का परिवार हमलोगों के बीच नहीं रहा। तापस के पिता तारक दास ने रोते-रोते कहा कि यह क्या हो गया। मेरे हंसते-खेलते परिवार को किसकी नजर लग गयी। मेरे तापस को देखना होगा। 

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