150 वर्ष पुराने चर्च को नहीं मिल रही हेरिटेज की स्वीकृति
150 वर्ष के करीब होने भी चर्च को हेरिटेज की स्वीकृति नहीं मिली। जलपाईगुड़ी स्थित सेंट माइकल एंड आल एंजेल्स चर्च आज भी उम्मीदों को नहीं छोड़ा है।
जलपाईगुड़ी, जागरण संवाददाता। 150 वर्ष के करीब होने भी चर्च को हेरिटेज की स्वीकृति नहीं मिली। जलपाईगुड़ी स्थित सेंट माइकल एंड आल एंजेल्स चर्च आज भी उम्मीदों को नहीं छोड़ा है। बताया जाता है कि पूरे उत्तर बंगाल में इसी को सबसे पुराना चर्च माना जाता है।
यहां अंग्रेजों के जमाने की कई यादें छिपी हुई है। देखभाल के अभाव काफी चीजें नष्ट हो जा रही है। सेंट माइकल चर्च के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार वर्ष 1868 में यूरोपियन चाय मालिकों ने चर्च को बनाया था। लेकिन सटीक महीने व तारीख को लेकर चर्च प्रबंधन भी कुछ नहीं बोल पा रहे हैं। चर्च का निर्माण चून व साल की लकड़ी से किया गया था। चर्च के खिड़की पर बेल्जीयम का सीसा लगा हुआ है। वर्ष 1872 में इंग्लैंड में बना घंटा आज भी चर्च के ऊपर सचल है। इस चर्च के साथ अंग्रेज के टी प्लानटर्स जुड़े हैं।
सेंट माइकल चर्च के पादरी डेविड हांसदा ने कहा कि बारिश, भूकंप को ङोलते हुए चर्च ने 150 वर्ष पूरा कर लिया है। कई एतिहासिक समाधि मिट्टी के नीचे दब गई है। अगर उसे बरामद कर देखभाल किया जाए तो काफी कुछ जानने को मिल सकता है। लेकिन वे लोग आर्थिक रूप से कमजोर होने के चलते कुछ नहीं कर पा रहे हैं। इसलिये आर्थिक अनुदान के लिए चर्च प्रबंधन की ओर से वर्ष 2012 में राज्य हेरिटेज कमीशन के पास एक आवेदन देकर चर्च को हेरिटेज की स्वीकृति देने की मांग की गई। वर्ष 2018 में चर्च ने अपना 150 साल पूरा कर लिया है। लेकिन अब तक राज्य हेरिटेज कमीशन ने कोई आश्वासन नहीं दिया गया है।
फलस्वरूप चर्च के मरम्मत का काम भी रुका हुआ है। राज्य हेरिटेज कमीशन के उत्तर बंगाल नोडाल कमेटी ने हेरिटेज स्वीकृति के लिए वर्ष 2013 में एक सूची दी थी। इसमें चर्च का नाम भी शामिल था। फिर भी कोई लाभ नहीं हुआ। इधर, राज्य हेरिटेज कमीशन में उत्तर बंगाल के किसी प्रतिनिधि के न होने से भी यहां के एतिहासिक धरोहरों को हेरिटेज की मान्यता नहीं मिल पा रही है। लेकिन चर्च प्रबंधन को अभी भी उम्मीद है कि चर्च को हेरिटेज की स्वीकृति मिल जाए।