आर्थिक संकट से जूझ रहा बालुरघाट नगरपालिका
- राशि आवंटित न होने से प्रशासक बोर्ड के चेयरमैन दे सकते इस्तीफा - आय से अधिक खर्चा नह
- राशि आवंटित न होने से प्रशासक बोर्ड के चेयरमैन दे सकते इस्तीफा
- आय से अधिक खर्चा, नहीं हो रहा वेतन का जुगार
-सरकार की ओर से नए सिरे से नहीं मिल रहा कोई फंडा
- शहरी विकास मंत्री को फोन करने पर नहीं उठा रहे रहे : हरिपद साहा
संवादसूत्र, बालुरघाट : आय से अधिक खर्च। नए सिरे से सरकार की ओर से कोई फंड नहीं मिल रहा है। शहर में विकास कार्य ठप है। अस्थायी व ठेका कर्मचारियों का वेतन कहां से दिया जाए, इसे लेकर बालुरघाट नगरपालिका प्रशासक बोर्ड के चेयरमैन हरिपद साहा काफी परेशान है। राज्य के शहरी विकास मंत्री को फोन करने पर भी वे फोन नहीं उठा रहे है। उन्होंने कहा कि आर्थिक राशि के अभाव में काम न होने पर नगरपालिका के प्रशासक बोर्ड के चेयरमैन पद से इस्तीफा दे सकते है। वे अपना इस्तीफा पत्र अपने साथ रखे हुए है।
उन्होंने आगे कहा कि नगरपालिका पर भारी आर्थिक संकट का पहाड़ टूट पड़ा है। कोई फंड नहीं मिल रहा है। इसी महीने कैसे भी काम चला लिया है। लेकिन अगले महीने वे अपने कर्मचारियों को कहां से वेतन देंगे, इसे लेकर वे परेशान है। अगर कोई पूरा महीना काम करता है अगर उसे समय पर वेतन न दिया जाए, तो कैसा लगता है।
गौरतलब है कि 2013 साल में प्रथम क्षमता में आने के बाद तृणमूल संचालित बालुरघाट नगरपालिका प्रबंधन ने काम के दबाव में कुछ अस्थायी व ठेके कर्मचारियों की नियुक्ती की थी। बालुरघाट नगरपालिका में करीब 500 से अधिक अस्थायी कर्मचारियों की नियुक्ति की गई थी। वही भी मौखिक तरीके से हुआ था। सब मिलाकर वर्तमान में 800 से अधिक कर्मचारी है। इतने भारी संख्या में कर्मचारियों के वेतन देने को लेकर बालुरघाट नगरपालिका पर लगातार प्रश्न खड़े होते आ रहे है। 2018 साल में अक्टूबर महीने में बालुरघाट नगरपालिका बोर्ड की मियाद खत्म होने के बाद इसका दायित्व प्रशासक तथा महकमा शासक इर्शा मुखर्जी ने लिया। प्रशासक के काम संभालते ही अस्थायी व ठेके कर्मचारियों की नए सिरे से सूची तैयार की गई। उनके कार्यो के बारे में जानने का प्रयास किया गया।
नगरपालिका सूत्रों के अनुसार इन लोगों को वेतन देने में 35 लाख रुपये खर्च हो रहे है। कई सालों से यह खर्च बढ़ गया है। कोरोना संक्रमण को लेकर आय और कम हो गई है। ऐसे में अस्थायी कर्मचारियों का वेतन कहां से दिया जाएगा, इसे लेकर संशय बना हुआ है।
इस बारे में प्रशासक बोर्ड के चेयरमैन हरिपद साहा ने कहा कि आय की तुलना में खर्च अधिक है। इसलिए काफी दबाव बन रहा है। काफी कर्मचारी होने से उन्हें वेतन देने में काफी परेशानी हो रही है। सरकारी की ओर से कोई सहयोग नहीं मिल रहा है। नगर विकास मंत्री को कई बार फोन किए जाने पर उनसे संपर्क नहीं हो पा रहा है।
इधर वाममोर्चा नेता व पूर्व पार्षद प्रलय घोष ने कहा कि वाममोर्चा के समय कर्मचारियों को वेतन देने में दस लाख रुपये खर्च होते थे। लेकिन तृणमूल के समय सभी नियमों को तोड़कर मनमानी की जा रही है। इतने भारी संख्या में कर्मचारियों का वेतन कहां से आएगा, इसे लेकर विरोध भी किया गया।