बकरीद के पावन दिन पसरा मातम, केरल से आया ताबूत में आया जवान बेटे का शव
-मां के इलाज के लिए केरल में काम करने गया था सिराजी -ताबूत में सिराजी का शव देखकर पूरा गा
-मां के इलाज के लिए केरल में काम करने गया था सिराजी
-ताबूत में सिराजी का शव देखकर पूरा गांव रो पड़ा
संवाद सूत्र, चेंगड़ाबांधा : बकरीद पर जहां पुरी दुनिया जश्न मना रही है। वहीं कूचबिहार जिला के धुलिया बलदिया के हाटी गांव में मातम पसरा हुआ है। बकरीद के एक दिन पूर्व रात को ताबूत में बंद जवान बेटे के शव को देखकर मृतक 26 वर्षीय सिराजी आलम की मां के साथ पूरा गांव रोया। सिराजी अपनी मां के इलाज के लिए केरल काम करने गया था। लेकिन केरल में आयी भीषण बाढ़ में सिराजी भी फंस गया। सिराजी केरला के एराकुलम जिला के काकानाथ इलाके में निर्माण कार्य में मजदूरी करता था। वह प्रतिमाह अपनी मां को पैसे भेजता था। उसके पारिश्रमिक से पूरा घर चलता था। लेकिन पिछले गुरूवार को बाढ़ में फंसने व लगातार बारिश के कारण वह बीमार पड़ गया था। उसे केरल के मालामासी कोची इलाके के गवर्मेट मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था। सुबह 11 बजे वह अस्पताल में भर्ती हुआ था और शाम पांच बजे उसकी मौत हो गयी। शुक्रवार को उसके शव को एंबुलेंस के जरिए चेंगड़ाबांधा लाने का प्रयास किया जा रहा था। लेकिन केरल में सड़क की हालत खराब होने के कारण शव मंगलवार देर रात को घर पहुंची। सिराजी को इलाके के लोग काफी पसंद करते थे। कारण वह गरीबी के बावजूद उसने इतिहास में एमए किया था।
सिराजी की मां इलिजा ने बताया कि मेरी दुनिया ही लूट गयी। बकरीद को लेकर मैंने काफी तैयारी की थी। उसके पंसद के व्यंजन व कपड़े बनवाये थे। लेकिन मेरी कोख ही उजड़ गयी। सिराजी के पिता वैन चलाते है। लेकिन उससे खास आमदनी नहीं होती। जवान बेटे को खोकर मां-पिता के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहा था। सिराजी पिछले दो साल से केरल में रहकर काम करता था। सिराजी कोई भी पर्व हो, वह घर आकर ही मनाता था। पर्व आते ही वह काफी खुश होता था। पर्व के दो दिन पहले आता था। लेकिन इस बार केरल के बाढ़ ने मेरे बेटे की बलि ले ली। मेरे इलाज के लिए परेशान रहता था। कहता है जम्मू में अच्छे चिकित्सक से पहले इलाज करेगा। उसके बाद ही शादी करेगा। मुझे किसी ने नहीं बताया कि मेरा बेटा मर चुका है। मुझे बस यही कहा गया कि वह बीमार है, इसलिए उसे इलाज के लिए लाया जा रहा है। लेकिन रात को मुझे पता चला मेरा कलेजा का टुकड़ा इस दुनिया में नहीं है। मुझे झूठा दिलासा दिया गया।
कैप्शन : गम में डूबा हुआ सिराजी का परिवार