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जमाई षष्ठी पर उड़ी शारीरिक दूरी के नियमों की धज्जियां

-लॉकडाउन के कारण जमाई के थाली में नहीं पड़ा इस बार बांग्लादेश का इलिश -डायमंड हर्बर क

By JagranEdited By: Published: Thu, 28 May 2020 07:14 PM (IST)Updated: Thu, 28 May 2020 07:14 PM (IST)
जमाई षष्ठी पर उड़ी शारीरिक दूरी के नियमों की धज्जियां
जमाई षष्ठी पर उड़ी शारीरिक दूरी के नियमों की धज्जियां

-लॉकडाउन के कारण जमाई के थाली में नहीं पड़ा इस बार बांग्लादेश का इलिश

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-डायमंड हर्बर की इलिश मछली 16 सौ से दो हजार प्रति किलो के भाव से बिकी, कतला, रोहू, चिंगड़ी, पाबदा आदि मछलियों के दाम में भी उछाल

-दो महीने से बाहर से नहीं आ रही है मछिलयां

जेएनएन, गंगारामपुर/मालबाजार /दिनहाटा: लॉकडाउन के कारण हर त्यौहार व उत्सव फीका पड़ रहा है। लोग अपने-अपने घरों में सादगी से पोयला बैशाख, से लेकर वट सावित्री व ईद तक मना लिए। लेकिन जमाई षष्ठी पर कुछ जगहों पर शारीरिक दूरी की धज्जियां उड़ाते देखा गया। लेकिन बालुरघाट ब्लॉक के तहत गोविंदपुरी इलाके में जमाई षष्ठी पर दर्जनों महिला व बच्चे इकट्ठा होकर वट वृक्ष के नीचे पूजा कर रहें थे। घंटे भर पूजा-अर्चना हुई, लेकिन किसी महिला ने मास्क या ग्लब्स नहीं पहना था। यहां तक एक दूसरे के बीच एक मीटर तो क्या एक फुट की दूरी भी नहीं थी। सभी एक दूसरे के साथ खड़े था। पूजा के बाद प्रसाद भी सब मिलकर खा रहें थे।

दूसरी ओर इस बार जमाई के थालियों में बांग्लादेश का इलिश माछ नहीं पड़ा। सासू मां ने बाजार से डायमंड हर्बर का छोटा साइज का इलिश खरीदकर जमाई को भेज दिया। लॉकडाउन के कारण इस बार जमाई की उसे तार आव-भगत नहीं हो पायी। जमाई भी लॉक डाउन के कारण ससुराल जा नहीं पाए। फोन सास ने जमाई को आशीर्वाद दिया। वहीं बाजारों में डायमंड हर्बर की छोटी इलिश 16 सौ से दो हजार रूपये प्रति किलों के हिसाब से बेची गयी। बांग्लादेश के सीमावर्ती क्षेत्र में कई मछली बाजार है। लेकिन जमाई षष्ठी में इलिश मछली की मांग होने के कारण इसका मूल्य बढ़ जाता है। मछली व्यवसायियों ने बताया कि लॉकडाउन के कारण पिछले दो महीने से बाहर से मछली नहीं आ रही है। विश्वनाथ साहा ने बताया कि मेरी बेटी का विवाह हुए एक साल से भी कम समय हुआ है। लेकिन बेटी और दामाद लॉकडाउन के कारण घर नहीं आ पाएं। बहुल से लोग इलिश मछली नहीं खरीद पाएं। इसके जगह कतला, रोहू, चिंगड़ी, पाबदा आदि मछलियों से मध्यवर्ग परिवार में जमाई षष्ठी मनाई गयी।

कैप्शन : वटवृक्ष के नीचे पूजा करती महिलाएं


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