रंजना के मार्ग में दिव्यांगता बाधा नहीं, हौसले पंख से छू रही है आसमान
-पिता अनूप देवनाथ मजदूरी करके चलाते है घर-संसार बेटी पर है नाज -जन्म के 15 दिन बाद जोंडिस
-पिता अनूप देवनाथ मजदूरी करके चलाते है घर-संसार, बेटी पर है नाज
-जन्म के 15 दिन बाद जोंडिस हुआ था, चल-फिर नहीं पाती रंजना
संवाद सूत्र, दिनहाटा : गरीबी और दिव्यांगता से लड़ते हुए रंजना देवनाथ पूरे जोश व उत्साह के साथ इस साल माध्यमिक परीक्षा दे रही है। जन्म के 15 दिन बाद ही जोडिंस के कारण उसके पांव की शक्ति चली गयी। चल-फिर नहीं पाती रंजना। उसकी मां रिनी देवनाथ व पिता अनूप देवनाथ बेटी को आगे बढ़ाने व उसकी हर ख्वायिश पूरा करने के लिए जी जान लगा देते है। पिता पेशे से मजदूर है। आर्थिक तंगी के बावजूद बिटिया का शिक्षिका बनने के सपने का पूरा करने में जुटे है। रंजना दिनहाटा के ज्ञानदादेवी गर्ल्स हाईस्कूल की छात्रा है। वह शहर के मदन मोहन इलाके में रहती है। रंजना को लिखने में भी दिक्कत होती है। रोजाना वह टोटो में बैठकर अपनी मां के साथ अपने परीक्षा केंद्र गोपाल नगर हाईस्कूल में जाती है। पुलिसकर्मी दीपक राय ने रंजना की हालत देखकर उसकी मदद करने का प्रयास किया और उसे परीक्षा केंद्र तक पहुंचाया। रंजना का सपना है कि वह एक अच्छा शिक्षिका बने। परीक्षा केंद्र के सुपरवाइजर सत्यजीत कारजी ने बताया कि बोर्ड के नियम के अनुसार रंजना के लिए विशेष व्यवस्था की गई है।
दिनहाटा महकमा अस्पताल के चिकित्सक उज्ज्वल आचार्य ने बताया कि अधिक जोंडिस होने के कारण बिलेरूबीन हमारे मस्तिष्क के उत्तकों को हानि पहुंचाते है। इसके कारण सेरिब्रल पेलसी, इंसेफलपैथी आदि बीमारी हो सकती है। रंजना के केस में सेरिब्रल पेलसी होने की झलक मिलती है। इसके बाजवूद वह परीक्षा दे रही है। यह बड़ी बात है।
कैप्शन : पुलिसकर्मी व मां के साथ परीक्षा केंद्र की ओर जाती रंजना देवनाथ