36 घंटे बाद भी मामा-भांजा का नहीं चला पता
मंगलवार की सुबह कार्तिक पूर्णिमा का पवित्र स्नान करने के दौरान बराकर नदी में डूबे मामा-भांजा का बुधवार को भी कोई अता- पता नहीं चला।
बराकर : मंगलवार की सुबह कार्तिक पूर्णिमा का पवित्र स्नान करने के दौरान बराकर नदी में डूबे मामा-भांजा का बुधवार को भी कोई अता- पता नहीं चला। बुधवार को दिन भर गोताखोरों की टीम उनकी तलाश में लगी रही। वहीं उनके बारे में कोई जानकारी नहीं मिलने से परिजन हताश हो गए। वहीं पीड़ित परिवार के पुरुष सदस्य कल से ही बराकर तट पर मौजूद है। घंटों इंतजार के बाद महिला सदस्यों को धनबाद जिला के बरमसिया स्थित घर वापस भेज दिया गया। बुधवार की सुबह आसनसोल नगर निगम के मेयर परिषद सदस्य पूर्णशशि राय ने भी घटनास्थल का दौरा किया। कहा कि नदी में पानी अधिक होने के कारण मैथन डैम प्रबंधन को सूचित किया गया है कि पानी नहीं छोड़ा जाए। पानी अधिक रहने पर बहाव तेज होने से डूबे लोगों को खोजने में परेशानी होती है। गुरुवार को कोलकाता से गोताखोरों को बुलाया जाएगा। मौके पर पार्षद प्रतिनिधि अभिषेक सिंह, पूर्व पार्षद पप्पू सिंह, बराकर फाड़ी के एएसआई टीएच खान भी मौजूद थे।
मालूम हो कि कार्तिक स्नान करने परिवार वालों के साथ आए भांजा राजू सिंह और उसका मामा राजकुमार सिंह मंगलवार को बराकर नदी में डूब गए थे। राजकुमार के बड़ा भैया सुशील बुधवार की सुबह धनबाद से दस- पंद्रह साथियों के साथ आकर खोजबीन में लगे। स्थानीय युवक रिकू खान, गुड्डू खान, संतोष यादव, मिकू मंडल, उदय कल से ही डूबे हुए लोगों की खोज में लगे हुए है। बुधवार की दोपहर करीब 12 बजे आपातकालीन टीम ने बोट पानी में उतारा। लेकिन लगातार पांच घंटे तक तलाश करने के बाद भी शाम पांच बजे तक कोई सफलता हाथ नहीं लगी। हालांकि देर शाम मैथन डैम से कांटा के माध्यम से खोजबीन करने वाले दो युवकों को बुलाया गया। उनलोगों ने अपने स्तर से प्रयास शुरू किया है। वहीं 36 घंटा बाद भी मामा- भांजा का कोई पता नहीं चलने से लोगों में आक्रोश है। वहीं स्थानीय लोगों का आरोप है कि चिरकुंडा पुलिस से सहयोग मांगने पर कहा गया कि जो भी सहयोग मिलेगा वह बंगाल प्रशासन ही करेगा।