ओसीपी का उत्पादन चौथे दिन भी रहा ठप
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जामुड़िया: पुनर्वास की मांग को लेकर केंदा ग्राम रक्षा कमेटी के सदस्यों ने न्यू केंदा ओसीपी का कार्य बुधवार को चौथे दिन भी ठप रखा। जिस कारण ओसीपी का उत्पादन सहित ट्रांसपोर्टिंग भी पूरी तरह बंद रहा। बताया जाता है कि केंदा ग्राम रक्षा कमेटी द्वारा केंदा ग्राम के पुनर्वास के लिए विगत तीन वर्षों से आंदोलन किया जा रहा है। ईसीएल के केंदा एरिया के केंदा ग्राम को धंसान प्रभावित इलाका घोषित कर केंदा ग्राम को खाली करने का निर्देश जारी किया गया है। केन्दा ग्राम रक्षा कमेटी के प्रमुख संदीप बनर्जी(बीजू)ने बताया कि ईसीएल ने वर्ष 1996 में केंदा ग्राम को भू-धंसान प्रभावित इलाका घोषित किया। जिसकी वजह से अब तक 10 बार से अधिक इलाके मे धंसान की घटनाएं घट चुकी है। केंदा ओसीपी के खुलने से पूर्व ईसीएल प्रबंधन ने केंदा ग्राम का पुनर्वास करने का वादा किया था, किन्तु इस मामले में ईसीएल प्रबंधन गंभीरता नही दिखा रहा है। उन्होंने कहा कि ओसीपी खोलने से पहले ईसीएल द्वारा कहा गया था कि क्षेत्र की पानी समस्या को मिटा दिया जाएगा, किन्तु इस समस्या पर भी कोई पहल नही की गई। उल्टे ओसीपी की वजह से क्षेत्र के नलकूप पूरी तरह से सूख गए है। यहां तक कि तालाब का पानी भी सूख गया है। जिस कारण क्षेत्र में जल संकट उत्पन्न हो गया है। उन्होने बताया कि ईसीएल द्वारा शमशान जाने के रास्ते को भी काटकर कोयला का उत्पादन कर दिया गया है तथा कोई वैकल्पिक व्यवस्था भी नही की है। कोयला उत्पादन को लेकर ब्लास्टिग के कारण बहुत से घरों में दरार पड़ गई हैं। दरार पड़ने वाले घरों का पुनर्निर्माण नही किया जा रहा है, जिसके कारण ग्रामीणों में भय का माहौल है। ईसीएल प्रबंधन इन सभी समस्याओं के समाधान पर ध्यान नही देगी तब तक केंदा ओसीपी का उत्पादन पूरी तरह से बंद रखा जाएगा। वही दूसरी ओर ईसीएल के न्यू केंदा ओसीपी के बंद रहने के कारण ईसीएल को प्रतिदिन लाखों रुपये का नुकसान हो रहा है।