निगम के अस्थाई सफाईकर्मियों को मिलेगा पीएफ
दुर्गापुर कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के दुर्गापुर क्षेत्रीय कार्यालय ने नगरनिगम के अ
दुर्गापुर : कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के दुर्गापुर क्षेत्रीय कार्यालय ने नगरनिगम के अस्थायी सफाई कर्मियों के लिए अच्छी राय दी है। दुर्गापुर क्षेत्रीय कार्यालय ने दुर्गापुर नगरनिगम में कार्य करने वाले अस्थायी सफाई कर्मियों का 6.58 करोड़ रुपया भुगतान करने का निर्देश दुर्गापुर नगरनिगम को दिया है। ताकि सफाई कर्मियों को पीएफ विभाग की सुविधा का लाभ मिल सके। वहीं डीएमसी ईपीएफओ के इस निर्णय के खिलाफ अब हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का निर्णय लिया है।
दुर्गापुर नगरनिगम में अस्थायी रूप से तकरीबन 1700 सफाई कर्मी काम करते है। 8 जनवरी वर्ष 2011 से लेकर सितंबर 2017 तक कर्मियों के पीएफ का 6.58 करोड़ रुपया ईपीएफओ के दुर्गापुर क्षेत्रीय कार्यालय ने जमा करने का निर्देश दिया है। केंद्रीय श्रम दफ्तर के निर्देश के आधार पर वर्ष 2011 के आठ जनवरी से नगरनिगम को एंप्लाइज प्रोविडेंट फंड एंड मिसलेनियस प्रोविसंस एक्ट-1952 में शामिल किया गया। जिसके लिए नगरनिगम को ईपीएफओ की ओर से कोड नंबर दिया गया। राज्य श्रम दफ्तर ने भी उसी के अनुरूप निर्देश जारी किया। लेकिन दुर्गापुर नगरनिगम ने उस निर्देश को नहीं माना। जिसके बाद 27 दिसंबर वर्ष 2017 को ईपीएफओ दुर्गापुर क्षेत्रीय कार्यालय की ओर से नगरनिगम को हाजिर को होकर सुनवाई में अपना पक्ष रखने को कहा गया। सुनवाई में इंटक ठेका श्रमिक यूनियन के नेता हाजिर हुए। नेताओं ने आरोप लगाया कि नगरनिगम सफाई कर्मियों को पीएफ की सुविधा देने के लिए तत्पर नहीं है। लेकिन नगरनिगम की ओर से सुनवाई में कोई हाजिर नहीं हुआ। वर्ष 2018 के 16 जनवरी एवं 22 फरवरी की सुनवाई में भी नगरनिगम का कोई प्रतिनिधि हाजिर नहीं हुआ। फिर 20 मार्च की सुनवाई में नगरनिगम के तीन लोग हाजिर हुए। जिसमें नगरनिगम ने कहा कि सफाई कर्मी राज्य सरकार के वेस्ट बंगाल अर्बन एंप्लाइमेंट स्कीम के अनुसार पहले एक सौ रुपया मजदूरी थी, फिर 144 रुपया दैनिक मजदूरी पर काम करते है। उस योजना में पीएफ देने की कोई बात नहीं है। नगरनिगम के पक्ष से ईपीएफओ विभाग संतुष्ट नहीं हुआ। उसके बाद तीन एवं 17 अप्रैल को सुनवाई हुई। लेकन कोई निष्कर्ष नहीं निकला। फिर 22 जून एवं 27 जून की बैठक में नगरनिगम की ओर से एक वकील ने अपनी बात रखी। जिसके बाद इस वर्ष 13 बार इस मामले की सुनवाई हुई। 19 जुलाई की बैठक में नगरनिगम के वकील ने कहा कि सफाई कर्मी राज्य सरकार के एंप्लाइमेंट कानून के तहत काम करते है। इस कारण राज्य सरकार के प्रतिनिधि को सुनवाई में बुलाया जाए। सब पक्ष की बात सुनने के बाद 29 अगस्त को ईपीएफओ दुर्गापुर के क्षेत्रीय आयुक्त-(2) शैलेष कुमार ने दुर्गापुर नगरनिगम को पत्र जारी कर पीएफ का 6,58,85,853 करोड़ रुपया भुगतान करने का निर्देश दिया है।
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इंटक ने ईपीएफओ के फैसले के किया स्वागत : इंटक संबद्ध डीएमसी केजुअल सफाई कर्मी यूनियन के महासचिव सुभाष चंद्र साहा ने ईपीएफओ दुर्गापुर क्षेत्रीय कार्यालय के इस फैसले को ऐतिहासिक बताया। उन्होंने कहा कि राज्य में 52 हजार अस्थायी कर्मी है। दुर्गापुर में 1700 अस्थायी सफाई कर्मियों को लाभ मिलेगा। उन्हें उन्हें सरकार निर्धारित मजदूरी भी नहीं मिलती है एवं वे कर्मी अपनी जान जोखिम में डालकर काम करते है। वर्तमान में उन्हें 144 रुपया मजदूरी मिलती है, काम नहीं करने पर कोई मजदूरी नहीं मिलती है। 2014 में यूनियन का गठन किया गया, तब से मांग हो रही है। सरकार की संस्था सरकार निर्धारित न्यूनतम मजदूरी नहीं दे रही है। जिसके लिए आंदोलन भी किया गया था। इसके अलावा पीएफ एवं ईएसआइ सुविधा देने की मांग हो रही थी। ऐसे में दुर्गापुर ईपीएफओ की राय का स्वागत हमलोग करते है। अगर अब तक का जोड़ दिया जाए तो 10 करोड़ रुपया बकाया हो जाएगा।
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कोट :
सफाई कर्मी एंप्लाइमेंट जेनरेशन स्कीम के तहत काम करते है, वे हमारे कर्मी नहीं है। पीएफ कमिश्नर का पत्र मिला है, हमलोग हाई कोर्ट में इस विषय को लेकर जाएंगे।
दिलीप कुमार अगस्ती, मेयर, दुर्गापुर नगरनिगम