धनबाद से जमशेदपुर तक बनेगी फोरलेन सड़क
राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने एनएच 32 के गोविदपुर (धनबाद) से जमशेदपुर खंड को फोरलेन बनाने का निर्णय लिया है।
जागरण संवाददाता, आसनसोल : राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने एनएच 32 के गोविदपुर (धनबाद) से जमशेदपुर खंड को फोरलेन बनाने का निर्णय लिया है। इसके लिए एक हजार करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इस बाबत पुरुलिया जिला शासक कार्यालय में बुधवार को उच्चस्तरीय बैठक हुई। इसमें पुरुलिया के जिला शासक राहुल मजूमदार, जिला पुलिस अधीक्षक आकाश माघरिया, एनएचएआइ के प्रोजेक्ट डायरेक्टर अरिदम हांडिक आदि मौजूद थे। एनएचआइ अधिकारियों ने जिले के प्रशासनिक अधिकारियों को आश्वस्त किया कि फोरलेनिग से पहले एनएच को दुरुस्त किया जाएगा। बलरामपुर इलाके में सड़क की हालत काफी दयनीय है। बरसात में इसकी स्थिति और भी बदतर हो जाती है। एसपी आकाश माघरिया ने पुरुलिया जिले में इस सड़क के कांटाडीह से दंतिया तक के बीच 21 किलोमीटर के दायरे में सड़क की जर्जर हालत की विस्तृत रिपोर्ट एनएचएआइ अधिकारियों को दी।
डीएम राहुल मजूमदार ने एनएचआइ अधिकारियों से कहा कि एनएच के गड्ढों की भराई की जाए। जर्जर सड़क की मरम्मत अविलंब शुरू होना चाहिए। पहले यह सड़क एनएच के पुरुलिया डिविजन चार के अधीन थे। इसे हाल ही में एनएचएआइ को सौंप दिया गया है। निर्णय लिया गया है कि यहां फोरलेन संग बाइपास सड़क का निर्माण होगा। इसके साथ ही रेलवे क्रासिग पर ओवरब्रिज बनाए जाएंगे। चास मोड़, कांटाडीह, पुरुलिया शहर तथा बलरामपुर इलाके में फोरलेन बनेंगे। इस एनच की 57 किलोमीटर सड़क झारखंड और बंगाल के सीमावर्ती क्षेत्रों से गुजरी है। इसके 38 किलोमीटर सड़क को फोरलेन और 19 किलोमीटर के संकरे हिस्से को दो लेन करना है। इसके लिए राष्ट्रीय राजमार्ग विकास योजना(एनएचडीपी) चार का कार्य एनएचएआइ ने अशोका बिल्डकॉन को दिया है। यह सड़क पड़ोसी राज्य झारखंड के दो महत्वपूर्ण जिलों देश की कोयला राजधानी धनबाद और इस्पात नगरी बोकारो को जोड़ती है। बंगाल एवं झारखंड को जोड़ने में भी इस सड़क की काफी महत्वपूर्ण भूमिका है। ओडिशा के साथ संपर्क भी इससे सुगम होता है। इससे इस अंचल में औद्योगिक विकास को बढ़ावा मिलेगा। एनएचएआइ अधिकारियों ने बताया कि फोरलेन का कार्य ईपीसी मोड में करने के लिए लेटर आफ अवार्ड(एलओए) भी दे दिया गया है। इसके लिए एनएच एक्ट के तहत भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गयी है। इस परियोजना के लिए 21 महीने का समय निर्धारित किया गया है।