बंगाल का रण : समय बदला पर नहीं बदला सारथी
आसनसोल बंगाल में तृणमूल कांग्रेस की स्थापना 1998 में हुई थी। 2001 में तृणमूल कांग्रेस ने पहल
आसनसोल : बंगाल में तृणमूल कांग्रेस की स्थापना 1998 में हुई थी। 2001 में तृणमूल कांग्रेस ने पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ा था। तब बाराबनी विधानसभा क्षेत्र से तृणमूल कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में माणिक उपाध्याय को टिकट मिला था। वे शिल्पांचल के कद्दावर नेता थे। वह वाममोर्चा के शासनकाल में शिल्पांचल में वाम विरोधी राजनीति के प्रमुख नेताओं में से एक थे। आज उनके पुत्र विधान उपाध्याय उनकी विरासत को संभाल रहे हैं। विधान 2011 और 2016 में तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर विधायक चुने गए। इस बार 2021 में भी तृणमूल कांग्रेस ने उन्हें फिर से उम्मीदवार बनाया है। वह हैट्रिक लगाने की दहलीज पर खड़े हैं। 2001 से लेकर 2021 इन दो दशक यानि की 20 साल में समय बदला व बाराबनी विधानसभा क्षेत्र की राजनीति में बदलाव हुए। स्व. माणिक उपाध्याय की जगह उनके पुत्र ने ले ली, लेकिन नहीं बदला तो वह है विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस का सारथी। चुनाव में उम्मीदवार के इलेक्शन एजेंट की आधिकारिक तौर पर महत्वपूर्ण भूमिका होती है। बाराबनी विधानसभा सीट में 2001 से लेकर 2021 तक सारथी की भूमिका बखूबी निभा रहे हैं शिक्षक निमाई मोहंती।
2001 और 2006 में वह माणिक उपाध्याय के इलेक्शन एजेंट थे। 2011, 2016 में विधान उपाध्याय के इलेक्शन एजेंट बने और अब 2021 में भी विधान उपाध्याय के इलेक्शन एजेंट बने हैं। निमाई मोहंती का कहना है कि यह उनके लिए गर्व की बात है कि लगातार पांच बार पार्टी ने उन्हें यह जिम्मेदारी दी है। जब यहां वाममोर्चा का शासन था, तब उन्होंने पार्टी के लिए काम किया था। आज दस साल से पार्टी सत्ता में है। उन्हें विश्वास है कि बीते चुनावों में उन्होंने जो सफलता हासिल की थी, वह उस बार भी कायम रहेगी।