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देश की सियासत मुर्दों का संदूक खा गई

बर्नपुर : सेल आइएसपी के राजभाषा विभाग की ओर से बर्नपुर भारती भवन में ¨हदी दिवस पर राजभाषा

By JagranEdited By: Published: Sat, 15 Sep 2018 11:35 PM (IST)Updated: Sat, 15 Sep 2018 11:35 PM (IST)
देश की सियासत मुर्दों का संदूक खा गई
देश की सियासत मुर्दों का संदूक खा गई

बर्नपुर : सेल आइएसपी के राजभाषा विभाग की ओर से बर्नपुर भारती भवन में ¨हदी दिवस पर राजभाषा पखवाड़ा का पुरस्कार वितरण समारोह और कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। यहां देर रात तक श्रोताओं ने कवि सम्मेलन का लुफ्त उठाया। पुरस्कार वितरण के दौरान अतिथि सीईओ अनिर्वान दासगुप्ता, ईडी सीएस सिन्हा, जीएम बीसी महापात्रा, मुकुल प्रसाद, डीजीएम एमइ शम्शी आदि ने पखवाड़ा के दौरान आयोजित प्रतियोगिता के चयनित को पुरस्कार प्रदान किया तथा आमंत्रित कवियों को सम्मानित किया। कवि सम्मेलन के दौरान मंच संचालक पटना से आये कवि शंकर कैमूरी ने किया। कवि सम्मेलन के दौरान शंकर कैमूरी ने प्यार के बिना उम्र काट लेंगे, कभी तो अधूरी ¨जदगी रह जाएगी कविता पेश की। पूनम श्रीवास्तव ने सरस्वती वंदना के साथ ही अनमोल शहर की अनमोल निशानी हूं कुछ लोगों की खातिर मैं रंगीन कहानी हूं, मैं गंगा की रवानी हूं पेश किया। नागेश शांडिल्य ने यहां डरावना चेहरा देखने को सब आदी है यहां तो सड़क से लेकर संसद तक आतंकवादी है। अखिलेश द्विवेदी ने नटवर बने शिव शंकर, अहमद आजमी ने जहां होली ईद मिलजुलकर सब मानते है, इसी माहौल को हमलोग हिन्दुस्तान कहते है। वही डॉ. कमलेश राजहंस ने जो किसान भूख मिटाता है उसे भूख खा गई। मेरे देश की सियासत मुर्दो का संदूक खा गई। लोकतंत्र को राजनीति की बंदूक खा गई। वही डॉ. धर्मप्रकाश ¨सह ने दुखियारी गंगा जी बोली राम जी आप अयोध्या में अटके हो फंसी मैं काशी धाम सुनाया। कवियों के राजनीतिक व्यंग और हास्य कविता पर देर रात तक श्रोता लोटपोट होते रहे।

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