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पानी की तलाश में गुजर रहा बचपन

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By JagranEdited By: Published: Thu, 25 Apr 2019 12:51 AM (IST)Updated: Sun, 28 Apr 2019 06:31 AM (IST)
पानी की तलाश में गुजर रहा बचपन
पानी की तलाश में गुजर रहा बचपन

संवाद सहयोगी, कुल्टी: कुल्टी विधानसभा के बोरिरा रोड स्थित मोची पाड़ा गांव आजादी के 72 वर्ष बाद भी विकास से कोसों दूर है, जिसके कारण इस गांव में लोग अपने बेटे एवं बेटियों का विवाह तक नही करते । बीसीसीएल के बोरिरा स्थित लगभग 130 घरों के दलित आबादी वाले मोची पाड़ा में आज भी लोग कई मिल दूर से पानी का जुगाड़ कर जीवन बसर करते है । हर चुनाव में यहां के लोगों को नेता आश्वासन देते और चले जाते है।

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कुल्टी रेलवे स्टेशन से लगभग 3 किलोमीटर एवं राष्ट्रीय राजमार्ग से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर बोरिरा रोड के किनारे स्थित मोची पाड़ा गांव के लोगों को आज भी किसी मसीहा की तलाश है जो गांव का कायापलट कर सके । बीसीसीएल के कोयला खदान के ऊपर स्थित मोची पाड़ा गांव के बुजुर्ग हितलाल रविदास बताते है कि आजादी से पूर्व उनके पूर्वज झारखंड के पियरसोल से आकर यहां आकर बसे थे । पहले उनके पूर्वज यहां खेती करते थे । परंतु कोयला खदानों के खुलने से खेतिहर भूमि समाप्त हो गई, जिसके बाद नई पीढ़ी के लोग रोजगार के लिए छोटी मोटी मजदूरी, कोयला चुनकर अपना जीवन यापन करने लगे ।

मोची पाड़ा गांव की महिला अलकही रविदास, बरसाती, पुतुल, सोमा, सीता, लखी, मुलखि , गंगिया रविदास बताती है कि हम गरीबो के लिए कोई नही है, गांव में बरसात के समय रहना दूभर हो जाता है, सड़क पर नाली का पानी बहता है। आज भी उनके बच्चों का बचपन से लेकर जवानी तक मीलों दूर से पानी भरने में गुजर जाती है । चमेली रविदास बताती है आज स्थिति इतनी बदतर हो गई है कि इस गांव में गंदगी एवं पिछड़ापन देखकर लोग अपनी लड़कियों की शादी के लिए आते है और गांव की दशा देखकर लौट जाते है । कोई इस गांव में अपने बेटे बेटियों की शादी नही करना चाहता है। अधिकतर लड़के कुंवारे रह जाते है, वही गरीबी की वजह से यहां की बेटियों का दूसरे राज्यों में विवाह करना पड़ता है ।

गांव के युवा उदय, लालटू, दुर्गा , संजय, मधु बताते है कि उनकी जिदगी में हर दिन मौत का साया मंडराते रहता है। क्योंकि जिस जगह वे लोग रहते है कब वह जमींदोज हो जाय कोई नही जानता। क्योंकि कोयले की खोखली खदान के ऊपर उनका गांव हैं । गांव के समीप दो बार धंसान हो चुका है।


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