बाबुल सुप्रियो का ट्वीट, आएंगे तो कार पर होगा हमला
आसनसोल बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद राजनीतिक हिसा की घटनाएं तेज हो चुकी हैं। ऐसे हाला
आसनसोल : बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद राजनीतिक हिसा की घटनाएं तेज हो चुकी हैं। ऐसे हालात में आसनसोल सांसद सह केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो के एक ट्वीट पर भाजपा कार्यकर्ता गरम हो चुके हैं। बेहद नाराज हैं। बाबुल ने ट्विटर पर लिखा कि जो भी संभव है, वो हम लोग कर रहे हैं। एक बात समझे कि वे कार्यकर्ताओं तक नहीं पहुंच सकते। टीएमसी के गुंडे उनकी कार पर तुरंत हमला कर देंगे। बाबुल के ट्वीट पर भाजयुमो नेता तरुण ज्योति तिवारी ने ट्विटर पर जवाब दिया, कार महत्वपूर्ण है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह एवं जेपी नड्डा को टैग करते हुए उन्होंने लिखा कि नेताओं की सुरक्षा बढ़ाते रहे। कार्यकर्ताओं को मरने के लिए छोड़ दें। कैलाश विजयवर्गीय एवं शिव प्रकाश को आश्चर्यजनक प्रत्याशियों का चयन करने के लिए भी धन्यवाद।
पैसे को कागज की तरह बांटा गया, यह खेल खुद देखा था बर्द्धमान की भाजपा नेत्री सुधा देवी ने भी इंटरनेट मीडिया पर पीड़ा का इजहार किया। उन्होंने लिखा कि टीएमसी से आए लोगों को तुरंत टिकट दिया गया। पैसा, पैरवी, परिचय या ना जाने किस वजह से कुछ लोगों को टिकट मिल गया। जीतने का हौसला नहीं था तो टिकट क्यों लिया। बंगाल के इस नतीजे के लिए दोषी कौन है? टिकट देने वाले या लेने वाले। उपहार की तरह टिकट बांटने वाले, चुनावी दायित्व में बाहर से आने वाले या कई सालों से भाजपा के लिए समर्पित भाव से काम करने वालों में असल दोषी को वे लोग चिह्नित नहीं कर पा रही है। शायद जवाब किसी के पास नहीं है कि आखिर चूक कहां हुई। सुधा देवी ने लिखा कि हां, पैसे को कागज की तरह बांटने और खर्च करने का खेल खूब हुआ। उन्होंने अपनी आंखों से यह सब देखा है। फिर भी जनता प्रत्याशियों पर यकीन नहीं कर सकी। भाजपा जीती भी है तो दो से पांच सौ वोट से। मोदी लहर में बंगाल की सत्ता में आने का सुनहरा मौका हमने गंवा दिया। उन्होंने भाजपा में आठ साल का वक्त गुजारा। वह बेकार चला गया। दुखी हैं। नि:शब्द हैं। दलबदलू और चोरों को टिकट देने के बाद यही होना था पूर्व पुलिस अधिकारी सह भाजपा नेता शंख विश्वास ने भी इंटरनेट मीडिया पर अपनी पीड़ा का इजहार किया। उन्होंने लिखा कि पांच महीने तक सर्वे किया गया। दिल्ली में पांच बैठकें की गईं। दलबदलू-चोरों को टिकट दिया तो यह परिणाम स्वाभाविक है। झारखंड से लोग आये, यहां से रुपये लिये और हम लोगों को हराकर वापस चल दिए। पांडवेश्वर के जितेन चटर्जी ने लिखा कि अपने घर के बच्चों को पराया मान दामाद को गद्दी पर बैठाने का खामियाजा मिला है।