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अवैध निर्माण पर चला एडीडीए का बुलडोजर

दुर्गापुर : आसनसोल-दुर्गापुर विकास प्राधिकरण (एडीडीए) अपनी अतिक्रमण की गई जमीन को खाली करवाने के लिए

By JagranEdited By: Published: Sun, 24 Jun 2018 10:16 AM (IST)Updated: Sun, 24 Jun 2018 10:16 AM (IST)
अवैध निर्माण पर चला एडीडीए का बुलडोजर
अवैध निर्माण पर चला एडीडीए का बुलडोजर

दुर्गापुर : आसनसोल-दुर्गापुर विकास प्राधिकरण (एडीडीए) अपनी अतिक्रमण की गई जमीन को खाली करवाने के लिए अभियान शुरू कर दिया है। शनिवार को एडीडीए की ओर से दुर्गापुर शहर के डीवीसी मोड़ से लेकर एबीएल मोड़ तक तकरीबन एक दर्जन दुकानों व अवैध निर्माण को बुलडोजर के माध्यम से तोड़ दिया गया। इसके अलावा एडीडीए मूचीपाड़ा तक अवैध निर्माण व दुकानों को तोड़ेगा। शनिवार को एडीडीए अधिकारियों की मौजूदगी में सुबह से ही बुलडोजर लगाकर दुकानों को तोड़ने का कार्य शुरू किया गया। जहां सुरक्षा के लिए सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) विमल कुमार मंडल, सर्किल इंस्पेक्टर चंद्रनाथ सिन्हा, दुर्गापुर थाना प्रभारी गौतम तालुकदार के अलावा न्यूटाउनशिप थाना की पुलिस मौजूद थी। अवैध निर्माण हटाने के लिए एडीडीए की ओर से तीन दिन पहले ही नोटिस दिया गया था। लेकिन लोगों ने उस नोटिस का परवाह नहीं किया। इस कारण अचानक एडीडीए के अभियान से लोगों को काफी नुकसान हुआ। हालांकि प्रभावित दुकानदारों ने किसी प्रकार का नोटिस दिए जाने की बात से इंकार किया है एवं एडीडीए पर अचानक अभियान चलाने का आरोप लगाया है।

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अवैध निर्माण हटाकर होगा पौधरोपण : एडीडीए की ओर से अतिक्रमण के खिलाफ अभियान शुरू किया गया है। अवैध निर्माण को हटाकर वहां पौधरोपण किया जाएगा। ताकि इलाका हरा-भरा बन सके। इसके लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है। वहीं दुकानदारों पर आरोप लगता रहा है कि वे लोग दुकान की आड़ में पेड़ भी काट देते थे। हालांकि दुकानदारों ने इस आरोप को गलत बताया है।

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पंद्रह वर्ष से चला रहे थे दुकान : सरकार व एडीडीए की जमीन पर से दुकानों व अन्य अवैध निर्माण को तोड़ा जा रहा है। एडीडीए के अभियान से लोगों में नाराजगी भी व्याप्त है। क्योंकि वे लोग तकरीबन पंद्रह वर्ष से दुकान चला रहें थे। जहां से 100-150 परिवार का भरण पोषण होता था। अब इतने युवकों का रोजी रोटी का जरिया छीन गया है।

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नोटिस पर कई बार हटा ली थी दुकान, इस बार नहीं मिला मौका : दुकानदार तपन बाद्यकर सबिता दास आदि का कहना है कि पंद्रह वर्ष में कई बार उनलोगों को दुकान हटाने के लिए नोटिस मिलता था। उस नोटिस के बाद खुद ही दुकानों को हटा लेते थे। फिर कुछ दिन बाद फिर उसी स्थान पर दुकान बनाकर व्यवसाय करते थे। इस बार प्रशासन की ओर से कोई मौका नहीं दिया गया, जिससे हमें काफी नुकसान हुआ।


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