सनातन धर्म में कालाष्टमी का विशेष महत्व होता है। इस दिन काल भैरव की पूजा करना लाभकारी होता है। आइए जानते हैं कि कालाष्टमी पर किन योग में पूजा करना शुभ होगा?
पंचांग के अनुसार, इस महीने में 20 फरवरी को कालाष्टमी मनाई जाएगी। इस दिन विधि-विधान से काल भैरव की पूजा करने से संकट दूर होने लगते हैं।
पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 20 फरवरी को सुबह 09 बजकर 58 मिनट पर होगी। वहीं, इसका समापन 21 फरवरी को सुबह 11 बजकर 57 मिनट पर होगा।
कालाष्टमी के दिन निशा काल में काल भैरव की पूजा करना शुभ होता है। ऐसा करने से जीवन में आने वाली परेशानियां दूर होने लगती हैं।
इस दिन रवि योग और शिववास का संयोग बन रहा है। इस योग में पूजा करना लाभकारी होता है। ऐसा करने से साधक के जीवन में तरक्की के नए रास्ते खुलते हैं।
इस योग में काल भैरव की पूजा करने से दोगुना फल मिलता है। इसके साथ ही, रुके हुए कार्य होने लगते हैं और शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।
कालाष्टमी पर काल भैरव की पूजा करते समय ॐ कालभैरवाय नमः या ॐ ह्रीं बं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरूकुरू बटुकाय ह्रीं मंत्र का जाप करें। इससे बाबा भैरव की कृपा प्राप्त होती है।
अगर आप संकट का सामना कर रहे हैं, तो कालाष्टमी पर काल भैरव की पूजा करें। इससे परेशानियों से छुटकारा मिलने लगता है और जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
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